Saturday 31 December 2016

तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।
मन की आँखे खोल...तेरे सामने घनश्याम है।।

हर घडी हर पल का साथी ऐसा ये दिलदार है,
छोड़ दे तू साथ चाहे...ये सदा तेरे साथ है,
तू मुसाफिर है जहाँ में...ये है मालिक जान ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

कौन है कोई नहीं...तेरा संसार में,
तु जिसे अपना समझता...वो है माया बाँवरे,
तू पतंग है डोर अपनी सांवरे संग बाँध ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

है कठिन ये अग्नि पथ है ये हमारी जीन्दगी,
तु बना ले सांवरे को अपना जीवन सारथी,
मुस्कुराते कट जायेगी...यें अनोखी जीन्दगी।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

( तर्ज : आपकी नज़रों ने समझा...)

•¡✽🌿◆🍒🎼🍒◆🌿✽¡•
जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Tuesday 27 December 2016

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,
किसने देखी तेरी माया, किसने भेद तेरा है पाया.
हारे ऋषि मुनि कर ध्यान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
किसने देखी तेरी सूरत, कौन बनाये तेरी मूरत?
तू है निराकार भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तू ही जल में, तू ही थल में, तू ही मन में, तू ही वन में...
तेरा रूप अनूप महान... बना मन मन्दिर आलीशान...
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तू हर गुल में तू बुलबुल में, तू हर डाल के हर पातन में,
तू हर दिल में प्रभु को मान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
सागर तेरी शान बंधावे, पर्वत तेरी शोभा गावे,
तू है सर्वशक्तिमान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तूने राजा रंक बनाय, तूने भिक्षुक राज बिठाये,
तेरी लीला ईश महान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
झूठे जग की झूठी माया, मूरख इसमें क्यों भरमाया?
कर कुछ जीवन का कल्याण, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,

Monday 26 December 2016

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...
हल्के हाथे अंगो चोड़ी लाड लड़ाऊँ साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

अंगो लुछी आपु वस्त्र पिडू पीताम्बर प्यार मा...
तेल सुगन्धी नाखी आपु वांकड़ियां तुज वाड मा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

कुमकुम केरु तिलक सजाऊँ प्रीतम तारा बलमा...
अलबेली आँखों मा आंजू अंजन मारा बालमा
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

हस्ती जाउँ वाटे घाटे नाची उठूँ तान मा...
नज़र ना लागे श्याम सुंदर ने टपका करि दऊ गाल मा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

पग मा झाँझर रुमझुम वागे करमा कंकण बालमा
कंठे माला काने कुण्डल चौड़े चिथदु साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

मोर मुकुट माथे पेहराउँ मुरली आपु हाथ मा...
कृष्ण कृपालु निरखि शोभा वारी जाउँ मारा बालमा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

दूध कटोरी भरी ने आपु पीओ ने मारा बालमा...
भक्त मंडल निरखि शोभा राखो चरणे साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...
हल्के हाथे अंगो चोड़ी लाड लड़ाऊँ साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

нαяє кяιѕниα
जय श्री कृष्णा
Զเधे Զเधे

Friday 23 December 2016

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुकुट मैं बनू
तेरे शीश पे सजू इतराता मैं फिरू
कर दे अहसान मुझ पे ओ मेरे सोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तिलक मैं बनू
तू ध्यान में रखे और मगन मैं रहूं
कर दे इतनी इनायत तू मेरे मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो काजल मैं बनू
तेरी पलकों से अँखियो में झाँका करू
जिनमें रहती हैं राधे रानी हरदम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुरली मैं बनू
अधरों से लगूं दिव्य अमृत चखू
सफल हो जाएगा मेरा भी जनम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो माला मैं बनू
तेरे सीने से लगूं सब दिल की कहूं
तू हैं दिलबर मेरा ओ मेरे सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो बृज रज मैं बनू
तेरे चरणों से लगूं बड़भागी बनू
संवर जायेगी तक़दीर मेरी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गैयाँ मैं बनू
तू जहां ले चले तेरे संग संग चलूँ
रहे मुझ मेँ न मेरा कुछ भी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गोपी मैं बनू
तेरे अंग संग रहूं और रास भी करू
सर्वस्व मैं अपना लुटा दूँ सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

Thursday 22 December 2016

मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा

तडपता हू मै आहे भर,
साहारा कोई न दिखता है
साहारा कोई न दिखता है
भरोसा श्याम चरणो मे
लगा दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
श्री यमुना किनारे पर
बनी सँतो की कुटिया मे
बनी रसिको की कुटिया मे
मेरी भी छोटी सी कुटिया
बना दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
दीवाना श्याम का बन कर
सदा नाचूगा गाऊगा............
सदा नाचूगा गाऊगा............
मुझे मुरली की तानो को
सुना दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
श्री राधे जानकर दासी
लगालो अपनी सेवा मे
लगालो अपनी सेवा मे
सिद्धेश्वर दूबे को अपना
बना लोगे तो क्या होगा!
मेरे गुरुदेव वृन्दावन बुला लो गे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
जयवृन्दावन जयवृन्दावन
प्यारोवृन्दावन प्यारोवृन्दावन

Sunday 18 December 2016

तोरा मन दर्पण कहलाये -


भले बुरे सारे कर्मों को,देखे और दिखाये
मन ही देवता, मन ही ईश्वर,मन से बड़ा न कोय
मन उजियारा जब जब फैले,जग उजियारा होय
इस उजले दर्पण पे प्राणी,धूल न जमने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-
सुख की कलियाँ, दुख के कांटे,मन सबका आधार
मन से कोई बात छुपे ना,मन के नैन हज़ार
जग से चाहे भाग लो कोई,मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये -
तन की दौलत ढलती छाया, मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत माटी से रोल
हीरा जन्म अनमोल है व्यर्थ न जाने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-

Thursday 15 December 2016

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आज तक झूठे जगत की...ठोकरें खाई बहुत ।
गिरते पड़ते द्वारा पंहुचा...मुझको संभालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

नाम तेरा सुनके आया "" साँवरे ""...तू दयालु है बड़ा ।
तेरा तो कोमल हृदय है...मुझको ना टालें प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

कितनों के जीवन सवार...तेरी करुणा दृष्टि ने ।
एक नजर मुझपे भी...तेरे प्यार की डालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु..

"" भक्त "" की ये ही तमन्ना...चरणों का चाकर बनु ।
धन्य हो जाऊँगा में भी...सेवा करवालो प्रभु ।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

( तर्ज : साँवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...)

Saturday 10 December 2016

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी तुम्हारे हम हैं दीवाने सारे...
तुम्हें भूल के जहाँ में जायें तो कहाँ जायें...
कहीं तुम भुला न देना तुम्हें याद हम दिलायें...
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी ये नैया भव पार कैसे होगी...
बिन माझी बिन खेव्य्या मझधार में फंसेगी...
डूबेगी डूबने से इसे तू ही अब बचाये...
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी हमारे दिखते "" अनोखे "" न्यारे...
नहीं दूर हैं ये हमसे ये पास हैं हमारे...
जब भी पुकारे दिल से ये दौड़े चले आये
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

Monday 5 December 2016

भगवन्नामकी जय जय



जय आनन्द, अमृत, अज, अव्यय, आदि, अनादि, अतुल, अभिराम ।
जय अशोक, अघहर, अखिलेश्वर, योगी-मुनि-मानस-विश्राम ।।
जय कलिमल-मर्दन, करुणामय, कोसलपति, गुण-रूप-निधान ।
जय माधव, मधुसूदन, मोहन, मुरलीधर, मृदु-हृदय, महान ।।
जय गोविन्द, गोपिकावल्लभ, गोपति, गो-सेवक, गोपाल ।
जय गरुड़ध्वज, विष्णु, चतुर्भुज, श्री-लक्ष्मीपति, वक्ष-विशाल ।।
जय भय-भयदायक, भवसागर-तारक, भक्त-भक्त श्रीमान ।
जय मुकुन्द, मन्मथ-मन्मथ, मुर-रिपु, मंजुल-वपु, मंगलखान ।।
जय पुरुषोत्तम, प्रकृतिरमण, प्रभु, पावन-पावन, परमानन्द ।
जय फणि-फण-फण-नृत्यकरण, फणिभूषण, फणि-शय्या, सुखकन्द ।।
जय रघुनाथ, रमापति, रघुवर, रावणारि, राघव, श्रीराम ।
जय कंसारि, कमल-दल-लोचन, केशिनिषूदन, कृष्ण, ललाम ।।
जय राधा, राधामाधव, रस, रसनिधि, रसास्वाद-संलग्न ।
जय नटवर, नागर, नँदनंदन, नव-नव-नृत्यानन्द-निमग्न ।।
जय शंकर, शिव, आशुतोष, हर, महादेव, सब मंगल-भूप ।
जय संहारक, रुद्र, भयानक, मुण्डमालधारी, तम-रूप ।।
जय मृड, गंगाधर, गौरीपति, गणपति-पिता, शर्व, रिपु-काम ।
जय भुजंग-भूषण, शासी शेखर, नीलकण्ठ, भव, शोभाधाम ।।
जय काली, लक्ष्मी, सरस्वती, राधा, सीता, श्री, ईशानि ।
जय दुर्गा, तारा, परमेश्वरि, विद्या, प्रज्ञा, परमेशानि ।।
जय आदित्य, भुवनभास्कर, घृणि, तमहर, पातकहर, द्युतिमान ।
जय विघ्नेश, विघ्ननाशक, गण-ईश, सिद्धिदायक, भगवान ।।
जय प्रकाशमय, अग्नि, इन्द्र, नर, नारायण, पर, आत्माराम ।
जय सर्वेश, सर्वगुणनिधि, विधि, सर्वातीत, सर्वमय, श्याम ।।
लीला-गुण-रस-तत्त्व-प्रकाशक, प्रभुके मंगल-नाम अनेक ।
जयति जयति जय नाम नित्य नव मधुर नित्य निर्गुण-गुणवन्त ।।

Friday 2 December 2016

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु.

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आज तक झूठे जगत की...ठोकरें खाई बहुत ।
गिरते पड़ते द्वारा पंहुचा...मुझको संभालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

नाम तेरा सुनके आया "" साँवरे ""...तू दयालु है बड़ा ।
तेरा तो कोमल हृदय है...मुझको ना टालें प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

कितनों के जीवन सवार...तेरी करुणा दृष्टि ने ।
एक नजर मुझपे भी...तेरे प्यार की डालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु..

"" भक्त "" की ये ही तमन्ना...चरणों का चाकर बनु ।
धन्य हो जाऊँगा में भी...सेवा करवालो प्रभु ।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

( तर्ज : साँवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...)

Thursday 24 November 2016

धन के गुलाम मत बनो

सन्त कहे हरी-भजन करों रे, लोग मरे रुपियाँ ताईं ।
हाय रुपैया होय रुपैया, आग लगी सब जग माही ।। टेर ।।

खाऊ-खाऊं करे रात दिन, धर्म-करम शुभ छोड़ दिया ।
नाशवान का लिया सहारा हरि से नाता तोड़ दिया ।।
उपजा दोश यही से सारा फल लागे अति दुःखदाई ।। हाय० १ ।।

घर-त्यागी क्या ग्रहस्थी देखो, लोलुपता सबके लगी ।
अन्न-वस्त्र जल दाता देवे, भीतर भूख नहीं भागी ।।
सारा धन मुझको मिल जावे, मिटे नही यह मंगँताई ।। हाय० २ ।।

बड़ा आदमी कौन जगत में, धन से काँटे पर तोले ।
धन लेकर बेटा परणावे, लेण-देण पहले खोले ।।
स्वारथ अन्धा हो गया जबसों, आगे की सूझत नाही ।। हाय० ३ ।।

मान बड़ाई धन कुटुम्ब के, सुख में इतना फूल गया ।
मैं हूँ कौन ? कहाँ से आया ? क्या करना यह भूल गया ।।
जैसे फिरे बैल घाणी का, आँखों पर पट्टी छाई ।। हाय० ४ ।।

अगणित पाप करे धन के हित, बुरा-बुरा व्यवहार करे ।
झूठ कपट छल धोखेबाजी, चोरी का व्यवहार करे ।।
मरते पाप पाप सँग जावे, मार पड़े जमपुर माहीं ।। हाय० ५ ।।

असत वस्तु का छोड़ सहारा, सुख की आशा तजिये रे ।
नाशवान तो नाश करेगा, अविनाशी को भजिये रे ।।
नर-तन जनम सुफल हो जावे, सतसंगत करिये भाई ।। हाय० ६ ।।

सन्त कहे हरी-भजन करों रे, लोग मरे रुपियाँ ताईं ।
हाय रुपैया होय रुपैया, आग लगी सब जग माही ।। टेर ।।

चेतावनी पद संग्रह पुस्तक से, भजन 'धन के गुलाम मत बनो', भजन संख्या ४२, पृष्ठ संख्या २२, पुस्तक कोड १४२, गीताप्रेस गोरखपुर, भारत

Wednesday 23 November 2016

मुरली मधुर बजा दो श्याम


एक बार बस एक बार, आनन्द-सुधा बरसा दो श्याम ।
आज चलो फिर यमुना-तटपर, मुरली मधुर बजा दो श्याम ।।
नीरव, नीरस, निर्जन, निर्मम, निद्रित निशा जगा दो श्याम ।
शुभ्र चन्द्रकी सुभग ज्योतिमें, ललित कला सरसा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
सूर्य-सुतापर स्वर-लहरीसे, तरल तरंग उठा दो श्याम ।
कण-कण, वन, उपवन नूतन, जीवन-धार बहा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
डाल-डाल और पात-पातमें, प्रेम-प्रसून खिला दो श्याम ।
कुञ्ज-कुञ्जमें, पुञ्ज-पुञ्जमें, प्रणय-प्रेम फैला दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
जीवित मृतक मदान्ध मनोंमें, जीवन-ज्योति जगा दो श्याम ।
‘बेकल’ विकल व्यथित हृदयमें, शान्ति-सुधा बरसा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
(गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित "कल्याण - संकीर्तानांक"से)

Saturday 19 November 2016

हे नन्दलाला हे गोपाला…

हे नन्दलाला हे गोपाला…
ले लो शरण में हम को भी लाला ।

तुमसा नहीं कोई जग में निराला
तुमसे ही जगमग ये जग सारा
तू ही सबका भाग्य विधाता
हे नन्दलाला हे गोपाला…

दरश को तेरे तरसे हैं अँखियाँ
किससे कहूँ ये दुःख भरी बतियाँ
कौन सुनेगा मेरी ये बतियाँ
हे नन्दलाला हे गोपाला…

तुम बिन जग में कौन हमारा
तुम बिन कैसे होगा गुज़ारा
मिलन "" अनोखा "" हो कैसे हमारा
हे नन्दलाला हे गोपाला…

हे नन्दलाला हे गोपाला…
ले लो शरण में हम को भी लाला ।

Friday 18 November 2016

अपनी ठुकरानी राधे जू

अपनी ठुकरानी राधे जू हमको क्या काम जमाने से
कंगाल हैँ हम तेरे नाम बिना हमको बस नाम खजाने दे

मेरा धन तुम ब्रजरानी हो इस जग से मुझे अब क्या लेना
तेरे दर की मैं भिखारिन हूँ मुझे तेरे नाम का धन लेना
हो जाये तुमसे प्रेम मेरा मुझे तुमसे प्रेम निभाने दे
अपनी ठुकरानी राधे जू हमको क्या काम जमाने से
कंगाल हैँ हम तेरे नाम बिना हमको बस नाम खजाने दे

तेरे दर की चाकर बन जाऊँ मुझको किशोरी अपनाना
सारे जग से मुझको प्यारा लगे श्री राधे तेरा बरसाना
कभी चरणों में थोड़ी जगह मिले मुझे बरसाने रह जाने दे
अपनी ठुकरानी राधे जू हमको क्या काम जमाने से
कंगाल हैँ हम तेरे नाम बिना हमको बस नाम खजाने दे

तेरा नाम जो ले जुबां से अपनी मुझको वो प्यारा लगता है
तेरा बरसाना मुझे श्यामा जन्नत का नज़ारा लगता है
कोई रोके ना कोई टोके ना मुझको तेरा नाम ही गाने दे
अपनी ठुकरानी राधे जू हमको क्या काम जमाने से
कंगाल हैँ हम तेरे नाम बिना हमको बस नाम खजाने दे

Wednesday 9 November 2016

नैनहीन को राह दिखा प्रभु

नैनहीन को राह दिखा प्रभु
नैनहीन को राह दिखा प्रभु
पग पग ठोकर खाऊँ मैं
नैनहीन को

तुमरी नगरिया की कठिन डगरिया
तुमरी नगरिया की कठिन डगरिया
चलत चलत गिर जाऊं मैं प्रभु

नैनहीन को राह दिखा प्रभु
पग पग ठोकर खाऊँ मैं
नैनहीन को राह दिखा प्रभु

चहुँ ओर मेरे घोर अँधेरा
भूल न जाऊं द्वार तेरा
चहुँ ओर मेरे घोर अँधेरा
भूल न जाऊं द्वार तेरा
एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो
एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो
एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो
मन का दीप जलाऊँ मैं प्रभु

नैनहीन को राह दिखा प्रभु
पग पग ठोकर खाऊँ मैं
नैनहीन को राह दिखा

Monday 7 November 2016

शीश गंग अर्धग

शीश गंग अर्धग पार्वती सदा विराजत कैलासी।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं, धरत ध्यान सुखरासी॥
शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह बैठे हैं शिव अविनाशी।
करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर राग रागिनी मधुरासी॥
यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत, बोलत हैं वनके वासी।
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर, भ्रमर करत हैं गुंजा-सी॥
कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु लाग रहे हैं लक्षासी।
कामधेनु कोटिन जहँ डोलत करत दुग्ध की वर्षा-सी॥
सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित, चन्द्रकान्त सम हिमराशी।
नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित सेवत सदा प्रकृति दासी॥
ऋषि मुनि देव दनुज नित सेवत, गान करत श्रुति गुणराशी।
ब्रह्मा, विष्णु निहारत निसिदिन कछु शिव हमकू फरमासी॥
ऋद्धि सिद्ध के दाता शंकर नित सत् चित् आनन्दराशी।
जिनके सुमिरत ही कट जाती कठिन काल यमकी फांसी॥
त्रिशूलधरजी का नाम निरन्तर प्रेम सहित जो नरगासी।
दूर होय विपदा उस नर की जन्म-जन्म शिवपद पासी॥
कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीजो।
सेवक जान सदा चरनन को अपनी जान कृपा कीजो॥
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय अवगुण मेरे सब ढकियो।
सब अपराध क्षमाकर शंकर किंकर की विनती सुनियो॥
अभय दान दीज्यो प्रभु मुझको शकल शूरष्टी श्रिष्टि के हितकारी।
भोले नाथ बाबा भक्त निरंजन भव भंजन भाव सुख कारी ||
काल हरो हर कष्ट हरो हर दुखः हरो दरिद्र हारो।
नमामि शंकर भवानी शंकर हर हर शंकर आप शरणम ||

Ψ जय भोले नाथ Ψ
Ψ ऊँ नमः शिवाय Ψ

Tuesday 1 November 2016

एक दीप तुम प्यार का, रखना दिल के द्वार,,,

एक दीप तुम प्यार का, रखना दिल के द्वार,,,
यही दीप का अर्थ है, यही पर्व का सार...

दीप हृदय में कर गये, खुशियों का बौछार,,,
आज प्रेम से हम करें, दीपों का सत्कार...

केसर, चन्दन घर लगे, रोली अक्षत द्वार,,,
सजी दीप की अल्पना, किरणें वन्दनवार...

फूल -पंखुड़ी तन हुआ, हृदय हुआ अब दूब,,,
दीप -पर्व के ताल में, हम सब जायें ड़ूब...

दीप -पर्व सी ज़िन्दगी, दीप तुम्हारा प्यार,,,
तुम रंगोली अल्पना, तुम ही वन्दनवार...

दिया एक विश्वास का, जले हृदय में आज,,,
सद्भाव को नोच रहे, आजा घृणा के बाज़...

उड़ी गगन में प्रेम की, किरणें पंख पसार,,,
हुआ पराजित दीप से, फिर तिमिर एक बार...



~~~|| जय श्री राधे कृष्णा ||~~~
~~~|| जय श्री सीता राम ||~~~

श्री गोवर्धन महाराज ,, महाराज ।

श्री गोवर्धन महाराज ,, महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ।।

तोपे पान चढ़ै तो पे फूल चढ़ै ...और चढ़ै दूध की धारहो धार ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ ..

तेरे कानन कुण्डल सोय रहयो ...तेरे गल बैजन्ती माल हो माल ।।
तेरेमाथे मुकुट विराज रहयौ ...

तेरे काँधे पै कारी कामरिया...तेरी ठोड़ी पे हीरा लाल हो लाल ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ ...

तेरे निकट मानसी गँगा है ...जा मेँ न्हाय रहे नर नार हो नार ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ...

तेरी सात कोस की परिक्रमा मेँ ...है चकलेश्वर विश्राम हो विश्राम ।।

तेरे माथे मुकुटविराज रहयौ ...श्री गोवर्धन महाराज महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ

Monday 24 October 2016

मुश्कुराता रंग रंगीला.

मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...
कोई नहीं है...जग में तुझसा...
साँवरा...साँवरा...साँवरा...साँवरा...

सर पे तेरे मोर मुकुट केशरिया जामा...
अधरों पे मुरली...गले वैजन्ति माला...
ओ सांवरियां...ओ सांवरियां...
दिल ये हुआ तुझपे फिदा...
मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...

देख~देख तुझको मन गाये तराना...
झुम झुम तन ये करे नर्तन दिवाना...
ओ सांवरियाँ...ओ सांवरियाँ...
मन ये मेरा गाये मल्हार...
मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...

छुप~छुप के कब तक यूँ हमको छलोगे...
कब तक यूँ हमसे छुपते फिरोगे...
ओ सांवरियाँ...ओ सांवरियाँ...
बात क्या है बता...
मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...

गीत तेरे मित मेरे होंठों को भायें...
हर पल "" अनोखे "" तेरी याद सताये...
ओ सांवरियाँ...ओ सांवरियाँ...
क्या जाने क्या हो गया...
मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...

मुश्कुराता रंग रंगीला...सबका प्यार छैल छबिला...
कोई नहीं है...जग में तुझसा...
साँवरा...साँवरा...साँवरा...साँवरा...

( तर्ज : हँसता हुआ नूरानी चेहरा - फ़िल्म...पारसमणी...)

Saturday 22 October 2016

थोड़ा देता है ज्यादा देता है,

थोड़ा देता है ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता कान्हा देता है |

मांग लो दरबार से ये बहुत बड़ा दानी,
ऐसा मौका मतना चूको मत कर नादानी,
सब कुछ देता है ये कुछ नहीं लेता है |
हमको तो जो कुछ भी देता कान्हा देता है ||

हाजरी दरबार की मैं रोज लगाता हूँ,
सांवरिये का दर्शन करके शीश नवाता हूँ,
क्या~क्या देता है ये क्या नहीं देता है |
हमको तो जो कुछ भी देता कान्हा देता है ||

यशोमती का लाडला मैथुरावाला है,
दीन दुखी को गले लगाता मुरलीवाला है,
खुशियाँ देता है गम हर लेता है |
हमको तो जो कुछ भी देता कान्हा देता है ||

•¡✽󾁎◆󾁏󾠚󾁏◆󾁎✽¡•
*जय श्री कृष्णा*

Thursday 13 October 2016

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा
सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण
श्यामा श्याम एक सी जोड़ी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा
पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण
एकरूप, अनुपम छवि प्यारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमके, जय श्री राधा
मोर मुकुट सिर दम दम दमके, जय श्री कृष्ण
जुगल प्रेम रस झम झम झमके
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दा, जय श्री राधा
चन्दन चारु तिलक गति चन्दा, जय श्री कृष्ण
सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
घूम घुमारो घांघर सोहे, जय श्री राधा
कटि कटिनी कमलापति सोहे, जय श्री कृष्ण
कमलासन सुर मुनि मन मोहे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
रत्न जटित आभूषण सुन्दर, जय श्री राधा
कौस्तुभमणि कमलांचित नटवर, जय श्री कृष्ण
तड़त कड़त मुरली ध्वनि मनहर
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण .
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
मन्द हसन मतवारे नैना, जय श्री राधा
मनमोहन मनहारे सैना, जय श्री कृष्ण
जटु मुसकावनि मीठे बैना
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
श्री राधा भव बाधा हारी, जय श्री राधा
संकत मोचन कृष्ण मुरारी, जय श्री कृष्ण
एक शक्ति, एकहि आधारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
जग ज्योति, जगजननी माता, जय श्री रा्धा
जगजीवन, जगपति, जग दाता, जय श्री कृष्ण
जगदाधार, जगत विख्याता
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
राधा, राधा, कृष्ण कन्हैया, जय श्री रा्धा
भव भय सागर पार लगैया, जय श्री कृष्ण
मंगल मूरति, मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनि, जय श्री रा्धा
त्रिभुवनपति, त्रयताप नसावन, जय श्री कृष्ण
परमदेवि, परमेश्वर पावन
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
त्रिसमय युगल चरण चित धावे, जय श्री रा्धा
सो नर जगत परमपद पावे, जय श्री कृष्ण
राधा कृष्ण 'छैल' मन भावे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
      !! जय जय श्री राधे गोविन्द !!

Monday 10 October 2016

किशोरी जू का गुणगान~


कीरति सुता के पग-पग में प्रयाग- राज,
केशव की केल कुटी कोटि- कोटि काशी है..
जमुना में जगन्नाथ, रेणुका में रामेश्वर,
कर तल पर पड़े रहत अयोध्या के वासी है....
गोपीन के द्वार-द्वार हरिद्वार बसत यहाँ,
बद्री-केदारनाथ फिरत दास- दासी है..
स्वर्ग-अपवर्ग सुख लेके हम तरेये कहा,
जानत नही हो हम वृन्दावन वासी है....
~श्यामाजू की बड़ाई~
या बृजमंडल के कण-कण में,
है बसी तेरी ठकुराई..
कालिंदी की लहर-लहर ने, तेरी महिमा गई....
पुलकित होए तेरो यश गावे, श्री गोवेर्धन गिरिराई..
ले-ले नाम तेरो मुरली में, नाचे कुवर कनाई..
कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष्स्थले कौस्तुभं !
नासाग्रेवर मौक्तिकं करतले वेणु करे कंकणं !!
सर्वांगे हरी चन्दनं कलयन्कंठे च मुक्तावलिं !
...गोपस्त्री परिवेस्टितो विजयते गोपाल चूढामणि !!
फुल्लेंदिवरकान्तिमिंदु वदनं बरहावतंस प्रियं !
श्रीवत्सांक मुदार कौस्तुभधरम पीताम्बरं सुंदरम !!
गोपीनाम नयनो पलार्चित तनुं गो गोप संघावृतं !
गोविन्दम कल वेणु वादन परं दिव्यां
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
यह सोने की होती तो न जाने क्या होता
यह बाँस की होकर के इतना इतराती है।
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।|1||
तुम सीधे होते तो न जाने क्या होता,
तेरी टेड़ी चालों पर दुनिया मर जाती है।
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।|3||
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
''जय श्री राधे कृष्णा
राधा साध्यं, साधनं यस्य राधा |
मन्त्रो राधा, मन्त्रदात्री
यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ...
तेरी दया से यह जीवन है मेरा मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा...!!
न पुछो किये मैंने अपराध क्या- क्या कहीं यह जमीन-आसमान हिल न जाये...
जब तक मेरी श्यामा क्षमा न करोगी मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा...!!
बहुत ठोकरे खा चूका जिंदगी में तमन्ना फकत तेरे दीदार की है...
जब तक मेरी श्यामा दर्श न दोगी मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा...!!
तारो न तारो ये मर्जी तुम्हारी निर्धन की बस आखरी बात सुन लो...
मुझसा पतित और अधम जो न तारा तेरे ही दर पर मैं दम तोड़ दुगा...!!

~ दिल से बोलो जी राधे राधे

Monday 3 October 2016

राधे तेरे चरणों की, श्यामा तेरे चरणों की गर धुलजो मिल जाए

राधे तेरे चरणों की, श्यामा तेरे चरणों की गर धुलजो मिल जाए
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर ही बदल जाए

सुनते है तेरी रहमत, दिन रात बरसती है,…दिन रात बरसती है

एक बूँद जो मिल जाए, दिल की कलि खिल जाय
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर ही बदल जाए,

राधे तेरे चरणों की…

यह मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा भजन करूँ….कैसे तेरा भजन करूँ.

जितना इसे समझाउं, उतना ही मचल जाए
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर ही बदल जाए,

राधे तेरे चरणों की…

नजरों से गिराना ना, चाहे जितनी सजा देना…..चाहे जितनी सजा देना

नज़रों से जो गिर जाए, मुश्किल ही सँभल पाए
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर ही बदल जाए,

राधे तेरे चरणों की….

राधे मेरे जीवन की बस एक तमन्ना है…..बस एक तमन्ना है,

तू सामने हो मेरे, मेरा दम ही निकल जाए…
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर ही बदल जाए,

राधे तेरे चरणों की…
श्यामा तेरे चरणों की…

Thursday 29 September 2016

तेरे भरोसे है नाथ

अब और ना तड़पाओ सांवरे…तेरे भरोसे है नाथ
अब और ना तड़पाओ सांवरे…दूर ना तुम जाओ
तेरे भरोसे है नाथ…

एक बार चले आओ सांवरे…यूँ न बिसराओ
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

इस जीवन नैया को…भव पार करा दो नाथ…
विषयों के तूफाँ से…इसको बचालो नाथ…
कहीं दुब न जाये नाथ…थाम लो…आकर के पतवार…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

उस पार बैठे हो…क्यूँ भूल कर हमको…
हम भी तुम्हारे हैं…क्या भूल गये हमको…
कबसे तुम्हारी राह निहारे…बैठे हम इस पर…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

तुम्हे छोड़ के बोलो…जायें कहाँ हम नाथ…
दुःख~दर्द इस दिल के…किसको सुनायें नाथ…
अर्ज़ी हमारी तुमसे "" अनोखी ""…सुन भी लो सरकार…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

"" दिव्येश "" को और ना तड़पाओ सांवरे…तेरे भरोसे है नाथ…
अब और ना तड़पाओ सांवरे…"" दिव्येश "" से दूर ना तुम जाओ…
तेरे भरोसे है नाथ…

(तर्ज : नफरत की दुनिया को…)

जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Tuesday 27 September 2016

जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।

जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
ये हड्डियों का पिंजरा, कभी गिर पड़ेगा।
निकल जायेगा दम, तो फिर क्या करेगा॥
उठा ले चलेंगे, लगेगा पलीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
तुँ किस देश का है, कहाँ बस रहा है।
विषय वासनाओं में, क्यों फस रहा है॥
मानुष जन्म पाके, न राह जाये रीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
तू है अंश ईश्वर का, मालिक वो तेरा।
बुलाता तुझे कहके, मेरा तू मेरा।
उसी की शरण ले ले, हो जा नचीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता॥
बदलता है उसका ना, पकड़ो सहारा।
कभी न बदलता है, वो ही तुम्हारा।
वहीँ कृष्ण राधा, वहीँ राम सीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥

Saturday 24 September 2016

जय बजरंगी , जय हनुमान

लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।
बजरंगबली का झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लंका जाय जलाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
सीता की शुधि लाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
संजीवन लेकर आई रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लक्ष्मण के प्राण बचाये रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
सीता राम मियाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
भूतों को मार भगाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
भक्तों की लाज बचाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लंका जाय जलाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

सालासर शुभ धाम तुम्हारा है प्रशिद्ध जगत उजियारा।
मेहंदीपुर शुभ धाम तुम्हारा है प्रशिद्ध जगत उजियारा।
शंकट मिटाये रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

जो कोई झण्डा प्रेम से गावे वास तुम्हारे चरणों में पावे।
भक्ति प्रेम बढ़ाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।
बजरंगबली का झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।


नाचत राधिका संग गिरधारी

नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

कल कल करती कालिंदी के तट की
शोभा साजे सखी अति मनोहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नाचत मयूरा संग युगल वर
सखियाँ जाएँ इनपर बलिहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

शोभा अतुलनीय बरण ना होवे
मुदित विराजें सखी पिय प्यारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नित नित उमंग तरंग प्रेम को
झूम रहे संग ललित सुकुमारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

पायल की रुनझुन गूँजे चहुं और
अद्भुत छवि जावे ना बिसारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

Thursday 22 September 2016

श्री राम - स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद-कंजारुणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ||
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ||
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं |
मम हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनं | |
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो |
करुना निधान सुजान सीलु सनेहू जानत रावरो ||
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली |
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ||
सोरठा:
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि |
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ||
|| सियावर रामचंद्र की जय ||

शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये

अपने बल-पौरुषसे हारे भक्तका अपने शक्तिमान प्रभुसे अंगीकारार्थ करुण प्रार्थना ।

शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये

मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार।
हुआ चूर पुरुषार्थ-गर्व सब, निकली बरबस करुण पुकार।

शक्तिमान हे ! शक्ति-स्रोत हे ! करुणामय ! हे परम उदार ।
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्ररूपमें अंगीकार ॥

हरो सभी, तम तुरत सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार ।
जो चाहो, करो, नित्य निश्शङ्क निजेच्छाके अनुसार ॥

कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जाओ उस पार ।
अथवा मध्य-हिंडोलेपर ही, रहो झुलाते बारंबार ॥

भोग्य बना भोक्ता बन जाओ, भर्ता बनों भले सरकार ।
बचे न 'ननु-नच' कहनेवाला मिटें अहंके क्षुद्र विकार ॥

कौन प्रार्थना करे किस तरह किसकी फिर हे सर्वाधार !
सर्व बने तुम अपनेमें ही करो सदा स्वच्छन्द विहार ॥

॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥

गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण ) से

भजन : श्री राधा कृष्णाय नमः

श्री राधा कृष्णाय नमः ..
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा
सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण
श्यामा श्याम एक सी जोड़ी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा
पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण
एकरूप, अनुपम छवि प्यारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमके, जय श्री राधा
मोर मुकुट सिर दम दम दमके, जय श्री कृष्ण
जुगल प्रेम रस झम झम झमके
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दा, जय श्री राधा
चन्दन चारु तिलक गति चन्दा, जय श्री कृष्ण
सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

घूम घुमारो घांघर सोहे, जय श्री राधा
कटि कटिनी कमलापति सोहे, जय श्री कृष्ण
कमलासन सुर मुनि मन मोहे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

रत्न जटित आभूषण सुन्दर, जय श्री राधा
कौस्तुभमणि कमलांचित नटवर, जय श्री कृष्ण
तड़त कड़त मुरली ध्वनि मनहर
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण .
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

मन्द हसन मतवारे नैना, जय श्री राधा
मनमोहन मनहारे सैना, जय श्री कृष्ण
जटु मुसकावनि मीठे बैना
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

श्री राधा भव बाधा हारी, जय श्री राधा
संकत मोचन कृष्ण मुरारी, जय श्री कृष्ण
एक शक्ति, एकहि आधारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

जग ज्योति, जगजननी माता, जय श्री रा्धा
जगजीवन, जगपति, जग दाता, जय श्री कृष्ण
जगदाधार, जगत विख्याता
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

राधा, राधा, कृष्ण कन्हैया, जय श्री रा्धा
भव भय सागर पार लगैया, जय श्री कृष्ण
मंगल मूरति, मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनि, जय श्री रा्धा
त्रिभुवनपति, त्रयताप नसावन, जय श्री कृष्ण
परमदेवि, परमेश्वर पावन
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

त्रिसमय युगल चरण चित धावे, जय श्री रा्धा
सो नर जगत परमपद पावे, जय श्री कृष्ण
राधा कृष्ण 'छैल' मन भावे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

Tuesday 20 September 2016

हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे!

पूज्य हनुमानप्रसादजी पोद्दार»संग्रह: पद-रत्नाकर /भाग- 1/पद संख्या-13

हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे! हम हैं अतिशय पामर, दीन ।
भोग-रागमय, काम-कलुषमय मन प्रपच-रत, नित्य मलीन ॥
शुचितम, दिव्य तुम्हारा दुर्लभ यह चिन्मय रसमय दरबार ।
ऋषि-मुनि-जानी-योगीका भी नहीं यहाँ प्रवेश-‌अधिकार ॥
फिर हम जैसे पामर प्राणी कैसे इसमें करें प्रवेश ।
मनके कुटिल, बनाये सुन्दर ऊपरसे प्रेमीका वेश ॥
पर राधे! यह सुनो हमारी दैन्यभरी अति करुण पुकार ।
पड़े एक कोनेमें जो हम देख सकें रसमय दरबार ॥
अथवा जूती साफ करें, झाड़ू दें-सौंपो यह शुचि काम ।
रजकणके लगते ही होंगे नाश हमारे पाप तमाम ॥
होगा दभ दूर, फिर पाकर कृपा तुम्हारीका कण-लेश ।
जिससे हम भी हो जायेंगे रहने लायक तव पद-देश ॥
जैसे-तैसे हैं, पर स्वामिनि! हैं हम सदा तुम्हारे दास ।
तुम्हीं दया कर दोष हरो, फिर दे दो निज पद-तलमें वास ॥
सहज दयामयि! दीनवत्सला! ऐसा करो स्नेहका दान ।
जीवन-मधुप धन्य हो जिससे कर पद-पङङ्कज-मधुका पान ॥

नारायण । नारायण ।

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
मीरा पुकारी जब गिरिधर गोपाला,
ढल गया अमृत में विष का भरा प्याला।
कौन मिटाए उसे, जिसे तू राखे पिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
जब तेरी गोकुल पे आया दुख भारी,
एक इशारे से सब विपदा टारी।
मुड़ गया गोवर्धन तुने जहाँ मोड़ दिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
नैनो में श्याम बसे, मन में बनवारी,
सुध बिसराएगी मुरली की धुन प्यारी।
मन के मधुबन में रास रचाए रसिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
जय श्री राधे कृष्णा|| "दे दो सेवा श्री चरणों की
बस अर्जी यही हमारी है... 

क्या करना, क्या ना करना है
ठाकुर आगे मर्जी तुम्हारी है..."
🏻Person with folded hands🏻जय श्री जी

Wednesday 14 September 2016

श्री राधा राधा राधा....राधा!

*श्री राधा राधा राधा....राधा!!!*
बाँवरी अपनी ही दुनिया में खोई है। राधा नाम की धुन इसके मन को मोह रही है।
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे .......।*
जागते ,खाते ,पीते,उठते,बैठते एक ही धुन में मन रम गया।
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे ........।*
कभी कान्हा जू के कानों में राधा नाम की मधुर ध्वनि पड़ती है। *आहा!उनकी प्रिया जू का नाम ही तो उनका जीवन है। कान्हा उस ध्वनि को सुनते हुए उन्मादित हो रहे।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे .......।*
*जैसे जैसे बाँवरी इस धुन में रमती जा रही वैसे ही कान्हा के हृदय में भी प्रिया जू की प्रेम तरंगे ध्वनित हो रहीं।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे ......।*
आहा !यही नाम तो सम्पूर्ण सृष्टि को आनंद देने वाला है।राधा नाम ध्वनि चलती रहती है। ये प्रेम रस अब श्यामसुन्दर के हृदय को आंदोलित कर रहा।
मोहन *प्यारी जू* के नाम धुन पर ऐसे मोहित हुए इस धुन पर नृत्य शुरू कर देते हैं। *जैसे जैसे राधा नाम धुन चलती वैसे वैसे मोहन के नृत्य की मुद्राएं उनकी भाव भंगिमाएं परिवर्तित हो रही।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे...........।*
आहा ! परम् आनन्द हो रहा। सभी जड़ चेतन का जीवन भी अपनी प्रिया जू का नाम है।प्रिया जू के कानों में ये राधा नाम ध्वनित हुआ प्यारी जू उस और आ जाती हैँ।
इधर तो राधा नाम धुन में उन्मादित बाँवरी गा रही है और मोहन उसी धुन पर नाच रहे। प्यारी जू भी मोहन को आनन्दित देख आनन्द से भर रही हैं। मेरे प्रियतम के प्रेम की क्या तुलना होगी। इनको मेरे नाम से ही इतना आनन्द हो रहा है। *प्यारी जू और प्रसन्न हो रही हैं।*
*उनकी प्रसन्नता भी बढ़ती रहती है और वो भी राधा नाम धुन पर श्यामसुन्दर के साथ ताल से ताल मिला नाचने लगती है।*
*आहा !राधे राधे राधे राधे श्री राधे......*
सत्य यही है की राधा नाम लेने वाला जहां स्वयम् आनंद में डूबने लगता वहीं *युगल की भी प्रसन्नता पाता है।*
राधा नाम की महिमा शब्दों में व्यक्त ही नहीं हो सकती। बस गाते रहिये और प्रेम सिंधु में डूबते रहें।
*राधे राधे राधे राधे राधे...*

श्याम तेरी तस्वीर

श्याम तेरी तस्वीर सिरहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

नन्हें~नन्हें हाथो से आकर हिलाएगा
फिर भी नींद ना टूटे तो मुरली मधूर बजायेगा
जाने कब आ जाए हम रुक~रुक कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

अपनापन हो अंखियों में होठो पे मुस्कान है
ऐसे मिलना जैसे की जन्मों की पहचान है
इसके खातिर अंखियाँ मसल~मसल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

कभी~कभी घबराते है क्या हम इसके हक़दार
है
जितना मुजको प्यार है तुमसे क्या तुमको
भी हमसे भी उतना प्यार है
यही सोच के करवट हम बदल~बदल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

जाने कब आ जाये हम आँगण रोज बुहारते है
मेरे इस छोटे से घर का कोना~कोना संवारते है
जिस दिन नहीं आते हो हम जी भरकर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

हर आहट पर लगता है आया वाही मेहमान है
जिससे मिलने खातिर मेरे अटके हुए प्राण है
निकल ना जाये कलेजा हम संभाल~संभाल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

एक दिन ऐसी नींद खुले तेरा दीदार हो
बनवारी फिर हो जाये ये अंखियां बेकार हो
बस इस दिन के खातिर हम दिन भर रोते हैं...
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

श्याम तेरी तस्वीर सिराहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※*** 

 Զเधे  Զเधे 

Thursday 8 September 2016

आप भी बोलिए राधे राधे...

श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
जय राधे राधे जय राधे राधे
बृजभान दुलारी राधे राधे
भक्तों की प्यारी राधे राधे
हो श्यामा प्यारी राधे राधे
हरिदास दुलारी राधे राधे
रस्कों की प्यारी राधे राधे
हमारी प्यारी राधे राधे
तुम्हारी प्यारी राधे राधे
हम सबकी प्यारी राधे राधे
हो प्यारी प्यारी राधे राधे
हो प्यारी प्यारी राधे राधे
जै राधे राधे बरसाने वाली राधे ..
आइये श्रीधाम बृन्दावन मे प्रवेश करें...
बृन्दावन में राधे राधे
सुनरक गाओं में राधे राधे
कालिदह पर राधे राधे
अद्येदपट में राधे राधे
तान गली में राधे राधे
मान गली में राधे राधे
ऒ मन गली में राधे राधे
गोकुंज गली में राधे राधे
सिवा कुंज में राधे राधे
प्रेम गली में राधे राधे
श्रींगार वट में राधे राधे
चीर घाट में राधे राधे
किशी घाट पे राधे राधे
आजीवदीप में राधे राधे
बंसी बाट में राधे राधे
ज्ञान गुबड़ी राधे राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
ब्रम्हा कुण्ड में राधे राधे
ईश्वर महादेव राधे राधे
श्री बांके बिहारी राधे राधे
शनिदेव बिहारी राधे राधे
मदन मोहन जी राधे राधे
गोपीनाथजी राधे राधे
राधादामोदर राधे राधे
राधा विनोद जी राधे राधे
साक्षी गोपालजी राधे राधे
राधा माधव जी राधे राधे
श्री राधा बल्लभजी राधे राधे
श्री युगल किशोरजी राधे राधे
श्री राधा रमण जी राधे राधे
अष्ट सखीजी राधे राधे
अटल बन में राधे राधे
बिहार बन में राधे राधे
गौ चारण बन में राधे राधे
गोपाल बन में राधे राधे
बृन्दावन का कन कन बोले श्री राधा राधा
श्री यमुनाजी की लहरें बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा श्री राधा राधा
श्याम सुन्दर की बंशी बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा
ब्रज की लता पता भी बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा
भूमि तत्वा जल तत्वा अग्नि तत्वा वायु तत्वा
ब्रन्हा तत्वा व्योम तत्वा विष्णु तत्वा घोरी है
सनकांसिद्धि तत्वा आनंद प्रशिद्धि तत्वा
नारद सुरेश तत्वा शिव तत्वा घोरी है - 3
प्रेमी काहे नाग और किन्नर को तत्वा देख्यो
शेध् और महेश तत्वा मिलती मिलती जोड़ी है
तत्वं के तत्वा जगजीवन श्री कृष्णचंद्रा
और कृश कोहू तत्वा बृजभन की किशोरी है -
और कृश कोहू तत्वा मेरी राधिका किशोरी है
श्री बृन्दावन बिहारी लाल की जय
श्री शनी बिहारी लाल की जय
श्री राधा रानी की जय
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे

आप भी बोलिए राधे राधे...

वृषभान भवन आनँद अति छायौ

आजु वृषभान भवन आनँद अति छायौ।
राधा अवतार भयौ, सब कौ मन भायौ॥
दुंदुभि नभ लगीं बजन, सुमन लगे बरसन।
धा‌ए पुरबासी सब, करन कुँवारि-दरसन॥

मंगल उत्साह मुदित नारि सकल गावत।
लै-लै कमनीय भेंट कीर्ति-महल आवत॥
नचत वृद्ध-तरुन-बाल, भ‌ए सब नचनियाँ।
तिनके मुख धन्य होन प्रगटी रागिनियाँ॥

राधा कौं जन्म जानि प्रेमी सब धा‌ए।
प्रेम सुधा बरसन की आस मन लगा‌ए॥
राधा बिनु हरै कौन मुनि-मन-हर-मन कौं।
प्रगटै बिनु पात्र को आनँद-रस-घन कौं॥

बरसैगो कृष्णघन पाय पात्र राधा।
रस-धारा पावन तब बहैगी बिनु बाधा॥
आ‌ए तहँ विविध बेष सुर-मुनि-रिषि भव-‌अज।
दरसन कौं, परसन कौं कुँवारि-चरन-पंकज॥

आ‌ए नंद-जसुमति अति चित में हरषा‌ए।
बिबिध रत्न मुकता मनि भेंट संग ला‌ए॥
प्रसव-घर पधारि महरि कुँवारि लेत कनियाँ।
चूमत अति लाड़-चाव जात बलि निछनियाँ॥

उभय मातु मिलीं अमित स्नेह तन-मन तें।
कहि न जाय मिलन-प्रीति-रीति लघु बचन तें॥
नंद वृषभानु मिले हिय सौं हिय ला‌ए।
छायौ चहुँ ओर मोद, गोद नँद भरा‌ए॥

जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे!

Wednesday 7 September 2016

सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...



तेरी पायलिया पे बाजे मुरलिया...
छम~छम नाचे गिरधारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

चन्दा से चेहरे पे बड़ी~बड़ी अंखिया...
लट लटके घुंघराली गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

बड़ी~बड़ी अंखियन में झीणों~झीणों कजरो...
घायल कुंज बिहारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

बृंदावन की कुंज गलियन में...
रास रचावे गिरधारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

कदम की डाल पे झूला पड़ा है...
झोटा देवे बिहारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

Tuesday 30 August 2016

प्रेमरस-सागर---प्रेमभिखारी

प्रेमरस निधान प्रभुसे प्रेमी भक्तकी प्रेमभरी विलक्षण प्रार्थना ।


कहाँ तुच्छ सब, कहाँ महत् तुम, पर यह कैसा अनुपम भाव !
बने प्रेमके भूखे, सबसे प्रेम चाहते करते चाव ॥

धन देते, यश देते, देते ज्ञान-शक्ति-बल, देते मान।
'किसी तरह सब तुम्हें प्रेम दें', इसीलिये सब करते दान ॥

लेते छीन सभी कुछ, देते घृणा-विपत्ति, अयश-अपमान ।
करते निष्ठुर चोट, 'चाहते तुम्हें प्रेम सब दें' भगवान ! ॥

सभी ईश्वरोंके ईश्वर तुम बने विलक्षण भिक्षु महान ।
उच्च-नीच सबसे ही तुम नित प्रेम चाहते प्रेमनिधान ॥

अनुपम, अतुल, अनोखी कैसी अजब तुम्हारी है यह चाह !
रस-समुद्र रसके प्यासे बन, रस लेते मन भर उत्साह ॥

रस उँड़ेल, रस भर, तुम करते स्वयं उसी रसका मधु पान ।
धन्य तुम्हारी रसलिप्सा यह धन्य तुम्हारा रस-विज्ञान ॥

यही प्रार्थना, प्रेम-भिखारी ! प्रेम-रसार्णव ! तुमसे आज ।
दान-पानकी मधुमय लीला करते रहो, रसिक रसराज! ॥

॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥

गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण ) से

Monday 29 August 2016

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
        
         रात अँधेरी अष्टमी।
         महीना था वो भादो।
             
नन्द भी नाचे और नाची थी  मैया।
             
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
         
      माखन चोर कहाये तुम।
खुद भी खाया – सबको खिलाया।
             
       पी गए थे तुम दहिया।
       
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
                
      गोपी संग में रास रचाया।
     राधा संग त्योहार मनाया।
          
    वृन्दावन के अमर नचैया।
            
  आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
   आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
            
    उस रास रंग में वृन्दावन के –
  क्यों न तब हमको भी मिलाया।
           
     हम भी बनते रास रचैया।
          
   आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
   आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
             
   छोड़ के पीछे सबको तुमने।
   त्याग उदाहरण पेश किया।
            
   वापस आओ धूम मचैया।
          
   आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
   आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
              
     पाप बढ़े थे कंसराज में –
        बढ़ रही थी बुराइयाँ।
     
    खुशियां बांटी कंस वधैया।
             
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
    आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

Thursday 25 August 2016

नन्दजी के अंगना में डोले रे साँवरिया,

नन्दजी के अंगना में डोले रे साँवरिया,
लाड लड़ाये सारी गूजरियां...देखो डोले रे साँवरिया ||

गोरे~गोरे मुखड़े पे लट काली लटके,
टेढ़ी~मेढ़ी चाल बाँकी आड़े टेडे झटके |
हाथो में सोहे प्यारी बाँसुरिया...देखो डोले रे साँवरिया ||

गूजरी ठिठोरी करे कान्हा मुस्काये,
बलिहारी जाये सारी लेवे रे बलायेँ |
लीला करे है नट नागरिया...देखो डोले रे साँवरिया ||

गुजरी सूं बोली मैया जाओ घर जाओ,
थक जावेगो लल्लो ऐसे ना नचाओ |
माखन की लाई क्यूँ तूं गागरिया...देखो डोले रे साँवरिया ||

रोको मत मैया मैँ तो लाड लडाउंगी,
कान्हुड़ा ने ताजा~ताजा माखन चटाऊँगी |
हर्ष हुई रे मैँ तो बावरिया...देखो डोले रे साँवरिया ||

यमुना जल मा

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ सांवरा
हल्के हाथो अंगो चौड़ी लाड लडाऊँ सांवरा

अंगो लुछि आपु वस्त्रो पीडू पीताम्बर प्यार मा
तेल सुगन्धी नाखि आपु वांकड़िया तूझ वाड मा

कुमकुम केसर तिलक सजाउ त्रिकम तारा बालमा
अलबेली आँखो मा आजू अंजन मारा बालमा

हँसती जाऊँ वाटे घाटे नाची उठ~उठ ताल मा
नजर ना लागे श्याम सुन्दर ने टपका करी दऊँ
गाल मा

पग मा झाँझर रुमझुम वागे कर मा कंकण बालमा
कंठे माला काने कुण्डल चोरे चिथरू चालमा

मोर मुकुट माथे पेहराऊँ मुरली आपु हाथमा
कृष्ण कृपालु निरखी शोभा वारी जाऊ मारा बालमा

दूध कटोरी भरी ने आपु पिओ ने मारा सांवरा
भक्त मंडल निरखी शोभा राखो शरणे मारा सांवरा....

कृष्णचंद्र उदय भ‌ए नंद-भवन सुँदर।

कृष्णचंद्र उदय भ‌ए नंद-भवन सुँदर।
सब के मन-कुमुद खिले, हरखे हिय-मंदिर॥

उमड्यौ आनंद-सिंधु ओर-छोर तज कर।
जन-मन के घाट-बाट डूबे सब सत्वर।
बाल-बृद्ध, जुवक-जुवति, सुध-बुध सब खोकर।
माते सब रंग-राग, लाज-सकुच धोकर॥-१॥

लखत नहीं को‌उ कहाँ, को‌उ नायँ बूझत।
आनँद-परिपूरन मन स्नेह-समर जूझत।
उछरत क्रमभंग सकल, अति उमंग कूदत।
मन-माने गावत सब, ताल-राग सूदत॥-२॥

नृत्य-गीत-कला-कुसल नाचत, गुन गावत।
सब के मन हरत अचिर, सबके मन भावत।
गावत सब बंदीजन-भाट सुर मिलाकर।
सबके मन मोद भरे जीवन-फल पाकर॥-३॥

दूध-दधि-माखन की मटुकिया भरकर।
आर्ईं ब्रजनागरि सब सुंदरि सज-धजकर।
माखन-दधि-दुग्ध-सरित बही चली पावन।
डूबत सिसु-गनहि मातु लगी सब उठावन॥-४॥

आनँद-‌उन्मा सकल नाचि उठे जन-मन।
तरुन-तरुनि, बाल-बृद्ध खो‌ए सब तन-मन।
नाचे बिधि-सिव-सुरेस सुर-मुनि सुधि तजकर।
नाचे उपनंद-नंद-भानु, नहीं लजकर॥-५॥

हरदी-दधि-केसर-जुतपय-नदी नहाकर।
धन्य हु‌ए स्नेह-सुधा-सरस रूप पाकर।
दुंदुभि नभ बजत बिपुल, देव सुमन बरसत।
गोकुल के भाग्य कौं सिहात सुर तरसत॥-६॥

"पद रत्नाकर " श्रद्धेय भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी

Saturday 20 August 2016

खुल गये सारे ताले वाह क्या बात होगई

खुल गये सारे ताले वाह क्या बात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई
था घनघोर अंधेरा कैसी रात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई...

खुल गये सारे ताले वाह क्या बात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई
था घनघोर अंधेरा कैसी रात होगई...

था बंधी खाना जनम लियो कान्हा
वो तब का ज़माना पुराना
ताले लगाना ये पहरे बिठाना
कंस का ज़ूलूम उठाना
उस रात का दृश्य भयंकर था
उस कंस को मारने का डर था
बादल छाए मन्ड्राए बरसात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई...

खुल गये ताले सोये थे रखवाले
हांथों में बरच्चियाँ भाले
वो दिल के काले पड़े थे पाले
वो काल के हवाले होने वाले
वासुदेव ने श्याम को उठाया था
टोकरी में श्री श्याम को लेटाया था
गोकुल धाये हर्षाए कैसी बात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई...

घटाये थी काली अजब मतवाली
की टोकरी में मोहन मुरारी
सहस फन धारी करे रखवाली
की यमुना ने बात विचारी
श्री श्याम आये है भक्तो के हितकारी
इनके चरणों में जाऊ बलिहारी
जाऊ में वारि बलिहारी मुलाकात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई...

खुल गये सारे ताले वाह क्या बात होगई
जब थे जनमे कन्हैया करामात होगई
था घनघोर अंधेरा कैसी रात होगई...

( तर्ज : तूने काजल लगाया दिन में रात होगई )

राम नाम के हीरे मोती

राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली ।
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
दोलत के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा आएगा,
धन योवन और रूप खजाना येही धरा रह जाएगा ।
सुन्दर काया माटी होगी, चर्चा होगी गली गली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
प्यारे मित्र सगे सम्बंधी इक दिन तुझे भुलायेंगे,
कल तक अपना जो कहते अग्नि पर तुझे सुलायेंगे ।
जगत सराय दो दिन की है, आखिर होगी चला चली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
क्यूँ करता है तेरी मेरी, छोड़ दे अभिमान को,
झूठे धंदे छोड़ दे बन्दे जप ले हरी के नाम को ।
दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाये कलि कलि,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
जिस जिस ने यह हीरे लुटे, वो तो मला माला हुए,
दुनिया के जो बने पुजारी, आखिर वो कंगाल हुए ।
धन दौलत और माया वालो, मैं समझाऊं गली गली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥

~~~~●◆■★|| राम राम ||★■◆●~~~~
~~~●◆■★|| जय बजरंगी ||★■◆●~~~
~~~●◆■★|| जय हनुमान ||★■◆●~~~

Saturday 13 August 2016

राधा के रमण !, श्यामा के रमण !!

तुझ ही में  जी  मेरा , तुझ ही  में  मन  ,
तेरी ही शरण  , गहूँ  तेरे   ही   चरण  ,
तेरे    ही   प्यार  में,      तरसे   नयन  ,
राधा के  रमण !, श्यामा  के रमण !!
               *
जो कुछ  दिया तूने , तुझको अर्पण ,
तेरी  ही स्वांस  हैं ,तेरी ही धड़कन  ,
तेरी  ही   प्यासा  है,    मेरा    मन ,
राधा के  रमण !, श्यामा  के रमण !!
                *
तेरी ही चाह  है , तेरी  ही   तड़पन ,
तुझको निहारूं सदा ,मन  के दर्पण,
तेरा  प्यार   है , दिल  की   धड़कन ,
राधा के  रमण !, श्यामा  के रमण !!
                  *
मैं  भुला  , न     तुम  भूले     मुझे  ,
निज   हाथों   से   दिए  झूले  मुझे,
तेरा   प्यार लगा ,मीठी सी  चुभन ,
राधा के  रमण !, श्यामा  के रमण !!
                    *
अंतिम  स्वांसों  में  प्रभु आना   तुम ,
उस  घडी , प्रभु    ना भुलाना  तुम ,
मुझको दीखें    बस,तेरे  ही  चरण  ,
राधा के  रमण !, श्यामा  के रमण !!
                   *

Wednesday 10 August 2016

तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है

कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...
मेरा सांवरा सवेरा तेरे नाम से तेरे नाम से ही ज़िन्दगी की शाम सावरे...
कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...

चिंतन हो सदा इस मन में तेरा चरणों में तेरे मेरा ध्यान रहे...
चाहे दुःख में रहू चाहे सुख में राहु...
होठो पे सदा तेरा नाम रहे तेरे नाम से ही मेरी पेहचान है...
तेरी सेवा में ही मेरा कल्याण है...
मेरा रोम~रोम करजायि है तेरे कितने गिनाऊँ एहसान सावरे...
कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...

दिल तुमसे लगाना सिखा है तुमसे ही सिखा याराना...
जीवन को सवारा है तुमने बदले मे मैं दू क्या नज़राना...
मैंने दिल हारा ये भी तेरी प्रित है...हा प्रित है...
मेरी हार में भी श्याम मेरी जीत है ...हा जीत है...
बस दिल की यही है एक आरज़ू तुजे दिल का बना लू मेहमान सावरे...
कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...

दुनिया के मैं क्या अवगुण देखु मेरे अवगुण कयी हज़ार प्रभु...
तुम अवगुण मेरे सब रख लोगे इतना है मुझे ऐतबार प्रभु...
मेरे अवगुणों से नज़रों को फेर लो...हा फेर लो...
अपनी बाहों में प्रभुजी मुझे घेर लो...हा घेर लो...
ऎसी किरपा करो ना इस दास पे रहे पाँपो ना कोई भी निशान सावरे...

कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...
मेरा सांवरा सवेरा तेरे नाम से तेरे नाम से ही ज़िन्दगी की शाम सावरे...
कभी रूठ नाना मुझसे तू श्याम सावरे मेरी ज़िन्दगी है अब तेरे नाम सांवरे...

Tuesday 9 August 2016

सावन की आई है बहार

सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में |
देखेंगे झांकी हज़ार…चलो रे वृन्दावन में ||

हर गलियों में श्याम मिलेंगे…
सखियों के संग ग्वाल मिलेंगे…
छोड़ दे सोच विचार…चलो रे वृन्दावन में…
सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में…

माखन मिश्री खाओगे प्यारे…
रबड़ी मलाई चखाओगे प्यारे…
दही मिलेगा मजेदार…चलो रे वृन्दावन में…
सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में…

रास रचाये कान्हा झूला झूले…
जमुना किनारे कान्हा गेंद को खेले…
देखेंगे लीला अपार…चलो रे वृन्दावन में…
सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में…

टिकट कटालो मनसा बनालो…
चलना है " भक्त " मन से मनालो…
पायेंगे "" साँवरे "" का प्यार…चलो रे वृन्दावन में…
सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में…

सावन की आई है बहार…चलो रे वृन्दावन में |
देखेंगे झांकी हज़ार…चलो रे वृन्दावन में ||

...✍ ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa...✍

Wednesday 3 August 2016

भक्तकी प्रभुसे प्रार्थना



चलते-चलते कर्ममार्गमें
नाथ ! शिथिल मैं हो जाऊँ।
भव-सागरकी तरल वीचिमें
पड़कर जब घबरा जाऊँ ॥

कृपाशील होकर तुम मुझको
गीता-ज्ञान बता देना ।
अपने चरण-कमलमें; स्वामी !
मेरा चित्त लगा देना ॥

ईर्ष्या-द्वेष नष्ट हो जाये ,
हृदय प्रेमसे भर जाये ।
मन-मोहनकी सुन्दरतामें,
मेरा मानस मिल जाये ॥

जभी कामना मेरे अन्त
स्तलमें शोर मचायेगी ।
उथल-पुथल जब हो जायेगी,
हृत्तन्त्री बज जायेगी ॥

प्रियतम ! मुझको तब तुम कृपया
वंशी-तान सुना देना ।
पाप-पङ्कसे मुझे बचाना,
अपनी झलक दिखा देना ॥

भगवत्सेवासे प्रक्षालित
हो जाये निर्मल संसार ।
पशुताके भग्नावशेषपर
मानवताकी जय-जयकार ॥

॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण॥ ओम नारायण ॥ 


गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगन्नाम महिमा और प्रार्थना अंक' (कल्याण ) से

क्या करूँ अर्पण आपको

क्या करूँ अर्पण आपको…मेरे श्याम…
…गया था पुष्प लेने…जैसे ही छुआ…
…एक सिहरन सी हुई…क्यों तोड़ने लगा हूँ…
…ये तो आपकी ही कृति है…आपकी ही महक इसमें…मेरे सरकार…
…आपकी वस्तु आपको कैसे दूँ…

फिर सोचता हूँ…क्या अर्पण करूँ…मेरे घनश्याम…
…ये मन…ये तो सबसे मलिन है…
…अवगुणों से भरा हुआ…जिसमे कुछ रिक्त नहीं
…छल कपट भरे पड़े…प्रेम कहाँ रखूँगा आपका नहीं नहीं…
…ये कपटी मन योग्य नहीं…आपको अर्पण करने को…

…तो क्या अर्पण करूँ…मेरे गोविन्द…
अश्रु धारा निकल पड़ी…ये अश्रु भी धोखा हैं…
…प्रेम के नहीं…
ये तो अपने सुख के अभाव में निकले…
…आपकी याद में आते तो…यही अर्पण कर देता…
…पर नहीं…ये भी झूठे है…
…क्या अर्पण करूँ…
सब मलिन है…

क्या अर्पण करूँ…मेरे साँवरे…
…मेरी आत्मा…???
…ये तो नित्य आपका दास है…ये तो आपसे ही आया है…आपका ही है…
…यही आपको अर्पण…
…शेष तो सब छूटने वाला है…
…तो यही आत्मा आपको अर्पित है…
आपका ही दास है…
…आपकी ही शरण में है…


जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Tuesday 2 August 2016

शिव शम्भो शम्भो शिव शम्भो महादेव

शिव शम्भो शम्भो शिव शम्भो महादेव
हर हर महादेव शिव शम्भो महादेव
हल हल धर शम्भो अनाथ नाथ शम्भो
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ नमः शिवाय
गंगाधर शिव गौरी शिव शम्भो शंकर साम्ब शिव
जय जगदीश्वर जय परमेश्वर हे जगदीश जगदीश्वर
विश्वाधार विश्वेश्वर शम्भो शंकर साम्ब शिव

भगवान शिव वैष्णव शिरोमणि हैं -
वैष्णवानाम यथा शम्भो ।
शिवजी गुरुतत्व भी हैं --
वन्दे बोधमयं नित्यम् गुरुम् शंकर रूपिणम् ।

हरि भक्ति और हरि नाम का आश्रय -
यही शिवजी की शिक्षाएं हैं ।
आदि शकराचार्य का सूत्र
भज गोविन्दम् मूढ़ मते ।

गाँजा- भाँग आदि पीना शिवजी की शिक्षा नहीं है
जैसा कि पाखण्डी करते हैं ।

अतः हरि नाम जपिये --
मंगल भवन अमंगल हारी ।
उमा सहित जेहिं जपत पुरारी ।।

हरि सेवा के लिए ही शिवजी हनुमान बने ।
हर और हरी का रस एक सामान है ,
व्याकरण रूप से भी हर और हरी का अर्थ एक समान ही है ,
रुद्राणां शङ्‍करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्‌ ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्‌ ॥
गीत ।8।23।
भावार्थ :  मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ।
मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥23॥

शिव को राम और राम को शिव , अति प्रिय हैं।
जो भोलेनाथ को प्रिय हैं ,
उनके स्मरण मात्र से भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं ।
** शिव शाबर मंत्र –
” हरि ॐ नमः शिवाय, शिव गुरु रामाय ”

Monday 1 August 2016

जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

जगतमें दु:ख भरे नाना । 
प्रेमधर्मकी रीति समझकर सब सहते जाना॥ 
जगतमें दु:ख भरे नाना ।। टेक ॥

झूठे वैभव पर क्यों फूला,
यह तो उँचा-नीचा झूला ।
धन-यौवनके चंचल-बलपर, कभी न इतराना ॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

नीति-सहित कर्तव्य निभाना,
अपने-अपने खेल दिखाना ।
सन्यासी हों या गृहस्थ हों, रंक हों कि राना ॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

उठना गिरना हँसना रोना,
पर चिन्तामें कभी न सोना ।
कर्मबंधके बीज न बोना, सत्य-योग-ध्याना ॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

ईश्वर एक, भरा हम सबमें,
श्रद्धा रहे राम या रबमें ।
'सबके सुखमें अपने सुख' का तत्व न बिसराना॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

दिव्य गुणोंकी कीर्ति बढ़ाना,
जग-जीवनको स्वर्ग बनाना ।
दुनियाका नंदन वन फूले, यह रस बरसाना ॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

सबही शास्त्र बने है सच्चे,
किन्तु समझनेमें हम कच्चे ।
पक्षपातका रंग चढ़ाकर, क्यों भ्रम फैलाना ॥
जगतमें दु:ख भरे नाना ॥

अविवेकी चक्कर खाता है,
तब लड़ना भिड़ना भाता है।
रागद्वेषसे बैर बसाकर, धर्म न लजवाना ॥
. जगतमें दु:ख भरे नाना ॥
॥ ओम नारायण ॥

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

रामेश्वराय शिव रामेश्वराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

गंगाधराय शिव गंगाधाराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

जटाधाराय शिव जटाधाराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

विश्वेशराय शिव विश्वेशराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय

कोटेश्वराय शिव कोटेश्वराय
हर हर बोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय
 

 हर हर महादेव

महादेव आजकल मौन हैं

महादेव” आजकल मौन हैं
नित्य हलाहल पीते हैं
संपूर्ण जगत विषैला जो हो गया है
“नील कंठ” का पूरा वर्ण
अब नीला हो गया है
“रुद्र वीणा” अब राग “विहाग” गाती है
“भैरव” को किसी श्मसान की
आवश्यकता नही रही
चलते फिरते लोग प्रायः मृतसमान हैं
शरीर जीवित है, आत्मा मृत
गण में मानव में भेद नही
क्या ये प्रकृति का उच्छेद नही
“शिव” भक्त रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं
“रुद्र” की पीड़ा का उन्हे तनिक भी भान नही
अज्ञानी हैं, क्या जाने
आँखे मूंद कर विष पीना इतना आसान नही
“गंगाधर” के जल की धारा संकीर्ण हो रही है
मानव के उच्छेद की प्रक्रिया विस्तीर्ण हो रही है
“नागेश्वर” के गले मे आज भी सर्प है
ग्लानिहीन मनुष्य को व्यर्थ का दर्प है
सर्वश्रेष्ठ प्राणी – मनुष्य विवेकहीन सिल गया
पाशविकता जैसे उसके रक्त मे मिल गया
मानव में मानवता का तुम विश्वास भरो
हे “पशुपतिनाथ” अब मानव का त्रास हरो
ज्यूँ पृथ्वी मानवता भूलने लगी है
“व्योमकेश” की जटा खुलने लगी है
“नटराज” का बायाँ पाँव उठने को आतुर
किसी प्रत्याशित तांडव को निमंत्रण दे रहा है
एक नूतन सृष्टि के निर्माण का
ब्रह्मा को नियंत्रण दे रहा है|||||

तू क्यूँ घबराता है

तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है।
जब मालिक है सिर पे...क्यूँ जी को जलाता है।।

तू देख विनय करके...तेरी लाज बचायेगा।
तू जब भी बुलायेगा...हर बार वो आयेगा।
अपने प्रेमी को दुखी...वो देख ना पाता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

जब कुछ ना दिखाई दे...तू श्याम का ध्यान लगा।
मेरा श्याम सहारा है...मन में विश्वास जगा।
जब श्याम कृपा होती...रस्ता मिल जाता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

तेरी हर मुश्किल को...चुटकी में ये हल कर दे।
कोई दाव चलाये तो...ये झट से विफल कर दे।
कोई ना जान सके...किस रूप में आता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

पड़ती जो जरूरत है...आता ये तब~तब है।
भक्त का ये अनुभव है...यहाँ सब कुछ सम्भव है।
मेरे श्याम की लीला को...कोई समज ना पता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है।
जब मालिक है सिर पे...क्यूँ जी को जलाता है।।


जय श्री कृष्ण
राधे राधे

Sunday 31 July 2016

भला किसी का कर ना सको तो

भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना |
फूल नहीं बन सकते तो तुम…कांटे बनकर मत रहना ||

बन न सको भगवान अगर तुम…कम से कम इंसान बनो |
नहीं कभी शैतान बनो…नहीं कभी हैवान बनो |
सदाचार अपना न सको तो…पापों में पग मत धरना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

स्तय वचन ना बोल सको तो…झूठ कभी भी मत बोलो |
मौन रहो तो ही अच्छा है…कम से कम विष मत घोलो |
बोलो यदि पहले तुम बोलो…फिर मुंह को मत खोला करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

घर ना किसी का बसा सको तो…झोपड़ियाँ ना जला देना |
मरहम पट्टी कर ना सको तो…खार को मतना लगा देना |
दीपक बनकर जल ना सको तो…अंधियारा भी मत करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

अमृत पिला सको ना किसी को…जहर मिलते भी डरना |
धीरज बन्धा नहीँ सकते तो…घाव किसी के मत करना |
ईश्वर के नाम की माला लेकर…सुबह शाम जपा करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

*•.¸Black heart (cards)¸.•* हरे कृष्णा *•.¸󾬐¸.•* हरे कृष्णा*•.¸󾬕
¸.•**•.¸󾬔¸.•*.कृष्णा कृष्णा.*•.¸󾬐¸.•*.हरे हरे.*•.¸󾬍
󾬐¸.•*..हरे राम..*•.¸󾬖¸.•*..हरे राम..*•.¸󾬗
¸.•**•.¸󾬔¸.•*..राम राम..*•.¸󾬐¸.•*..हरे हरे..*•.¸Black heart (cards)¸.•*

Friday 29 July 2016

झूलो की रुत है आई

झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

सावन सुहाना आया, गर्जन भी साथ लाया..
गर्जन भी साथ लाया..गर्जन भी साथ लाया..
अब देर न लगाओ...जल्दी करो तैयारी ...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

श्री वंशीवट पे प्यारी, सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर कदंब की डारी...सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर सजा है झुला...जल्दी पधारो प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

झुला तुम्हे झुलाऊ, और बांसुरी सुनाऊ...
और बांसुरी सुनाऊ...और बांसुरी सुनाऊ...
अब मान को त्यागो, ये रुत बड़ी है प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
जय श्री राधे राधे

Thursday 21 July 2016

पद रत्नाकर

श्रीराधा-माधव! यह मेरी सुन लो बिनती परम उदार।
मुझे स्थान दो निज चरणोंमें, पावन प्रभु! कर कृपा अपार॥
भूलूँ सभी जगतको, केवल रहे तुम्हारी प्यारी याद।
सुनूँ जगतकी बात न कुछ भी, सुनूँ तुम्हारे ही संवाद॥
भोगों की कुछ सुधि न रहे, देखूँ सर्वत्र तुम्हारा मुख।
मधुर-मधुर मुसकाता, नित उपजाता अमित अलौकिक सुख॥
रहे सदा प्रिय नाम तुम्हारा मधुर दिव्य रसना रसखान।
मनमें बसे तुम्हारी प्यारी मूर्ति मजु सौन्दर्य-निधान॥
तनसे सेवा करूँ तुम्हारी, प्रति इन्द्रियसे अति उल्लास।
साफ करूँ पगरखी-पीकदानी सेवा-निकुजमें खास॥
बनी खवासिन मैं चरणोंकी करूँ सदा सेवा, अति दीन।
रहूँ प्रिया-प्रियतमके नित पद-पद्म-पराग-सुसेवन-लीन॥

"पद रत्नाकर 

" श्रद्धेय भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी गीताप्रेस गोरखपुर भारत पुस्तक कोड-५०

सुन्दर तेरा मुखड़ा

सुन्दर तेरा मुखड़ा प्यारा उसपे सजे मुकुट निराला
केसरिया रंग का है जामा गले वैजन्ती माला
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

कानों मैं कुण्डल साजे अधरों पे मुरली विराजे
मुरली की तू तान सुनाने आजा फिर से प्यारे
मुरली की धुन के प्यासे तेरे दर पे बैठे है सारे
तू आजा प्यास बुझाने अब तो मेरे नन्द दुलारे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

आजा ओ हरजाई सुध लो अब तो साई
तड़प रहे हम ऐसे जैसे जल बिन मछली कन्हाई
दिन भी नहीं कटते काटे बिन तेरे अब तो बांके
तू आजा दरश दिखा दे नैनों की प्यास बुझा दे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

कब तक तुम्हें पुकारें तेरी राह निहारें
याद में तेरे बीत न जाये ये जीवन भी प्यारे
हम प्रेम की भाषा जाने तुमको अपना ही माने
आ जाओ मेरे प्यारे हम बैठे तेरे द्वारे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

( तर्ज : सूरज कब दूर गगन से…)

Sunday 17 July 2016

मेरा दिल तो दीवाना हो गया

मेरा दिल तो दीवाना हो गया , मुरली वाले तेरा…
नज़रों का निशाना हो गया , मुरली वाले तेरा…

जब से नज़र से नज़र मिल गई है…
उजड़े चमन की कली खिल गई है…
क्या नज़रें मिलाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

दिवानगी ने क्या~क्या दिखाया…
दुनियाँ छुड़ाके तुमसे मिलाया…
दिवाना जमाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

प्राणों के प्यारे कहाँ छुप गये हो…
नैनो के तारे कहाँ छुप गये हो…
क्या नज़रे मिलाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

तू मेरा प्यारा~प्यारा मैं तेरा पागल…
तिरछी नज़रों से दिल मेरा घायल…
मेरे दिल में ठिकाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

मेरा दिल तो दीवाना हो गया , मुरली वाले तेरा…
नज़रों का निशाना हो गया , मुरली वाले तेरा…

...✍ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa...✍

Wednesday 13 July 2016

निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो,

हे गोविंद....
निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो, 
ये जन्नत नही है तो फिर ओर क्या है, 
मेरे दिल को जो दर्द तुमने दिए हैं, 
ये मोहब्बत नही है तो फिर ओर क्या है...
तम्हारी दया की नजर देखते है, 
नजर का अनोखा असर देखते हैं, 
निगाहों से पल मे वो दिल का बदलना, 
ये हरकत नही है तो फिर ओर क्या है...
मेरे दिल मे तुमने जो कुछ कर दिया है, 
जहर की जगह अमृत भर दिया है, 
तुम्हारी मधुर मुस्कुराहट के पिछे, 
ये शरारत नही तो फिर ओर क्या है...
ये माना की मेरी जरूरत नही है, 
मगर प्यारे तेरी जरूरत है मुझको, 
वो मीठी सी बातो से मन मोह लेना, 
ये चाहत नही है तो फिर ओर क्या है...
मेरी सारी बिगडी बनाई है तुमने, 
मेरी जिन्दगी जगमगाई है तुमने, 
जहाँ था अंधेरा वहाँ रोशनी है, 
ये इनायत नही है तो फिर ओर क्या है...
राधे राधे गोविन्द राधे

इस योग हम कहा है..

इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...
फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

जब से जनम लिया है...विषियों ने हमको घेरा...
छल और कपट ने डाला...इस भोले मन पे डेरा...
सुदबुद्धि को अहम् ने हरदम रखा दबाये...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जग में जहां भी देखा बस एक ही चलन है...
एक दूसरे के सुख पे खुद को बड़ी जलन है...
कर्मो का लेखा जोखा कोई समज न पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

निस्चय ही हम पतित है लोभी है स्वार्थी है...
तेरा नाम जब पुकारे माया पुकारती है...
सुख भोगने की इच्छा कभी तृप्त हो ना पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जब कुछ ना कर सके तो तेरी शरण में आए...
अपराध मानते है झेलेंगे सब सजाएँ...
बस दरस तू दिखादे कुछ और हम न चाहें...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...
फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※***
󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩

Friday 8 July 2016

कुछ तो होगा ना हरि के नाम में

कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में
क्यों मीरा दीवानी भई
जगत से बेगानी भई
हँसते हुए विष पी गयी
सारा जीवन ऐसे जी गयी
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

थे धन्ने ने पत्थर को भोग पवाये
क्यों भोग पाने ठाकुर जी आये
था प्रेम से ठाकुर को पुकारा
ठाकुर ने बोला मैं हूँ तुम्हारा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों मेवे छोड़ छिलके प्रभु पाये
दुर्योधन छोड़ विरदु घर आये
हरि को भी प्रेम है भाये
हरि नाम में हरि आप समाये
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों संन्यास पाया घर बार छोड़ा
क्यों प्रभु प्रेम में विषय सुख छोड़ा
कुछ तो पाया होगा किसी ने
भक्ति के इस जाम में
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

व्यर्थ हुआ जाता जीवन सारा
फिर भी सुहावे जगत पसारा
कब मुख पर हरि नाम आएगा
कब जीवन में घनश्याम आएगा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

हरि नाम में प्रभु आप विराजे
हरि नाम ही तेरे मुख साजे
है मानुष जन्म सौभाग्य से पाया
क्यों हरि नाम बिन व्यर्थ गवाया
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

Thursday 7 July 2016

बरसाना

ब्रज का सबसे सुन्दर स्थान - बरसाना
कान्हा का प्राणो से अधिक प्यारा - बरसाना
जहां लाड़ली लाल नित्य विहार करे - बरसाना
जहां श्यामा श्याम नित्य रास करे - बरसाना
जहां श्याम मोर बनके नित्य करे - बरसाना
जहां कृष्ण राधा जु की चरण सेवा - बरसाना
श्याम श्यामा जु के आगे पीछे डोले - बरसाना
जहां श्याम श्यामा रंग होली खेले - बरसाना
जहां कान्हा नित्य सखी रूप बनावे - बरसाना
जहां नित्य आनंद रस बरसता है - बरसाना
जहां अनन्त आनंद रस की खान है - बरसाना
जहां सब करते नित्य रस पान है - बरसाना
जहां हर पल होता राधा राधा नाम है - बरसाना
जहां से श्याम की पहचान है वो है - बरसाना
ब्रज मंडल की महारानी का गाँव है - बरसाना
जो सब संतो , भक्तो की प्राण है - बरसाना
जो मेरे प्राणो से प्यारी का धाम है - बरसाना
जिसको बारम्बार नमन नमन है - बरसाना

गोविंद

गोविंद ही दिव्य है
गोविंद ही दीया है
गोविंद ही पिया है
गोविंद ही मीत है
गोविंद ही प्रीत है
गोविंद ही जीवन है
गोविंद ही प्रकाश है
गोविंद ही जीवनज्योती हैै
गोविंद ही सांस है
गोविंद ही आस है
गोविंद ही प्यास हैै
गोविंद ही प्रयास है
गोविंद ही ज्ञान है
गोविंद ही ससांर है
गोविंद ही प्यार है
गोविंद ही गीत है
गोविंद ही संगीत है
गोविंद ही लहर है
गोविंद ही भीतर है
गोविंद ही बाहर है
गोविंद ही बहार है
गोविंद ही प्राण है
गोविंद ही जान है
गोविंद ही संबल है
गोविंद ही आलंबन है
गोविंद ही दर्पण है
गोविंद ही धर्म है
गोविंद ही कर्म है
गोविंद ही मर्म है
गोविंद ही नर्म है
गोविंद ही समर्पण है
गोविंद ही प्राण है
गोविंद ही जहान है
गोविंद ही उपाय है
गोविंद ही सुझाव है
गोविंद ही आराधना है
गोविंद ही उपासना है
गोविंद ही सगुन है
गोविंद ही निर्गुण है
गोविंद ही आदि है
गोविंद ही अन्त हैै
गोविंद ही अनन्त है
गोविंद ही विलय है
गोविंद ही प्रलय है
गोविंद ही आधि है
गोविंद ही व्याधि है
गोविंद ही समाधि है
गोविंद ही जप है
गोविंद ही तप है
गोविंद ही ताप है
गोविंद ही समता है
गोविंद ही संताप है
गोविंद ही यज्ञः है
गोविंद ही हवन है
गोविंद ही समिध है
गोविंद ही समिधा है
गोविंद ही आरती है
गोविंद ही भजन है
गोविंद ही भोजन है
गोविंद ही साज है
गोविंद ही वाद्य है
गोविंद ही वन्दना है
गोविंद ही आलाप है
गोविंद ही प्यारा है
गोविंद ही न्यारा है
गोविंद ही दुलारा हैै
गोविंद ही मनन है
गोविंद ही चिंतन है
गोविंद ही वंदन है
गोविंद ही चन्दन है
गोविंद ही अभिनन्दन है
गोविंद ही नंदन है
गोविंद ही गरिमा है
गोविंद ही महिमा है
गोविंद ही चेतना है
गोविंद ही वेदना है
गोविंद ही भावना है
गोविंद ही गहना है
गोविंद ही पाहुना है
गोविंद ही अमृत है
गोविंद ही अमित है
गोविंद ही पुष्प हैं
गोविंद ही सुगंध है
गोविंद ही मंजिल है
गोविंद ही सकल जहाँ है
गोविंद समष्टि है
गोविंद ही व्यष्टि है
गोविंद ही सृष्टी है
गोविंद ही सपना है
गोविंद प्रेम झरना है
गोविंद ही अपना है

🌿हरे कृष्ण...🌿

Friday 1 July 2016

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

मेरी आँखों के तुम तारे हो
जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो
मुजको प्यार की बरसात चाहिए
दिल में तेरे भाव के जजबात चाहिए...

मुझपे तेरी किर्पा यूँ कम ना है
फिर भी एक छोटी सी तमन्ना है
जीते जी एक तुमसे मुलाकात चिहिए
हर कदम पे कान्हा तेरा साथ चाहिए...

मेरी दुनिया को तुम बसाए हो
मेरे दिल में तुम समाए हो
नाम तेरा होठों पे दिन रात चाहिए
जिक्र हो तेरा ऐसी सौगात चाहिए...

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

~~( तर्ज : देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए...)

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa "
!! Զเधे Զเधे !!

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मटकी से माखन फिर से चुरा
गोपियों का विरह तू आके मिटा
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मैं कटपुतली डोर तेरे साथ
कुछ भी नहीं है अब मेरे साथ
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

जय जय राम...जय जय राम...जय जय राम...
सीता राम...जय जय राम...जय जय राम...

हे नंदलाल हे कृष्णा स्वामी
तुम तो हो ग्यानी ध्यानी अंतर्यामी
महिमा तुम्हारी जो भी समज न पाये
ख़ाक में मिल जाये वो खलकामि
ऐसा विज्ञान जो की तुझको ना माने
तेरी श्रद्धालु की शक्ति ना जाने
जो पाठ पढ़ाया था तुमने गीत का अर्जुन को
वो आज भी सच्ची राह दिखाये मेरे जिवन को
मेरी आत्मा को अब ना सता
जल्दी से आके मोहे दरस दिखा
ए मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

नैया मझधार में भी तूने बचाया
गीता का ज्ञान देके जग को जगाया
छु लिया जमीं से ही आसमा का तारा
नरसिंह रूप धरके हिरण्य को मारा
रावण के सर को काटा राम रूप लेके
राधा का मन चुराया प्रेम रंग देके
मेरी नैनों में फूल खिले सब तेरी खुशबु के
में जीवन साथी चुन लू तेरे पैरों को छु के
किसके माथे सजाऊ मोर पंख तेरा
कई सदियों जन्मों से तू है मेरा
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मोरे गोविन्द लाला मोरा ताँका सा ओरा जी का धोरा
उसकी कहीं न कोई खबर आजा कहीं न ओ तोह नजर
आजा आजा झलक दिखा जा देर ना कर आजा गोविंदा गोपाला
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

╲\╭┓
╭ 󾁁 ╯
┗╯\╲☆●☆Medium white star☆ jαι ѕняєє кяιѕниα

Sunday 26 June 2016

"साँवरिया" " राधा " यूँ रो रो कहे...

एक बार तो " राधा " बनकर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...

क्या होते हैं आँसू...क्या पीड़ा होती है,,,
क्यों दर्द उठता हैं...क्यों आँखे रोती हैं,,,
एक बार तो आँसू बहाकर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...||1||

जब कोई सुनेगा ना तेरे मन के दुखडे,,,
जब ताने सुन सुन कर होंगे दिल के टुकड़े,,,
एक बार जरा तुम ताने सुन कर देखो...मेरे...
"साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...||2||

क्या जानोगे " मोहन " तुम प्रेम की भाषा,,,
क्या होती है 'आशा ' क्या होती ' निराशा ',,,
एक बार जरा तुम प्रेम करके देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
"राधा" यूँ रो रो कहे...||3||

पनघट पे मधुवन में वो इंतज़ार करना,,,
कहे " श्याम " तेरी खातिर घुट घुट कर मरना,,,
एक बार किसी का इंतज़ार कर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
"राधा" यूँ रो रो कहे...||4||

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󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩
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Thursday 23 June 2016

हर हर महादेव

करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |

सदा वसंतम हृदयारविंदे

भवम भवानी सहितं नमामि ||


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव |

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देव देव ||


सेवा पूजा बन्दगी सभी आपके हाथ

में तो कछु जानू नहीं आप जानो भोलेनाथ

शिव समान दाता नहीं विपत्ति विधारण हार

लज्जा सबकी राखियों जग के पलनहार

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


शिव शक्ति माँ शैलजा विन्ध्वासिनी नाथ

शक्ति के सइयोग से पुराण हो सब काम

सिंघ चढ़े दुर्गा मिले गरुड़ चढ़े भगवान्

बैल चढ़े बाबा मिले निश्चित हो कल्याण

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


ॐ कर में तार है है अनन्त पलतार

भूतेश्वर महादेव का साँचा है दरबार

दाता के दरबार में मांगे सब कर जोड़

देनेवाला एक है मांगत लाख करोड़

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


कोई कहे कैलाशपति कोई गिरजनाथ

वासी तुम कैलाश से बसो ह्रदय में आज

पुष्पांजलि स्वीकार लो ह्रदय कमल मुस्कात

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


Ψ 󾠆 Ψ

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󾭩󾕓 󾬢 ॐ नमः शिवाय 󾬢 󾕓󾭩

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󾭩󾕓 󾬢 हर हर महादेव 󾬢 󾕓󾭩