आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
रात अँधेरी अष्टमी।
महीना था वो भादो।
नन्द भी नाचे और नाची थी मैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
माखन चोर कहाये तुम।
खुद भी खाया – सबको खिलाया।
पी गए थे तुम दहिया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
गोपी संग में रास रचाया।
राधा संग त्योहार मनाया।
वृन्दावन के अमर नचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
उस रास रंग में वृन्दावन के –
क्यों न तब हमको भी मिलाया।
हम भी बनते रास रचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
छोड़ के पीछे सबको तुमने।
त्याग उदाहरण पेश किया।
वापस आओ धूम मचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
पाप बढ़े थे कंसराज में –
बढ़ रही थी बुराइयाँ।
खुशियां बांटी कंस वधैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
रात अँधेरी अष्टमी।
महीना था वो भादो।
नन्द भी नाचे और नाची थी मैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
माखन चोर कहाये तुम।
खुद भी खाया – सबको खिलाया।
पी गए थे तुम दहिया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
गोपी संग में रास रचाया।
राधा संग त्योहार मनाया।
वृन्दावन के अमर नचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
उस रास रंग में वृन्दावन के –
क्यों न तब हमको भी मिलाया।
हम भी बनते रास रचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
छोड़ के पीछे सबको तुमने।
त्याग उदाहरण पेश किया।
वापस आओ धूम मचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
पाप बढ़े थे कंसराज में –
बढ़ रही थी बुराइयाँ।
खुशियां बांटी कंस वधैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
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