Sunday 31 July 2016

भला किसी का कर ना सको तो

भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना |
फूल नहीं बन सकते तो तुम…कांटे बनकर मत रहना ||

बन न सको भगवान अगर तुम…कम से कम इंसान बनो |
नहीं कभी शैतान बनो…नहीं कभी हैवान बनो |
सदाचार अपना न सको तो…पापों में पग मत धरना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

स्तय वचन ना बोल सको तो…झूठ कभी भी मत बोलो |
मौन रहो तो ही अच्छा है…कम से कम विष मत घोलो |
बोलो यदि पहले तुम बोलो…फिर मुंह को मत खोला करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

घर ना किसी का बसा सको तो…झोपड़ियाँ ना जला देना |
मरहम पट्टी कर ना सको तो…खार को मतना लगा देना |
दीपक बनकर जल ना सको तो…अंधियारा भी मत करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

अमृत पिला सको ना किसी को…जहर मिलते भी डरना |
धीरज बन्धा नहीँ सकते तो…घाव किसी के मत करना |
ईश्वर के नाम की माला लेकर…सुबह शाम जपा करना ||
भला किसी का कर ना सको तो…बुरा किसी का मत करना…

*•.¸Black heart (cards)¸.•* हरे कृष्णा *•.¸󾬐¸.•* हरे कृष्णा*•.¸󾬕
¸.•**•.¸󾬔¸.•*.कृष्णा कृष्णा.*•.¸󾬐¸.•*.हरे हरे.*•.¸󾬍
󾬐¸.•*..हरे राम..*•.¸󾬖¸.•*..हरे राम..*•.¸󾬗
¸.•**•.¸󾬔¸.•*..राम राम..*•.¸󾬐¸.•*..हरे हरे..*•.¸Black heart (cards)¸.•*

Friday 29 July 2016

झूलो की रुत है आई

झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

सावन सुहाना आया, गर्जन भी साथ लाया..
गर्जन भी साथ लाया..गर्जन भी साथ लाया..
अब देर न लगाओ...जल्दी करो तैयारी ...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

श्री वंशीवट पे प्यारी, सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर कदंब की डारी...सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर सजा है झुला...जल्दी पधारो प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...

झुला तुम्हे झुलाऊ, और बांसुरी सुनाऊ...
और बांसुरी सुनाऊ...और बांसुरी सुनाऊ...
अब मान को त्यागो, ये रुत बड़ी है प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
जय श्री राधे राधे

Thursday 21 July 2016

पद रत्नाकर

श्रीराधा-माधव! यह मेरी सुन लो बिनती परम उदार।
मुझे स्थान दो निज चरणोंमें, पावन प्रभु! कर कृपा अपार॥
भूलूँ सभी जगतको, केवल रहे तुम्हारी प्यारी याद।
सुनूँ जगतकी बात न कुछ भी, सुनूँ तुम्हारे ही संवाद॥
भोगों की कुछ सुधि न रहे, देखूँ सर्वत्र तुम्हारा मुख।
मधुर-मधुर मुसकाता, नित उपजाता अमित अलौकिक सुख॥
रहे सदा प्रिय नाम तुम्हारा मधुर दिव्य रसना रसखान।
मनमें बसे तुम्हारी प्यारी मूर्ति मजु सौन्दर्य-निधान॥
तनसे सेवा करूँ तुम्हारी, प्रति इन्द्रियसे अति उल्लास।
साफ करूँ पगरखी-पीकदानी सेवा-निकुजमें खास॥
बनी खवासिन मैं चरणोंकी करूँ सदा सेवा, अति दीन।
रहूँ प्रिया-प्रियतमके नित पद-पद्म-पराग-सुसेवन-लीन॥

"पद रत्नाकर 

" श्रद्धेय भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी गीताप्रेस गोरखपुर भारत पुस्तक कोड-५०

सुन्दर तेरा मुखड़ा

सुन्दर तेरा मुखड़ा प्यारा उसपे सजे मुकुट निराला
केसरिया रंग का है जामा गले वैजन्ती माला
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

कानों मैं कुण्डल साजे अधरों पे मुरली विराजे
मुरली की तू तान सुनाने आजा फिर से प्यारे
मुरली की धुन के प्यासे तेरे दर पे बैठे है सारे
तू आजा प्यास बुझाने अब तो मेरे नन्द दुलारे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

आजा ओ हरजाई सुध लो अब तो साई
तड़प रहे हम ऐसे जैसे जल बिन मछली कन्हाई
दिन भी नहीं कटते काटे बिन तेरे अब तो बांके
तू आजा दरश दिखा दे नैनों की प्यास बुझा दे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

कब तक तुम्हें पुकारें तेरी राह निहारें
याद में तेरे बीत न जाये ये जीवन भी प्यारे
हम प्रेम की भाषा जाने तुमको अपना ही माने
आ जाओ मेरे प्यारे हम बैठे तेरे द्वारे
…कन्हैया तू " अनोखा " न्यारा है भक्तों का सहारा...

( तर्ज : सूरज कब दूर गगन से…)

Sunday 17 July 2016

मेरा दिल तो दीवाना हो गया

मेरा दिल तो दीवाना हो गया , मुरली वाले तेरा…
नज़रों का निशाना हो गया , मुरली वाले तेरा…

जब से नज़र से नज़र मिल गई है…
उजड़े चमन की कली खिल गई है…
क्या नज़रें मिलाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

दिवानगी ने क्या~क्या दिखाया…
दुनियाँ छुड़ाके तुमसे मिलाया…
दिवाना जमाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

प्राणों के प्यारे कहाँ छुप गये हो…
नैनो के तारे कहाँ छुप गये हो…
क्या नज़रे मिलाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

तू मेरा प्यारा~प्यारा मैं तेरा पागल…
तिरछी नज़रों से दिल मेरा घायल…
मेरे दिल में ठिकाना हो गया…मुरली वाले तेरा…

मेरा दिल तो दीवाना हो गया , मुरली वाले तेरा…
नज़रों का निशाना हो गया , मुरली वाले तेरा…

...✍ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa...✍

Wednesday 13 July 2016

निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो,

हे गोविंद....
निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो, 
ये जन्नत नही है तो फिर ओर क्या है, 
मेरे दिल को जो दर्द तुमने दिए हैं, 
ये मोहब्बत नही है तो फिर ओर क्या है...
तम्हारी दया की नजर देखते है, 
नजर का अनोखा असर देखते हैं, 
निगाहों से पल मे वो दिल का बदलना, 
ये हरकत नही है तो फिर ओर क्या है...
मेरे दिल मे तुमने जो कुछ कर दिया है, 
जहर की जगह अमृत भर दिया है, 
तुम्हारी मधुर मुस्कुराहट के पिछे, 
ये शरारत नही तो फिर ओर क्या है...
ये माना की मेरी जरूरत नही है, 
मगर प्यारे तेरी जरूरत है मुझको, 
वो मीठी सी बातो से मन मोह लेना, 
ये चाहत नही है तो फिर ओर क्या है...
मेरी सारी बिगडी बनाई है तुमने, 
मेरी जिन्दगी जगमगाई है तुमने, 
जहाँ था अंधेरा वहाँ रोशनी है, 
ये इनायत नही है तो फिर ओर क्या है...
राधे राधे गोविन्द राधे

इस योग हम कहा है..

इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...
फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

जब से जनम लिया है...विषियों ने हमको घेरा...
छल और कपट ने डाला...इस भोले मन पे डेरा...
सुदबुद्धि को अहम् ने हरदम रखा दबाये...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जग में जहां भी देखा बस एक ही चलन है...
एक दूसरे के सुख पे खुद को बड़ी जलन है...
कर्मो का लेखा जोखा कोई समज न पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

निस्चय ही हम पतित है लोभी है स्वार्थी है...
तेरा नाम जब पुकारे माया पुकारती है...
सुख भोगने की इच्छा कभी तृप्त हो ना पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जब कुछ ना कर सके तो तेरी शरण में आए...
अपराध मानते है झेलेंगे सब सजाएँ...
बस दरस तू दिखादे कुछ और हम न चाहें...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...
फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※***
󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩

Friday 8 July 2016

कुछ तो होगा ना हरि के नाम में

कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में
क्यों मीरा दीवानी भई
जगत से बेगानी भई
हँसते हुए विष पी गयी
सारा जीवन ऐसे जी गयी
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

थे धन्ने ने पत्थर को भोग पवाये
क्यों भोग पाने ठाकुर जी आये
था प्रेम से ठाकुर को पुकारा
ठाकुर ने बोला मैं हूँ तुम्हारा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों मेवे छोड़ छिलके प्रभु पाये
दुर्योधन छोड़ विरदु घर आये
हरि को भी प्रेम है भाये
हरि नाम में हरि आप समाये
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों संन्यास पाया घर बार छोड़ा
क्यों प्रभु प्रेम में विषय सुख छोड़ा
कुछ तो पाया होगा किसी ने
भक्ति के इस जाम में
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

व्यर्थ हुआ जाता जीवन सारा
फिर भी सुहावे जगत पसारा
कब मुख पर हरि नाम आएगा
कब जीवन में घनश्याम आएगा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

हरि नाम में प्रभु आप विराजे
हरि नाम ही तेरे मुख साजे
है मानुष जन्म सौभाग्य से पाया
क्यों हरि नाम बिन व्यर्थ गवाया
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

Thursday 7 July 2016

बरसाना

ब्रज का सबसे सुन्दर स्थान - बरसाना
कान्हा का प्राणो से अधिक प्यारा - बरसाना
जहां लाड़ली लाल नित्य विहार करे - बरसाना
जहां श्यामा श्याम नित्य रास करे - बरसाना
जहां श्याम मोर बनके नित्य करे - बरसाना
जहां कृष्ण राधा जु की चरण सेवा - बरसाना
श्याम श्यामा जु के आगे पीछे डोले - बरसाना
जहां श्याम श्यामा रंग होली खेले - बरसाना
जहां कान्हा नित्य सखी रूप बनावे - बरसाना
जहां नित्य आनंद रस बरसता है - बरसाना
जहां अनन्त आनंद रस की खान है - बरसाना
जहां सब करते नित्य रस पान है - बरसाना
जहां हर पल होता राधा राधा नाम है - बरसाना
जहां से श्याम की पहचान है वो है - बरसाना
ब्रज मंडल की महारानी का गाँव है - बरसाना
जो सब संतो , भक्तो की प्राण है - बरसाना
जो मेरे प्राणो से प्यारी का धाम है - बरसाना
जिसको बारम्बार नमन नमन है - बरसाना

गोविंद

गोविंद ही दिव्य है
गोविंद ही दीया है
गोविंद ही पिया है
गोविंद ही मीत है
गोविंद ही प्रीत है
गोविंद ही जीवन है
गोविंद ही प्रकाश है
गोविंद ही जीवनज्योती हैै
गोविंद ही सांस है
गोविंद ही आस है
गोविंद ही प्यास हैै
गोविंद ही प्रयास है
गोविंद ही ज्ञान है
गोविंद ही ससांर है
गोविंद ही प्यार है
गोविंद ही गीत है
गोविंद ही संगीत है
गोविंद ही लहर है
गोविंद ही भीतर है
गोविंद ही बाहर है
गोविंद ही बहार है
गोविंद ही प्राण है
गोविंद ही जान है
गोविंद ही संबल है
गोविंद ही आलंबन है
गोविंद ही दर्पण है
गोविंद ही धर्म है
गोविंद ही कर्म है
गोविंद ही मर्म है
गोविंद ही नर्म है
गोविंद ही समर्पण है
गोविंद ही प्राण है
गोविंद ही जहान है
गोविंद ही उपाय है
गोविंद ही सुझाव है
गोविंद ही आराधना है
गोविंद ही उपासना है
गोविंद ही सगुन है
गोविंद ही निर्गुण है
गोविंद ही आदि है
गोविंद ही अन्त हैै
गोविंद ही अनन्त है
गोविंद ही विलय है
गोविंद ही प्रलय है
गोविंद ही आधि है
गोविंद ही व्याधि है
गोविंद ही समाधि है
गोविंद ही जप है
गोविंद ही तप है
गोविंद ही ताप है
गोविंद ही समता है
गोविंद ही संताप है
गोविंद ही यज्ञः है
गोविंद ही हवन है
गोविंद ही समिध है
गोविंद ही समिधा है
गोविंद ही आरती है
गोविंद ही भजन है
गोविंद ही भोजन है
गोविंद ही साज है
गोविंद ही वाद्य है
गोविंद ही वन्दना है
गोविंद ही आलाप है
गोविंद ही प्यारा है
गोविंद ही न्यारा है
गोविंद ही दुलारा हैै
गोविंद ही मनन है
गोविंद ही चिंतन है
गोविंद ही वंदन है
गोविंद ही चन्दन है
गोविंद ही अभिनन्दन है
गोविंद ही नंदन है
गोविंद ही गरिमा है
गोविंद ही महिमा है
गोविंद ही चेतना है
गोविंद ही वेदना है
गोविंद ही भावना है
गोविंद ही गहना है
गोविंद ही पाहुना है
गोविंद ही अमृत है
गोविंद ही अमित है
गोविंद ही पुष्प हैं
गोविंद ही सुगंध है
गोविंद ही मंजिल है
गोविंद ही सकल जहाँ है
गोविंद समष्टि है
गोविंद ही व्यष्टि है
गोविंद ही सृष्टी है
गोविंद ही सपना है
गोविंद प्रेम झरना है
गोविंद ही अपना है

🌿हरे कृष्ण...🌿

Friday 1 July 2016

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

मेरी आँखों के तुम तारे हो
जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो
मुजको प्यार की बरसात चाहिए
दिल में तेरे भाव के जजबात चाहिए...

मुझपे तेरी किर्पा यूँ कम ना है
फिर भी एक छोटी सी तमन्ना है
जीते जी एक तुमसे मुलाकात चिहिए
हर कदम पे कान्हा तेरा साथ चाहिए...

मेरी दुनिया को तुम बसाए हो
मेरे दिल में तुम समाए हो
नाम तेरा होठों पे दिन रात चाहिए
जिक्र हो तेरा ऐसी सौगात चाहिए...

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

~~( तर्ज : देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए...)

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa "
!! Զเधे Զเधे !!

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मटकी से माखन फिर से चुरा
गोपियों का विरह तू आके मिटा
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मैं कटपुतली डोर तेरे साथ
कुछ भी नहीं है अब मेरे साथ
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

जय जय राम...जय जय राम...जय जय राम...
सीता राम...जय जय राम...जय जय राम...

हे नंदलाल हे कृष्णा स्वामी
तुम तो हो ग्यानी ध्यानी अंतर्यामी
महिमा तुम्हारी जो भी समज न पाये
ख़ाक में मिल जाये वो खलकामि
ऐसा विज्ञान जो की तुझको ना माने
तेरी श्रद्धालु की शक्ति ना जाने
जो पाठ पढ़ाया था तुमने गीत का अर्जुन को
वो आज भी सच्ची राह दिखाये मेरे जिवन को
मेरी आत्मा को अब ना सता
जल्दी से आके मोहे दरस दिखा
ए मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

नैया मझधार में भी तूने बचाया
गीता का ज्ञान देके जग को जगाया
छु लिया जमीं से ही आसमा का तारा
नरसिंह रूप धरके हिरण्य को मारा
रावण के सर को काटा राम रूप लेके
राधा का मन चुराया प्रेम रंग देके
मेरी नैनों में फूल खिले सब तेरी खुशबु के
में जीवन साथी चुन लू तेरे पैरों को छु के
किसके माथे सजाऊ मोर पंख तेरा
कई सदियों जन्मों से तू है मेरा
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

मोरे गोविन्द लाला मोरा ताँका सा ओरा जी का धोरा
उसकी कहीं न कोई खबर आजा कहीं न ओ तोह नजर
आजा आजा झलक दिखा जा देर ना कर आजा गोविंदा गोपाला
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...
मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा...

╲\╭┓
╭ 󾁁 ╯
┗╯\╲☆●☆Medium white star☆ jαι ѕняєє кяιѕниα