Saturday 29 July 2017

हे नाथ

राग भीमपलासी-ताल कहरवा

हे नाथ ! तुम्हीं सबके मालिक, तुम ही सबके रखवारे हो ।
तुम ही सब जग में व्याप रहे विभु ! रूप अनेकों धारे हो ।।

तुम ही नभ-जल-थल-अग्नि तुम्हीं, तुम सूरज-चाँद-सितारे हो ।
यह सभी चराचर है तुममें, तुम ही सबके ध्रुवतारे हो ।।

* * *

हम महामूढ़ अज्ञानी-जन प्रभु ! भव-सागर में डूब रहे ।
नहिं नेक तुम्हारी भक्ति करें, मन मलिन विषय में खूब रहे ।।

सत्संगति में नहिं जायँ कभी, खल-संगति में भरपूर रहे ।
सहते दारुण दुख दिवस-रैन, हम सच्चे सुख से दूर रहे ।।

* * *

तुम दीनबन्धु, जग-पावन हो, हम दीन-पतित अति भारी हैं ।
है नहीं जगत में ठौर कहीं, हम आये शरण तुम्हारी हैं ।।

हम पड़े तुम्हारे हैं दरपर, तुमपर तन-मन-धन वारे हैं ।
अब कष्ट हरो हरि, हे हमरे ! हम निंदित निपट दुखारे हैं ।।

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इस टूटी-फूटी नैया को, भवसागर से खेना होगा ।
फिर निज हाथों से नाथ ! उठाकर, पास बिठा लेना होगा ।।

हे अशरण-शरण ! अनाथनाथ ! अब तो आश्रय देना होगा ।
हमको निज चरणों का निश्चित नित दास बना लेना होगा ।।

Friday 14 July 2017

जय श्रीवृन्दावन

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय रजरानी
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति यमुने रसरानी

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति  गिरिराज गोवर्धन
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय इंद्रमद मर्दन

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय बरसाना धाम
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय श्रीराधा नाम

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय गह्वरवन
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय मधुबन

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय ब्रज लतापतन
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय युगलचरण

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय युगल किशोर
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय प्रेमरस कोर

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति परमप्रेम धाम
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
मन आठों पहर जपत अभिराम

जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जिव्हा रटे क्षण क्षण यही नाम
जयति जयति जय श्रीवृन्दावन
जयति जयति जय परम सुखधाम