Friday 29 April 2016

श्री राधा


श्री राधा- दुःख में सुख का एहसास है,
श्रीराधा हरपल मेरे आस पास है ।
श्रीराधा मन की आत्मा है,
श्रीराधा साक्षात् परमात्मा है ।
श्रीराधा भक्ति और ज्ञान है,
श्रीराधा गीता और पुराण है ।
श्रीराधा ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
श्रीराधा श्री हरी का ही एक रूप है ।
श्रीराधा तपती धूप में साया है,
श्रीराधा आदि शक्ति महामाया है ।
श्रीराधा जीवन में प्रकाश है,
श्रीराधा निराशा में आस है ।
श्रीराधा महीनों में सावन है,
श्रीराधा गंगा सी पावन है ।
श्रीराधा वृक्षों में पीपल है,
श्रीराधा फलों में श्रीफल है ।
श्रीराधा देवियों में गायत्री है,
श्रीराधा मनुज देह में सावित्री है ।
श्रीराधा ईश् वंदना का गायन है,
श्रीराधा चलती फिरती रामायन है ।
श्रीराधा रत्नों की माला है,
श्रीराधा अँधेरे में उजाला है,
श्रीराधा बंदन और रोली है,
श्रीराधा रक्षासूत्र की मौली है ।
श्रीराधा ममता का प्याला है,
श्रीराधा शीत में दुशाला है ।
श्रीराधा गुड सी मीठी बोली है,
श्रीराधा दशहरा दिवाली, होली है ।
श्रीराधा इस भक्ति मार्गमें हमें लाई है,
श्रीराधा की याद हमें अति की आई है ।
श्रीराधा सरस्वती लक्ष्मी और दुर्गा माई है,
श्रीराधा ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
प्रति दिन में बस ये इक पुण्य का काम करो।
श्री राधा को दंडवत प्रणाम करो ।।
󾁃󾁅श्री राधा राधा󾁅󾁃

Tuesday 26 April 2016

फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

जब से जनम लिया है...विषियों ने हमको घेरा...
छल और कपट ने डाला...इस भोले मन पे डेरा...
सुदबुद्धि को अहम् ने हरदम रखा दबाये...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जग में जहां भी देखा बस एक ही चलन है...
एक दूसरे के सुख पे खुद को बड़ी जलन है...
कर्मो का लेखा जोखा कोई समज न पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

निस्चय ही हम पतित है लोभी है स्वार्थी है...
तेरा नाम जब पुकारे माया पुकारती है...
सुख भोगने की इच्छा कभी तृप्त हो ना पाए...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

जब कुछ ना कर सके तो तेरी शरण में आए...
अपराध मानते है झेलेंगे सब सजाएँ...
बस दरस तू दिखादे कुछ और हम न चाहें...
इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...

इस योग हम कहा है...कान्हा तुम्हें मनायें...
फिर भी मना रहे है...शायद तू मान जाये...

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󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩

Friday 22 April 2016

घनश्याम की शोभा


मेरे घनश्याम की जुल्फे अजब नागिन-सी काली है।
किसी के दिल को डसने के लिये मानों ये पाली हैं। ।
अजायब चाँद सा" मुखडा, दमकती खोर केशर की ।
सुहाई नील- क्जों से कपोलों की गुलाली है । ।
नुकीली नासिका थिरकन गजब बेसर के मोती की ।
लिये बैठा मनो: शुक चोंच मे: मुक्ता की डाली है ।
निगाहे शान शमसीरें हमारे दिल की कातिल हैं ।
वहीँ समझेगा इनकी मार जिसने पीर पाली है ।
दुपट्टा जर्द लासानी जरी न्क्काश्दारी का ।
नहीं कुछ तोर रखती जो कमर पर पेंच डालीं है ।
बनी बनमाल फूलों की फबी है जाके कदमों तक ।
फिसल पड़ती है आँखें भी छटा ऐसी निराली है ।
कदम की छाँह के नीचे खडे बाँकी अदाँ से हैं ।
मधुर मुरली के रद्गधों से सुरीली धुन सम्हाली है ।
यही नखरे भरी झांकी हमारे दिल में आ बैठे ।
तो भर जाये तेरा जलवा जो दिल में जगह खाली है।

Saturday 16 April 2016

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई...

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम, एक सांचा दूजा
ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई...

जीवन आणि जानी छाया,
जीवन आणि जानी छाया,
जूठी माया, झूठी काया,
फिर काहे को सारी उमरिया,
फिर काहे को सारी उमरिया,
पाप को गठरी ढोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम, एक सांचा दूजा ना कोई॥

ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
यह जग योगी वाला फेरा,
राजा हो या रंक सभी का,
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम, एक सांचा दूजा ना कोई॥

बाहर की तो माटी फांके,
बाहर की तो माटी फांके,
मन के भीतर क्यूँ ना झांके
उजले तन पर मान किया,
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई॥
सुख के सब साथी,दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम, एक सांचा दूजा ना कोई॥

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई ॥
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम, एक सांचा दूजा ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई...

Wednesday 13 April 2016

धन्य कृष्णा धन्य-धन्य तेरी माया।



बालकपन में माटी खाई, मात यशोदा बाँधन आई
मुख अन्दर ब्रह्मांड दिखाया ||

धन्य ---------------

नरसी भगत ने आस लगाई, कैसे भात भरूँगा भाई
अम्बर से कंचन बरसाया ||

धन्य ---------------

द्रुपद-सुता दुष्टों ने घेरी, रक्खी लाज करी ना देरी
भरी सभा में चीर बढ़ाया ||

धन्य ---------------

भक्त सुदामा तंदुल लाए, बड़े प्रेम से भोग लगाए
तन्दुल खा धनवान बनाया ||

धन्य ---------------

जयद्रथ की जब खबर न पाई, अर्जुन ने जब चिता सजाई
माया का सूरज चमकाया ||

धन्य ---------------

गान्धारी के पुत्र मरे जब, अर्जुन को जब मोह हुआ तब
गीता का उपदेश सुनाया ||

धन्य ---------------

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Friday 8 April 2016

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया 
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...

एक तो तेरे नैन तिरछे दूसरा काजल लगा
तीसरा नज़रे मिलाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे होंठ पतले दूसरा लाली लगी
तीसरा तेरा मुस्कुराना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे हाथ कोमल दूसरा मेहन्दी लगी
तीसरा मुरली बजाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे पाँव नाजुक दूसरा पायल बंधी
तीसरा तेरे घुँघरू बजाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे भोग छप्पन दूसरा माखन घना
तीसरा खिचडे का खाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी
तीसरा मीरा का गाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तुम देवता हो दूसरा प्रियतम मेरे
तीसरा सपनो में आना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa "
!! Զเधे Զเधे !!

Saturday 2 April 2016

फूल तुम्हे भेजा है खत में फूल नहीं मेरा दिल है

साँवरे के दर पे प्यारे दौड़ा~दौड़ा जो आये 
साँवरा भी उसके घर पे मुस्कुराता नजर आये... 

तन~मन तू भी सौंप दे इसको ये तो सबका अपना,,, 
अपना बनके जो भी आता ये भी बन जाता उसका,,, 
भूल जा चाहे कुछ भी प्यारे भूल न तू इसको जाना,,, 
ये है सबका रखवाला तू याद सदा प्यारे रखना,,, 
साँवरे के दर पे प्यारे दौड़ा~दौड़ा जो आये 
साँवरा भी उसके घर पे मुस्कुराता नजर आये... 

जब नानी बाई ने पुकारा दौड़ा आया सांवरियाँ,,, 
और निभाया भाई बनके धर्म का वो प्यारा रिश्ता,,, 
आज भी आता मायरे की रस्म निभाने सांवरियाँ,,, 
अपने भक्तों की लाज बचाता जग में सांवरियाँ,,, 
साँवरे के दर पे प्यारे दौड़ा~दौड़ा जो आये 
साँवरा भी उसके घर पे मुस्कुराता नजर आये... 

हे गिरधर गोपाल सांवरियाँ तू ही है सबका दाता,,, 
अपने भक्तों का मेरे प्यारे तू ही है पालनहारा,,, 
रखता जो विश्वास ये दिल में बिन मांगे सब पा जाता,,, 
जग में एक ही है ये "" अनोखा "" सेठ सांवरियाँ हमारा,,, 
राजा कटरा वाला सांवरियाँ सेठ हमारा,,, 
साँवरे के दर पे प्यारे दौड़ा~दौड़ा जो आये 
साँवरा भी उसके घर पे मुस्कुराता नजर आये... 

साँवरे के दर पे प्यारे दौड़ा~दौड़ा जो आये 
साँवरा भी उसके घर पे मुस्कुराता नजर आये...