Thursday 29 September 2016

तेरे भरोसे है नाथ

अब और ना तड़पाओ सांवरे…तेरे भरोसे है नाथ
अब और ना तड़पाओ सांवरे…दूर ना तुम जाओ
तेरे भरोसे है नाथ…

एक बार चले आओ सांवरे…यूँ न बिसराओ
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

इस जीवन नैया को…भव पार करा दो नाथ…
विषयों के तूफाँ से…इसको बचालो नाथ…
कहीं दुब न जाये नाथ…थाम लो…आकर के पतवार…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

उस पार बैठे हो…क्यूँ भूल कर हमको…
हम भी तुम्हारे हैं…क्या भूल गये हमको…
कबसे तुम्हारी राह निहारे…बैठे हम इस पर…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

तुम्हे छोड़ के बोलो…जायें कहाँ हम नाथ…
दुःख~दर्द इस दिल के…किसको सुनायें नाथ…
अर्ज़ी हमारी तुमसे "" अनोखी ""…सुन भी लो सरकार…
तेरे भरोसे है नाथ…तेरे भरोसे है नाथ…

"" दिव्येश "" को और ना तड़पाओ सांवरे…तेरे भरोसे है नाथ…
अब और ना तड़पाओ सांवरे…"" दिव्येश "" से दूर ना तुम जाओ…
तेरे भरोसे है नाथ…

(तर्ज : नफरत की दुनिया को…)

जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Tuesday 27 September 2016

जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।

जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
ये हड्डियों का पिंजरा, कभी गिर पड़ेगा।
निकल जायेगा दम, तो फिर क्या करेगा॥
उठा ले चलेंगे, लगेगा पलीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
तुँ किस देश का है, कहाँ बस रहा है।
विषय वासनाओं में, क्यों फस रहा है॥
मानुष जन्म पाके, न राह जाये रीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥
तू है अंश ईश्वर का, मालिक वो तेरा।
बुलाता तुझे कहके, मेरा तू मेरा।
उसी की शरण ले ले, हो जा नचीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता॥
बदलता है उसका ना, पकड़ो सहारा।
कभी न बदलता है, वो ही तुम्हारा।
वहीँ कृष्ण राधा, वहीँ राम सीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
जनम जाय बीता, पढों क्यों न गीता।
पढों क्यों न गीता, सुनो क्यों न गीता॥

Saturday 24 September 2016

जय बजरंगी , जय हनुमान

लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।
बजरंगबली का झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लंका जाय जलाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
सीता की शुधि लाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
संजीवन लेकर आई रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लक्ष्मण के प्राण बचाये रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
सीता राम मियाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
भूतों को मार भगाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
भक्तों की लाज बचाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

इस झण्डे को हाथ में लेकर हाथ में लेकर रामा साथ में लेकर।
लंका जाय जलाई रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

सालासर शुभ धाम तुम्हारा है प्रशिद्ध जगत उजियारा।
मेहंदीपुर शुभ धाम तुम्हारा है प्रशिद्ध जगत उजियारा।
शंकट मिटाये रे झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

जो कोई झण्डा प्रेम से गावे वास तुम्हारे चरणों में पावे।
भक्ति प्रेम बढ़ाये रे झण्डा बजरंगबली का।।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।

लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।
बजरंगबली का झण्डा बजरंगबली का।
लहर लहर लहराये रे झण्डा बजरंगबली का।।


नाचत राधिका संग गिरधारी

नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

कल कल करती कालिंदी के तट की
शोभा साजे सखी अति मनोहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नाचत मयूरा संग युगल वर
सखियाँ जाएँ इनपर बलिहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

शोभा अतुलनीय बरण ना होवे
मुदित विराजें सखी पिय प्यारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नित नित उमंग तरंग प्रेम को
झूम रहे संग ललित सुकुमारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

पायल की रुनझुन गूँजे चहुं और
अद्भुत छवि जावे ना बिसारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

Thursday 22 September 2016

श्री राम - स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद-कंजारुणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ||
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ||
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं |
मम हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनं | |
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो |
करुना निधान सुजान सीलु सनेहू जानत रावरो ||
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली |
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ||
सोरठा:
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि |
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ||
|| सियावर रामचंद्र की जय ||

शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये

अपने बल-पौरुषसे हारे भक्तका अपने शक्तिमान प्रभुसे अंगीकारार्थ करुण प्रार्थना ।

शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये

मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार।
हुआ चूर पुरुषार्थ-गर्व सब, निकली बरबस करुण पुकार।

शक्तिमान हे ! शक्ति-स्रोत हे ! करुणामय ! हे परम उदार ।
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्ररूपमें अंगीकार ॥

हरो सभी, तम तुरत सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार ।
जो चाहो, करो, नित्य निश्शङ्क निजेच्छाके अनुसार ॥

कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जाओ उस पार ।
अथवा मध्य-हिंडोलेपर ही, रहो झुलाते बारंबार ॥

भोग्य बना भोक्ता बन जाओ, भर्ता बनों भले सरकार ।
बचे न 'ननु-नच' कहनेवाला मिटें अहंके क्षुद्र विकार ॥

कौन प्रार्थना करे किस तरह किसकी फिर हे सर्वाधार !
सर्व बने तुम अपनेमें ही करो सदा स्वच्छन्द विहार ॥

॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥

गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण ) से

भजन : श्री राधा कृष्णाय नमः

श्री राधा कृष्णाय नमः ..
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा
सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण
श्यामा श्याम एक सी जोड़ी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा
पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण
एकरूप, अनुपम छवि प्यारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमके, जय श्री राधा
मोर मुकुट सिर दम दम दमके, जय श्री कृष्ण
जुगल प्रेम रस झम झम झमके
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दा, जय श्री राधा
चन्दन चारु तिलक गति चन्दा, जय श्री कृष्ण
सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

घूम घुमारो घांघर सोहे, जय श्री राधा
कटि कटिनी कमलापति सोहे, जय श्री कृष्ण
कमलासन सुर मुनि मन मोहे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

रत्न जटित आभूषण सुन्दर, जय श्री राधा
कौस्तुभमणि कमलांचित नटवर, जय श्री कृष्ण
तड़त कड़त मुरली ध्वनि मनहर
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण .
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

मन्द हसन मतवारे नैना, जय श्री राधा
मनमोहन मनहारे सैना, जय श्री कृष्ण
जटु मुसकावनि मीठे बैना
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

श्री राधा भव बाधा हारी, जय श्री राधा
संकत मोचन कृष्ण मुरारी, जय श्री कृष्ण
एक शक्ति, एकहि आधारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

जग ज्योति, जगजननी माता, जय श्री रा्धा
जगजीवन, जगपति, जग दाता, जय श्री कृष्ण
जगदाधार, जगत विख्याता
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

राधा, राधा, कृष्ण कन्हैया, जय श्री रा्धा
भव भय सागर पार लगैया, जय श्री कृष्ण
मंगल मूरति, मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनि, जय श्री रा्धा
त्रिभुवनपति, त्रयताप नसावन, जय श्री कृष्ण
परमदेवि, परमेश्वर पावन
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

त्रिसमय युगल चरण चित धावे, जय श्री रा्धा
सो नर जगत परमपद पावे, जय श्री कृष्ण
राधा कृष्ण 'छैल' मन भावे
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

Tuesday 20 September 2016

हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे!

पूज्य हनुमानप्रसादजी पोद्दार»संग्रह: पद-रत्नाकर /भाग- 1/पद संख्या-13

हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे! हम हैं अतिशय पामर, दीन ।
भोग-रागमय, काम-कलुषमय मन प्रपच-रत, नित्य मलीन ॥
शुचितम, दिव्य तुम्हारा दुर्लभ यह चिन्मय रसमय दरबार ।
ऋषि-मुनि-जानी-योगीका भी नहीं यहाँ प्रवेश-‌अधिकार ॥
फिर हम जैसे पामर प्राणी कैसे इसमें करें प्रवेश ।
मनके कुटिल, बनाये सुन्दर ऊपरसे प्रेमीका वेश ॥
पर राधे! यह सुनो हमारी दैन्यभरी अति करुण पुकार ।
पड़े एक कोनेमें जो हम देख सकें रसमय दरबार ॥
अथवा जूती साफ करें, झाड़ू दें-सौंपो यह शुचि काम ।
रजकणके लगते ही होंगे नाश हमारे पाप तमाम ॥
होगा दभ दूर, फिर पाकर कृपा तुम्हारीका कण-लेश ।
जिससे हम भी हो जायेंगे रहने लायक तव पद-देश ॥
जैसे-तैसे हैं, पर स्वामिनि! हैं हम सदा तुम्हारे दास ।
तुम्हीं दया कर दोष हरो, फिर दे दो निज पद-तलमें वास ॥
सहज दयामयि! दीनवत्सला! ऐसा करो स्नेहका दान ।
जीवन-मधुप धन्य हो जिससे कर पद-पङङ्कज-मधुका पान ॥

नारायण । नारायण ।

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
मीरा पुकारी जब गिरिधर गोपाला,
ढल गया अमृत में विष का भरा प्याला।
कौन मिटाए उसे, जिसे तू राखे पिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
जब तेरी गोकुल पे आया दुख भारी,
एक इशारे से सब विपदा टारी।
मुड़ गया गोवर्धन तुने जहाँ मोड़ दिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
नैनो में श्याम बसे, मन में बनवारी,
सुध बिसराएगी मुरली की धुन प्यारी।
मन के मधुबन में रास रचाए रसिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया॥
जय श्री राधे कृष्णा|| "दे दो सेवा श्री चरणों की
बस अर्जी यही हमारी है... 

क्या करना, क्या ना करना है
ठाकुर आगे मर्जी तुम्हारी है..."
🏻Person with folded hands🏻जय श्री जी

Wednesday 14 September 2016

श्री राधा राधा राधा....राधा!

*श्री राधा राधा राधा....राधा!!!*
बाँवरी अपनी ही दुनिया में खोई है। राधा नाम की धुन इसके मन को मोह रही है।
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे .......।*
जागते ,खाते ,पीते,उठते,बैठते एक ही धुन में मन रम गया।
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे ........।*
कभी कान्हा जू के कानों में राधा नाम की मधुर ध्वनि पड़ती है। *आहा!उनकी प्रिया जू का नाम ही तो उनका जीवन है। कान्हा उस ध्वनि को सुनते हुए उन्मादित हो रहे।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे .......।*
*जैसे जैसे बाँवरी इस धुन में रमती जा रही वैसे ही कान्हा के हृदय में भी प्रिया जू की प्रेम तरंगे ध्वनित हो रहीं।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे ......।*
आहा !यही नाम तो सम्पूर्ण सृष्टि को आनंद देने वाला है।राधा नाम ध्वनि चलती रहती है। ये प्रेम रस अब श्यामसुन्दर के हृदय को आंदोलित कर रहा।
मोहन *प्यारी जू* के नाम धुन पर ऐसे मोहित हुए इस धुन पर नृत्य शुरू कर देते हैं। *जैसे जैसे राधा नाम धुन चलती वैसे वैसे मोहन के नृत्य की मुद्राएं उनकी भाव भंगिमाएं परिवर्तित हो रही।*
*राधे राधे राधे राधे श्री राधे...........।*
आहा ! परम् आनन्द हो रहा। सभी जड़ चेतन का जीवन भी अपनी प्रिया जू का नाम है।प्रिया जू के कानों में ये राधा नाम ध्वनित हुआ प्यारी जू उस और आ जाती हैँ।
इधर तो राधा नाम धुन में उन्मादित बाँवरी गा रही है और मोहन उसी धुन पर नाच रहे। प्यारी जू भी मोहन को आनन्दित देख आनन्द से भर रही हैं। मेरे प्रियतम के प्रेम की क्या तुलना होगी। इनको मेरे नाम से ही इतना आनन्द हो रहा है। *प्यारी जू और प्रसन्न हो रही हैं।*
*उनकी प्रसन्नता भी बढ़ती रहती है और वो भी राधा नाम धुन पर श्यामसुन्दर के साथ ताल से ताल मिला नाचने लगती है।*
*आहा !राधे राधे राधे राधे श्री राधे......*
सत्य यही है की राधा नाम लेने वाला जहां स्वयम् आनंद में डूबने लगता वहीं *युगल की भी प्रसन्नता पाता है।*
राधा नाम की महिमा शब्दों में व्यक्त ही नहीं हो सकती। बस गाते रहिये और प्रेम सिंधु में डूबते रहें।
*राधे राधे राधे राधे राधे...*

श्याम तेरी तस्वीर

श्याम तेरी तस्वीर सिरहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

नन्हें~नन्हें हाथो से आकर हिलाएगा
फिर भी नींद ना टूटे तो मुरली मधूर बजायेगा
जाने कब आ जाए हम रुक~रुक कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

अपनापन हो अंखियों में होठो पे मुस्कान है
ऐसे मिलना जैसे की जन्मों की पहचान है
इसके खातिर अंखियाँ मसल~मसल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

कभी~कभी घबराते है क्या हम इसके हक़दार
है
जितना मुजको प्यार है तुमसे क्या तुमको
भी हमसे भी उतना प्यार है
यही सोच के करवट हम बदल~बदल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

जाने कब आ जाये हम आँगण रोज बुहारते है
मेरे इस छोटे से घर का कोना~कोना संवारते है
जिस दिन नहीं आते हो हम जी भरकर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

हर आहट पर लगता है आया वाही मेहमान है
जिससे मिलने खातिर मेरे अटके हुए प्राण है
निकल ना जाये कलेजा हम संभाल~संभाल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

एक दिन ऐसी नींद खुले तेरा दीदार हो
बनवारी फिर हो जाये ये अंखियां बेकार हो
बस इस दिन के खातिर हम दिन भर रोते हैं...
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

श्याम तेरी तस्वीर सिराहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※*** 

 Զเधे  Զเधे 

Thursday 8 September 2016

आप भी बोलिए राधे राधे...

श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
जय राधे राधे जय राधे राधे
बृजभान दुलारी राधे राधे
भक्तों की प्यारी राधे राधे
हो श्यामा प्यारी राधे राधे
हरिदास दुलारी राधे राधे
रस्कों की प्यारी राधे राधे
हमारी प्यारी राधे राधे
तुम्हारी प्यारी राधे राधे
हम सबकी प्यारी राधे राधे
हो प्यारी प्यारी राधे राधे
हो प्यारी प्यारी राधे राधे
जै राधे राधे बरसाने वाली राधे ..
आइये श्रीधाम बृन्दावन मे प्रवेश करें...
बृन्दावन में राधे राधे
सुनरक गाओं में राधे राधे
कालिदह पर राधे राधे
अद्येदपट में राधे राधे
तान गली में राधे राधे
मान गली में राधे राधे
ऒ मन गली में राधे राधे
गोकुंज गली में राधे राधे
सिवा कुंज में राधे राधे
प्रेम गली में राधे राधे
श्रींगार वट में राधे राधे
चीर घाट में राधे राधे
किशी घाट पे राधे राधे
आजीवदीप में राधे राधे
बंसी बाट में राधे राधे
ज्ञान गुबड़ी राधे राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
ब्रम्हा कुण्ड में राधे राधे
ईश्वर महादेव राधे राधे
श्री बांके बिहारी राधे राधे
शनिदेव बिहारी राधे राधे
मदन मोहन जी राधे राधे
गोपीनाथजी राधे राधे
राधादामोदर राधे राधे
राधा विनोद जी राधे राधे
साक्षी गोपालजी राधे राधे
राधा माधव जी राधे राधे
श्री राधा बल्लभजी राधे राधे
श्री युगल किशोरजी राधे राधे
श्री राधा रमण जी राधे राधे
अष्ट सखीजी राधे राधे
अटल बन में राधे राधे
बिहार बन में राधे राधे
गौ चारण बन में राधे राधे
गोपाल बन में राधे राधे
बृन्दावन का कन कन बोले श्री राधा राधा
श्री यमुनाजी की लहरें बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा श्री राधा राधा
श्याम सुन्दर की बंशी बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा
ब्रज की लता पता भी बोले श्री राधा राधा
श्री राधा राधा
भूमि तत्वा जल तत्वा अग्नि तत्वा वायु तत्वा
ब्रन्हा तत्वा व्योम तत्वा विष्णु तत्वा घोरी है
सनकांसिद्धि तत्वा आनंद प्रशिद्धि तत्वा
नारद सुरेश तत्वा शिव तत्वा घोरी है - 3
प्रेमी काहे नाग और किन्नर को तत्वा देख्यो
शेध् और महेश तत्वा मिलती मिलती जोड़ी है
तत्वं के तत्वा जगजीवन श्री कृष्णचंद्रा
और कृश कोहू तत्वा बृजभन की किशोरी है -
और कृश कोहू तत्वा मेरी राधिका किशोरी है
श्री बृन्दावन बिहारी लाल की जय
श्री शनी बिहारी लाल की जय
श्री राधा रानी की जय
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे
श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे

आप भी बोलिए राधे राधे...

वृषभान भवन आनँद अति छायौ

आजु वृषभान भवन आनँद अति छायौ।
राधा अवतार भयौ, सब कौ मन भायौ॥
दुंदुभि नभ लगीं बजन, सुमन लगे बरसन।
धा‌ए पुरबासी सब, करन कुँवारि-दरसन॥

मंगल उत्साह मुदित नारि सकल गावत।
लै-लै कमनीय भेंट कीर्ति-महल आवत॥
नचत वृद्ध-तरुन-बाल, भ‌ए सब नचनियाँ।
तिनके मुख धन्य होन प्रगटी रागिनियाँ॥

राधा कौं जन्म जानि प्रेमी सब धा‌ए।
प्रेम सुधा बरसन की आस मन लगा‌ए॥
राधा बिनु हरै कौन मुनि-मन-हर-मन कौं।
प्रगटै बिनु पात्र को आनँद-रस-घन कौं॥

बरसैगो कृष्णघन पाय पात्र राधा।
रस-धारा पावन तब बहैगी बिनु बाधा॥
आ‌ए तहँ विविध बेष सुर-मुनि-रिषि भव-‌अज।
दरसन कौं, परसन कौं कुँवारि-चरन-पंकज॥

आ‌ए नंद-जसुमति अति चित में हरषा‌ए।
बिबिध रत्न मुकता मनि भेंट संग ला‌ए॥
प्रसव-घर पधारि महरि कुँवारि लेत कनियाँ।
चूमत अति लाड़-चाव जात बलि निछनियाँ॥

उभय मातु मिलीं अमित स्नेह तन-मन तें।
कहि न जाय मिलन-प्रीति-रीति लघु बचन तें॥
नंद वृषभानु मिले हिय सौं हिय ला‌ए।
छायौ चहुँ ओर मोद, गोद नँद भरा‌ए॥

जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे!

Wednesday 7 September 2016

सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...



तेरी पायलिया पे बाजे मुरलिया...
छम~छम नाचे गिरधारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

चन्दा से चेहरे पे बड़ी~बड़ी अंखिया...
लट लटके घुंघराली गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

बड़ी~बड़ी अंखियन में झीणों~झीणों कजरो...
घायल कुंज बिहारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

बृंदावन की कुंज गलियन में...
रास रचावे गिरधारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...

कदम की डाल पे झूला पड़ा है...
झोटा देवे बिहारी गुलाम तेरो बनवारी ।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी...