Thursday 22 September 2016

श्री राम - स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद-कंजारुणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ||
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ||
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं |
मम हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनं | |
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो |
करुना निधान सुजान सीलु सनेहू जानत रावरो ||
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली |
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ||
सोरठा:
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि |
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ||
|| सियावर रामचंद्र की जय ||

No comments:

Post a Comment