Thursday 31 March 2016

ये रेशमी झुल्फें ये शरबती आँखें...

दरबार में तेरे हम रोज़ आते है...
                    तुम भी साँवरें आ भी जाना कभी...

तेरे मोर मुकुट के क्या कहने...

                      जो भी पहने वो लागे सेठ मुझे...
दीवाना ना हो जाऊँ...

                       तेरी याद में ही ना खो जाऊँ...
दरबार में तेरे हम रोज़ आते है...

                       तुम भी साँवरें आ भी जाना कभी...

कैसी तेरी ये लीला गिरधारी...

                     तुम बस गये दिल में बनवारी...
बिन देखे न जाने क्यूँ...

                     तेरे दर पे दौड़ा मैं आऊँ...
दरबार में तेरे हम रोज़ आते है...

                    तुम भी साँवरें आ भी जाना कभी...

है ये ऐसा "" अनोखा "" दर तेरा...

                   जो भी आता यहाँ पे मन उसका...
हो जाता तेरा दीवाना...

                    तुम भूल नहीं प्यारे जाना...
दरबार में तेरे हम रोज़ आते है...

                    तुम भी साँवरें आ भी जाना कभी...

दरबार में तेरे हम रोज़ आते है...

                    तुम भी साँवरें आ भी जाना कभी...

पदरत्नाकर

बिनती सुण हाँरी, जप लै सुखकारी हरिके नामनैं॥
भटकत फिर्‌यो जूण चौरासी लाख महादुखदा‌ई।
बिन कारण कर दया नाथ फिर मिनख-देह बकसा‌ई॥
गरभ-मायँ माताके आकर पाया दुःख अनेक।
अरजी करी प्रभूसे-बाहर काढो, राखो टेक॥
करी प्रतिग्या गरभ मायँ मैं सुमरण करस्यूँ थारो।
नहीं लगान्नँ मन विषयाँमैं प्रभुजी! मनै उबारो॥
जनम लेय जगमायँ चित्त नै विषयाँ मायँ लगायो।
जनम-मरण-दुख-हरण रामको पावन नाम भुलायो॥
खो‌ई उमर व्रथा भोगाँकै सुख-सुपने कै मा‌ई।
सुख नहिं मिल्यौ, बढ्यौ दुख दिन-दिन, रह्यो सोग मन छा‌ई॥
मृग-तृस्नाकी धरतीमैं जो समझैं भ्रमसैं पाणी।
उसकी प्यास नहीं मिटणैकी, निश्चै लीज्यो जाणी॥
यूँ इण संसारी भोगाँमैं नहीं कदे सुख पायो।
दुःखरूप सुख देवै किस बिध मूरख मन भरमायो॥
कर बिचार, मन हटा विषयसैं प्रभु चरणाँमैं ल्या‌ओ।
करो कामना-त्याग, हरीको नाम प्रेमसैं गा‌ओ॥
सुख-दुखमें संतोष करो अब, सगली इच्छा छोड़ो।
‘मैं’ और ‘मेरो’ त्याग हरीके रूप मायँ चित जोड़ो॥
मिलै सांति, दुख कदे न व्यापै, आवै आनँद भारी।
प्रेम-मगन हो नाम हरीको जपो सदा सुख-कारी॥

Friday 25 March 2016

राम राम राम भजो, राम भजो

राम राम राम भजो, राम भजो, भा‌ई।
राम-भजन-हीन जनम सदा दुखदा‌ई॥
अति दुरलभ मनुज-देह सहजहीमें पा‌ई।
मूरख रह्यो राम भूल बिषयन मन ला‌ई॥
बालकपन दुख अनेक भोगत ही बिता‌ई।
स्त्री-सुत-धनकी अपार चिंता तरुना‌ई॥
रात-दिवस पसु की ज्यों इत-‌उत रह्यो धा‌ई।
तृसना की बेलि बढ़ी पाप-बारि पा‌ई॥
बात-पित्त-कफहु बढ्यो, दुखद जरा आ‌ई।
इंद्रिन की शक्ति घटी, सिर धुनि पछिता‌ई॥
इतनेहि में कठिन काल घेरि लियो आ‌ई।
मृत्यु निकट देखि-देखि अति ही भय पा‌ई॥
सोच करत मन-ही-मन अतिसै पछिता‌ई।
हाय मैं न भज्यो राम, कहा कर्‌यो मा‌ई॥
मृत्यु प्रान-हरन करत कुटुंब तें छुड़ा‌ई।
महादुःख रह्यो छाय, बिफल सब उपा‌ई॥
पापन के फल-स्वरूप बुरी जोनि पा‌ई।
दुःख-भोग करत पुनि नरकन महँ जा‌ई॥
बार-बार जनम-मृत्यु, याधि अरु बुढ़ा‌ई।
झेलत अति कठिन कष्ट, शांति नाँहि पा‌ई॥
यहि विधि भव-दुख अपार बरने नहिं जा‌ई।
भव-भेषज राम-नाम, श्रुति-पुरान गा‌ई॥
राम-नाम जपत त्रिबिध ताप जग-नसा‌ई।
राम-नाम मँगल-करन सब बिधि सुखदा‌ई॥
प्रेम-मगन मन तें सकल कामना बिहा‌ई।
जो‌इ जपत राम-नाम सो‌इ मुकति पा‌ई॥

पदरत्नाकर

नारायण । नारायण ।

Friday 18 March 2016

राम तें बड़ नाम

साधन नाम-सम नहिं आन। 
जपत सिव-सनकादि, सारद-नारदादि सुजान॥ 
नाम के बल मिटत भीषन असुभ भाग्य-बिधान। 
नाम-बल मानव लहत सुख सहज मन-‌अनुमान॥ 
नाम टेरत टरत दारुन बिपति, सोक महान। 
आर्त करि, नर-नारि, ध्रुव सब रहे सुचि सहिदान॥ 
नाम के परताप तें जल पर तरे पाषान। 
नाम-बल सागर उलाँघ्यो सहज ही हनुमान॥ 
नाम-बल संभव सकल जे कछु असंभव जान। 
धन्य ते नर, रहत जिनके नाम-रट की बान॥ 
पाप-पुंज प्रजारिबे-हित प्रबल पावक-खान। 
होत छिन महँ छार, निकसत नाम जान-‌अजान॥ 
नाम-सुरसरि में निरंतर करत जे जन न्हान। 
मिटत तीनों ताप मुख नहिं होत कबहुँ मलान॥ 
नाम-‌आश्रित जनन के मन बसत नित भगवान। 
जरत खरत कु-वासना सब तुरत लज्जा-मान॥ 
नाम जीवन, नाम अमरित, नाम सुख को थान। 
नाम-रत जे नाम-पर ते पुरुष अति मतिमान॥ 
नाम नित आनंद-निरझर, अति पुनीत पुरान। 
मुक्त सत्वर होत जे जन करत सादर पान॥ 
नाम जपत सुसिद्ध जोगी बनत समरथवान। 
नाम तें उपजत सु-भगति, बिराग सुभ बलवान॥ 
नाम के परताप दीखत प्रकृति-दीप बुझान। 
नाम-बल ऊगत प्रभामय भानु तव-ज्ञान॥ 
नाम की महिमा अमित, को सकै करि गुन-गान। 
राम तें बड़ नाम, जेहि बल बिकत श्रीभगवान॥ 

पदरत्नाकर 

तेरी बंसी पे जाऊं बलिहार

तेरी बंसी पे जाऊं बलिहार होली रे रसिया, 
मैं तो नाचूंगी बीच बाज़ार होली रे रसिया। 
ओड़ के आई मैं तो लाल चुनारिया, 
मटकी उठा के मैं तो बन गयी गुजरिया। 
मैं तो कर आई सोला श्रृंगार रसिया, 
मैं तो नाचूंगी बीच बाज़ार होली रे रसिया। 
तेरे पीछे मैं तो आई अकेली, 
बड़े गोप की नयी नवेली। 
आई हूँ करने मनोहार रसिया, 
मैं तो नाचूंगी बीच बाज़ार होली रे रसिया। 
जब से लगी है तेरी लगनवा, 
बिसर गयो मोहे घर आंगनवा। 
मैं तो छोड़ आई सारा संसार रसिया, 
मैं तो नाचूंगी बीच बाज़ार होली रे रसिया। 

󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩 

Saturday 12 March 2016

जे जे जे श्री वृंदावन

रंगीलो राधेवल्लभलाल, जे जे जे श्री वृंदावन ।
विहरत संग लाडिली वाल, जे जे जे श्री वृंदावन ।।
जमुना नील मणिन की माल,जे जे जे श्री वृंदावन ।
प्रेम सुरस वरषत सब काल, जे जे जे श्री वृंदावन ।।
सखिन संग राजत जुगल किशोर, जे जे जे श्री वृंदावन।
अद्भुत छवि साझ अरू भोर, जे जे जे श्री वृंदावन।।
प्रेम कि नदी वहे चहुं ओर, जे जे जे श्री वृंदावन।
आनंद रंग को ओर न छोर, जे जे जे श्री वृंदावन।।
दुर्लभ पिय प्यारी को धाम ,जे जे जे श्री वृंदावन।
चहु दिसि गुंजत राधा नाम, जे जे जे श्री वृंदावन।।
नेननि निरखिये श्यामा श्याम,जे जे जे श्री वृंदावन।
मनवा लेत परम विश्राम, जे जे जे श्री वृंदावन।।
धनि धनि श्री किनका परसाद,जे जे जे श्री वृंदावन।
सभे सुख एक सीथ के स्वाद,जे जे जे श्री वृंदावन।।
सर्वसु मान्यो हित प्रभुपाद,जे जे जे श्री वृंदावन।
धनि धनि ब्रजवासी बड़भाग, जे जे जे श्री वृंदावन।।
जिनके ह्रये सहज अनुराग, जे जे जे श्री वृंदावन।
लेत सुखरास हिंडोला, फाग,जे जे जे श्री वृंदावन।।
गावन जीवन जुगल सुहाग,जे जे जे श्री वृंदावन।
छवीली वृंदावन की वेलि, जे जे जे श्री वृंदावन।।
छाह तरे करें जुगल रस केलि,जे जे जे श्री वृंदावन।
मंद मुसिकात अंस भुज मेली,जे जे जे श्री वृंदावन।।
रसिक दें कोटी मुक्ति पग पेलि,जे जे जे श्री वृंदावन।
पावन वृंदावन की धुरि,जे जे जे श्री वृंदावन।।
परस किये पाप ताप सब दूरि,जे जे जे श्री वृंदावन।
रसिक जननि की जीवन मूरि,जे जे जे श्री वृंदावन।।
हित को राज सदा भरपूर, जे जे जे श्री वृंदावन।
रसीली मनमोहन की वेणु,जे जे जे श्री वृंदावन।।
कोन हरिवंशी समरस देन,जे जे जे श्री वृंदावन।
अगोचर नित विहार दरसेन, जे जे जे श्री वृंदावन।।
मन पायो निकुंजनि ऐन,जे जे जे श्री वृंदावन.....

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa " 

Friday 11 March 2016

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

मेरी आँखों के तुम तारे हो
जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो
मुजको प्यार की बरसात चाहिए
दिल में तेरे भाव के जजबात चाहिए...

मुझपे तेरी किर्पा यूँ कम ना है
फिर भी एक छोटी सी तमन्ना है
जीते जी एक तुमसे मुलाकात चिहिए
हर कदम पे कान्हा तेरा साथ चाहिए...

मेरी दुनिया को तुम बसाए हो
मेरे दिल में तुम समाए हो
नाम तेरा होठों पे दिन रात चाहिए
जिक्र हो तेरा ऐसी सौगात चाहिए...

हर जनम में सांवरे का साथ चाहिए
सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए
मुजको बस इतनी सौगात चाहिए...

~~( तर्ज : देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए...)

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa " 

Thursday 10 March 2016

श्याम तेरी तस्वीर सिरहणे रखकर सोते है

श्याम तेरी तस्वीर सिरहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

नन्हें~नन्हें हाथो से आकर हिलाएगा
फिर भी नींद ना टूटे तो मुरली मधूर बजायेगा
जाने कब आ जाए हम रुक~रुक कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

अपनापन हो अंखियों में होठो पे मुस्कान है
ऐसे मिलना जैसे की जन्मों की पहचान है
इसके खातिर अंखियाँ मसल~मसल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

कभी~कभी घबराते है क्या हम इसके हक़दार
है
जितना मुजको प्यार है तुमसे क्या तुमको
भी हमसे भी उतना प्यार है
यही सोच के करवट हम बदल~बदल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

जाने कब आ जाये हम आँगण रोज बुहारते है
मेरे इस छोटे से घर का कोना~कोना संवारते है
जिस दिन नहीं आते हो हम जी भरकर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

हर आहट पर लगता है आया वाही मेहमान है
जिससे मिलने खातिर मेरे अटके हुए प्राण है
निकल ना जाये कलेजा हम संभाल~संभाल कर रोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

एक दिन ऐसी नींद खुले तेरा दीदार हो
बनवारी फिर हो जाये ये अंखियां बेकार हो
बस इस दिन के खातिर हम दिन भर रोते हैं...
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

श्याम तेरी तस्वीर सिराहणे रखकर सोते है
यही सोचकर अपने दोनों नैण भिगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे...

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※*** 

सांवरा आओ तो सही...

सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...
माधो रे मंदिर में मीरा ऐकली खड़ी...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...

थे कहो तो सांवरा में जल जमुना बन जाऊं...
नाहवण लागो सांवरा थारे अंग~अंग से लग जाऊं...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...

थे कहो तो सांवरा में मोर मुकुट बन जाऊं...
पेहरण लागो सांवरा थारे माथे से लग जाऊं...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...

थे कहो तो सांवरा मैं पायलरी बन जाऊं...
थे बजाओ घुंघरा थारा चरणा सूं जग जाऊं...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...

थे कहो तो सांवरा में काजलियो बन जाऊं...
सारण लाग्या सांवरा थारा नैणा सू लग जाऊं...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही...

मीरा हरी की लाडली थां चरणां की दासी...
माधो रे मंदिर मे मीरा बाँध घूंघरा नाची...
सांवरा आओ तो सही...मोहन आओ तो सही... 

Friday 4 March 2016

अब दिल ढूंढ रहा है ठिकाना

अब दिल ढूंढ रहा है ठिकाना तेरे चरणो में राधेरानी.......
थाम लो दामन हमारा,डोलती है मेरी  कश्ती पुरानी........
हम बालक है तुम्हारे, भटक जाते है जग की माया में......
तुम हो पालनहारी हमारी बचा लो माया के दलदल से......
अब दिल ढूंढ रहा है ठिकाना तेरे चरणो में राधेरानी.......
थाम लो दामन हमारा,डोलती है मेरी  कश्ती पुरानी........
तुम करुणामयी हो ,तुम कृपामयी हो वृषभानु की दुलारी........
तुम हरिप्रिया हो, तुम हो जग से न्यारी.स्वामिनी हो हमारी......
अब दिल ढूंढ रहा है ठिकाना तेरे चरणो में राधेरानी.......
थाम लो दामन हमारा,डोलती है मेरी  कश्ती पुरानी........
वैसे तो हम लायक नही है चरणधुरी के भी तुम्हारी........
लकिन पुत्र जैसे भी हो माँ लेती है शरण में प्यारी..........
अब दिल ढूंढ रहा है ठिकाना तेरे चरणो में राधेरानी.......
थाम लो दामन हमारा,डोलती है मेरी  कश्ती पुरानी.....

हे राम हे राम.

हे राम हे राम...हे राम हे राम
जग मे साचो तेरो नाम
हे राम हे राम...हे राम हे राम...

तू ही माता...तू ही पिता है
तू ही माता...तू ही पिता है
तू ही तो है राधा का श्याम
हे राम हे राम...हे राम हे राम...

तू अन्तर्यामी सबका स्वामी
तू अन्तर्यामी सबका स्वामी
तेरे चरणों मे चारो धाम
हे राम हे राम...हे राम हे राम...

तू ही बिगाड़े तू ही सँवारे
तू ही बिगाड़े तू ही सँवारे
इस जग के सारे काम
हे राम हे राम...हे राम हे राम...

तू ही जगदाता विश्वविधाता
तू ही जगदाता विश्वविधाता
तू ही सुबह तू ही शाम
हे राम हे राम...हे राम राम...

हे राम हे राम...हे राम हे राम
जग मे साचो तेरो नाम
हे राम हे राम...हे राम हे राम...

Thursday 3 March 2016

सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू.

सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू...
सांसो में तू धड़कन में तू रग रग में तू है समाया...

फेरता नजरें जिधर तू ही तू आये नज़र,,,
छोड़ तुझको "" सांवरे "" बोल जाउँ मैं तो किधर,,,
फूलों में तू कलियों में तू चारों तरफ तेरी माया...
सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू...

चाहे धरती हो आसमां सबमें तेरा वास है,,,
सबका हारे का सहारा है तू मेरा ये विश्वास है,,,
तू ही मेरा मैं हूँ तेरा सबमें ही तेरी ही छाया...
सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू...

"" श्याम "" कहे जब गाऊँ मैं बांसुरी बजाता है तू,,,
प्यारी धुन पे तेरी सबको नचाता है तू,,,
देखा मैंने सारा जहाँ इस दिल को बस तू ही भाया...
सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू...

सपनों में तू अपनों में तू देखु जिधर तू ही तू...
सांसो में तू धड़कन में तू रग रग में तू है समाया...

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa " 

पदरत्नाकर

प्रकृति-जगतके भोग सभी हैं अशुचि अपूर्ण, अनित्य, असार।
दुःखयोनि, सब भाँति शान्ति-सुख-हर, अघ-‌आकर, दोषागार॥
इनमें सुखकी आस्था-‌आकांक्षा-‌आशा करना बेकार।
किञ्तु इन्हींके मोह-जालमें फँसा कराह रहा संसार॥
जबतक नहीं हटेगा पूरा मोह-जालका विष-विस्तार।
बढ़ती नित्य रहेगी ज्वाला, मचा रहेगा हाहाकार॥
प्रभुकी प्रेम-सुधा ही कर सकती इस ज्वालासे उद्धार।
प्रेम-दिवाकरके उगते ही हो जाता तमका, संहार॥
अतः खोल दो तुरत प्रेमकी सरस सुधाका उर भंडार।
पल-पल उसे बढ़ा‌ओ, होगा दिव्य भागवत-सुख साकार॥

Wednesday 2 March 2016

राम से बड़ा राम का नाम

राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
अंत में निकला ये परिणाम, ये परिणाम
राम से बड़ा राम का नाम
सिमरो नाम रूप बिन देखे
कौड़ी लगे ना दाम
नाम के बंधे खिंचे आयेंगे
आखिर एक दिन राम
राम से बड़ा राम का नाम
जिस सागर को बिना सेतु के
लांघ सके ना राम
कूद गये हनुमान उसी को
लेकर राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
वो दिलवाले क्या पायेंगे
जिनमें नहीं है नाम
वो पत्थर तेरेंगे जिन पर
लिखा हुआ श्री राम
राम से बड़ा राम का नाम
सिया के राम
राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
अंत में निकला ये परिणाम, ये परिणाम
राम से बड़ा राम का नाम...