Sunday 26 June 2016

"साँवरिया" " राधा " यूँ रो रो कहे...

एक बार तो " राधा " बनकर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...

क्या होते हैं आँसू...क्या पीड़ा होती है,,,
क्यों दर्द उठता हैं...क्यों आँखे रोती हैं,,,
एक बार तो आँसू बहाकर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...||1||

जब कोई सुनेगा ना तेरे मन के दुखडे,,,
जब ताने सुन सुन कर होंगे दिल के टुकड़े,,,
एक बार जरा तुम ताने सुन कर देखो...मेरे...
"साँवरिया"
" राधा " यूँ रो रो कहे...||2||

क्या जानोगे " मोहन " तुम प्रेम की भाषा,,,
क्या होती है 'आशा ' क्या होती ' निराशा ',,,
एक बार जरा तुम प्रेम करके देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
"राधा" यूँ रो रो कहे...||3||

पनघट पे मधुवन में वो इंतज़ार करना,,,
कहे " श्याम " तेरी खातिर घुट घुट कर मरना,,,
एक बार किसी का इंतज़ार कर देखो...मेरे...
..."साँवरिया"
"राधा" यूँ रो रो कहे...||4||

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󾭩󾕓 󾬢 Զเधे 󾕓 Զเधे 󾬢 󾕓󾭩
***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※***

Thursday 23 June 2016

हर हर महादेव

करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |

सदा वसंतम हृदयारविंदे

भवम भवानी सहितं नमामि ||


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव |

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देव देव ||


सेवा पूजा बन्दगी सभी आपके हाथ

में तो कछु जानू नहीं आप जानो भोलेनाथ

शिव समान दाता नहीं विपत्ति विधारण हार

लज्जा सबकी राखियों जग के पलनहार

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


शिव शक्ति माँ शैलजा विन्ध्वासिनी नाथ

शक्ति के सइयोग से पुराण हो सब काम

सिंघ चढ़े दुर्गा मिले गरुड़ चढ़े भगवान्

बैल चढ़े बाबा मिले निश्चित हो कल्याण

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


ॐ कर में तार है है अनन्त पलतार

भूतेश्वर महादेव का साँचा है दरबार

दाता के दरबार में मांगे सब कर जोड़

देनेवाला एक है मांगत लाख करोड़

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


कोई कहे कैलाशपति कोई गिरजनाथ

वासी तुम कैलाश से बसो ह्रदय में आज

पुष्पांजलि स्वीकार लो ह्रदय कमल मुस्कात

उमा पति महादेव की जय

उमा पति महादेव की जय


Ψ 󾠆 Ψ

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󾭩󾕓 󾬢 ॐ नमः शिवाय 󾬢 󾕓󾭩

***※═❖═▩ஜ۩.۞.۩ஜ▩═❖═※***

󾭩󾕓 󾬢 हर हर महादेव 󾬢 󾕓󾭩

बन जाऊँ लीलाभूमि तुम्हारी प्यारी।

हर लो प्रभु ! मेरी भोग-दासता भारी ।
कर लो मुझको 'निज दास' नाथ अघहारी ॥
मैं रटूँ तुम्हारा नाम नित्य भयहारी ।
मैं सेवा नित तन-मनसे करूँ तुम्हारी ॥
मिट जायँ काम-आसक्ति समस्त मुरारी ।
हट जाय मोह-ममताकी माया सारी ।।
रह जायँ न मद अभिमान मान मदहारी ।
हो उदय सहज शुचि दैन्य विनय बनवारी ॥
खुल जायँ ज्ञानके नेत्र दिव्य तमहारी ।
दीखे तुम्हरी लीला सर्वत्र सदा सुखकारी ।।
मैं देखूँ सबमें सदा तुम्हें मनहारी।
मैं सबका सुख-हित करूँ सर्वहितकारी ॥
बन जाऊँ लीलाभूमि तुम्हारी प्यारी ।
तुम खेलो फिर मनमाने लीलाकारी ॥
रह जाय न कुछ भी सत्ता मेरी न्यारी ।
तुम ही लीला, लीलामय सभी विहारी ॥

गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण )से।

Thursday 16 June 2016

एक भोली बृज गोपी के भाव " = = = = = = = = = = = = = =


                          
👉 श्याम   सुंदर   सबेरे  -  सबेरे,
                              यूँ   वंशी    बजाया   करो   ना।
      नाम   ले  लेके  वंशी   में  मेरा,
                              यूँ  घर  से  बुलाया  करो  ना।।
              श्याम   सुंदर   सबेरे  -  सबेरे  ,  यूँ  वंशी - - - - - - - -
      तुम   तो   ओढे    हो   काली   कमरिया,
                              हाथ   थामे   हो   प्यारी   मुरलिया।
      किंतु  यूँ   घर  अगाडी  -  पिछाडी,
                              चक्कर   तो   लगाया   करो   ना।।
             श्याम  सुंदर  सबेरे  -  सबेरे  ,  यूँ    वंशी- - - - - - - - -
   
      मैं   तो   चाहूँ   कि   तुम   घर   में   आओ,
                             तुतला  -  तुतला   के  कुछ  भी  सुनाओ।
      किंतु   डरती   हूं   ,  दुनिया   से   कान्हा,
                             सो   चित   यूँ    चुराया   करो   ना।।
             श्याम   सुंदर   सबेरे  -  सबेरे ,  यूँ   वंशी - - - - - - - -
     यूँ   तो   आँखों   की   मेरे   हो   तारे,
                             प्राण   धन    मेरे    प्राणों    के   प्यारे।
     किंतु   गलियों    में    तो   यूँ    न   मेरा,
                             नाम   ले    लेके      गाया   करो   ना।।
             श्याम   सुंदर    सबेरे   सबेरे  ,   यूँ    वंशी - - - - - - - -

Wednesday 15 June 2016

जो शरण में तेरी आ गया

जो शरण में तेरी आ गया...क्या जाने क्या वो पा गया...
ये उसे पता या तुझे पता...

दुःख~दर्द अपना भूल के...खुश~हाल फिरता जहान में...
नहीं अब किसी से गिला उसे...नहीं शिकवा मेरे साँवरे
जो शरण में तेरी आ गया...क्या जाने क्या वो पा गया...
ये उसे पता या तुझे पता...

हर पल वो तेरा नाम ले...रहता मगन मेरे साँवरे...
जैसे खज़ाना गुमशुदा...कोई उसे हो मिल गया...
जो शरण में तेरी आ गया...क्या जाने क्या वो पा गया...
ये उसे पता या तुझे पता...

मुश्किल " अनोखा " ये सफर...कट जाये उसका बेखबर...
जो साँवरे का हो गया...जो साँवरे में ही खो गया...
जो शरण में तेरी आ गया...क्या जाने क्या वो पा गया...
ये उसे पता या तुझे पता...

|| जय श्री कृष्णा ||