Thursday 22 June 2017

सोलह श्रृंगार

सीता जी ने पूछा मैया से
बताओ ---- माँ एक सार !
विवाहोपरांत --- हर नारी
क्यों करती सोलह श्रृंगार!!

मैया ने -----मीठी वाणी में 
समझाई ------- हर बात !
सोलह श्रृंगार से पूर्ण होती
धरा पर ------- नारी जात !!

मेंहदी ---को हर समय
अपने हाथों में रचाना !
कर्मो  की  लालिमा से
सारा जग -- महकाना !!

आँखों में प्रेम बसा कर
काजल  उनमें लगाना !
भलै सम्पति खो जाये
पर , शील जल बचाना!!

सूर्य की भाँति प्रकाशवान हो
छोड़ देना -- शरारत -- जिद्दी !
इसिलिए तो ---- नारी लगाये 
अपने माँथे पर ------- बिन्दी !!

मन को  काबू में  करके 
लगा देना उस पर लगाम !
नारी की नाक की नथनी
देती है - यह सुंदर पैगाम !!

बूरे कर्म से परहेज करना
यश कमाना ---- भरपूर !
पतिव्रत धर्म का  पालन 
यह सिखलाता है -सिंदूर !!

खुद की प्रशंसा सुनने की
मत करना तुम ---- भूल !
हर  हाल  में खुश  रहना 
शिक्षा यह देता कर्णफूल !!

सबके मन को मोहने वाले
कर्म करना तू ------ बाला !
सुख - दुख में --सम रहना 
यह सीख देती मोहन माला !!

सीघा-सादा जीवन रखना
मत करना तुम ----- फंद !
इसिलिए तो -- नारी बाँधे
अपने हाथ में -- बाजूबंद !!

कभी किसी में छल न करना
रुपया हो या -------- गल्ला !
कमर में --- लटकाये रखना
अपना --------- सुंदर छल्ला !!

बड़े - बूढ़ो की सेवा करके
कर देना उनको --- कायल !
घर-आँगन छनकाती रहना 
अपने पैरों की ----- पायल !!

छोटो को  आशीष  देना
खबरदार-जो उनसे रुठी !
हाथों की --अँगुलियों में 
पहने रखना ---- अँगूठी !!

परिवार को बिछड़ने न देना
रखना सबको ------- साथ !
पैरों की बिछिया --- प्यारी
बतलाती ------- यह बात !!

कठोर वाणी का त्याग कर
करना सबका ---- मंगल !
जीवन को - रंगो से भरना 
पहने रखना ------ कंगन !!

कमरबंद की  भाँति तुम
सेवा में ------- बँध जाना !
पति के संग - --संग तुम
पूरे परिवार को अपनाना !!

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