Friday 2 June 2017

श्रीराधिका

अपनी ठकुरानी श्रीराधिका रानी

"आँख मिलीं मनमोहन सौं, वृषभानु लली मन में मुस्कानी।
भौंह मरोरिकें दूसरि ओर, कछू वह घूँघट में शरमानी॥
देखि निहाल भई सजनी वह सूरत या मन माँहि समानी।
औरन की परवाह नहीं, अपनी ठकुरानी श्रीराधिका रानी॥"

"लाल भये जिनके बस में उनको लखिकै बिन मोल बिकानी।
केलि करैं यमुना तट पै अंखियाँ जिनकी भाई प्रेम दिवानी॥
रस रंग रहें उरझें सुरझें सखि एक दिपैं नही दोय लखानी।
औरन की परवाह नहीं, अपनी ठकुरानी श्रीराधिका रानी॥"

जय जय श्री राधे-कृष्ण

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