Friday 23 June 2017

हे नाथ


मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...
हे! पावन परमेश्वर मेरे, 
मन ही मन शरमाऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

तुने मुझको जग में भेजा, 
निर्मल देकर काया...
आकर के संसार में मैंने, 
इसको दाग लगाया...
जनम जनम की मैली चादर, 
कैसे दाग छुड़ाऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

निर्मल वाणी पाकर तुझसे, 
नाम न तेरा गाया...
नयन मूंद कर हे परमेश्वर, 
कभी न तुझको ध्याया...
मन वीणा की तारे टूटी, 
अब क्या गीत सुनाऊं....
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

नेक कमाई करी न कोई, 
जग की माया जोड़ी...
जोड़ के नाते इस दुनिया से, 
तुम संग प्रीति तोड़ी...
करम गठरिया सिर पे राखे, 
पग भी चल न पाऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

इन पैरों से चल के तेरे , 
मंदिर कभी न आया...
जहाँ जहां हो पूजा तेरी, 
कभी न शीश झुकाया...
हे हरिहर मैं हार के आया, 
अब क्या हार चढ़ाऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

हे! पावन परमेश्वर मेरे, 
मन ही मन शरमाऊं...
मैली चादर ओढ़ के कैसे, 
द्वार तिहारे आऊं...

*💙 जय श्री कृष्ण*

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