Thursday 8 June 2017

सुधाधारा


 जगत में साधु-संग प्रथम साधन ।
           कहते है भगवान रामनारायण ॥  

कुछ न भुवन में,  साधु-संग के समान ।
          साधु-संग गुण पाते महापापी त्राण ॥   
साधु-संग पाये जीव नामरुपी वित्त ।
        जपते ही जपते उसका भर जाये चित्त ॥

नाम के नशे में झुले,  हँसे नाचे गाये ।
      परमानन्द सागर में,  डुबे और उतराये ॥

साधु का सहारा नाम सर्व-धन सार ।
     नाम के ही बल से करते पापी का उद्धार॥

मरुभूमि में मिले न जल कभी जैसे मानो ।
     जगत में भी सुख की आशा वैसे ही जानो॥

सकल असार यदि समझा है मन ।
        शीघ्र ही शरण लो साधु के चरण ॥

साघु कृपा हो यदि नहीं और भय ।
     गाओ दास सीताराम जय नाम जय ॥
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  - श्रीश्री सीतारामदास ओंकारनाथदेव -

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