Saturday 31 December 2016

तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।
मन की आँखे खोल...तेरे सामने घनश्याम है।।

हर घडी हर पल का साथी ऐसा ये दिलदार है,
छोड़ दे तू साथ चाहे...ये सदा तेरे साथ है,
तू मुसाफिर है जहाँ में...ये है मालिक जान ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

कौन है कोई नहीं...तेरा संसार में,
तु जिसे अपना समझता...वो है माया बाँवरे,
तू पतंग है डोर अपनी सांवरे संग बाँध ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

है कठिन ये अग्नि पथ है ये हमारी जीन्दगी,
तु बना ले सांवरे को अपना जीवन सारथी,
मुस्कुराते कट जायेगी...यें अनोखी जीन्दगी।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

( तर्ज : आपकी नज़रों ने समझा...)

•¡✽🌿◆🍒🎼🍒◆🌿✽¡•
जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Tuesday 27 December 2016

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,
किसने देखी तेरी माया, किसने भेद तेरा है पाया.
हारे ऋषि मुनि कर ध्यान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
किसने देखी तेरी सूरत, कौन बनाये तेरी मूरत?
तू है निराकार भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तू ही जल में, तू ही थल में, तू ही मन में, तू ही वन में...
तेरा रूप अनूप महान... बना मन मन्दिर आलीशान...
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तू हर गुल में तू बुलबुल में, तू हर डाल के हर पातन में,
तू हर दिल में प्रभु को मान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
सागर तेरी शान बंधावे, पर्वत तेरी शोभा गावे,
तू है सर्वशक्तिमान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
तूने राजा रंक बनाय, तूने भिक्षुक राज बिठाये,
तेरी लीला ईश महान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान.
झूठे जग की झूठी माया, मूरख इसमें क्यों भरमाया?
कर कुछ जीवन का कल्याण, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान,

Monday 26 December 2016

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...
हल्के हाथे अंगो चोड़ी लाड लड़ाऊँ साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

अंगो लुछी आपु वस्त्र पिडू पीताम्बर प्यार मा...
तेल सुगन्धी नाखी आपु वांकड़ियां तुज वाड मा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

कुमकुम केरु तिलक सजाऊँ प्रीतम तारा बलमा...
अलबेली आँखों मा आंजू अंजन मारा बालमा
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

हस्ती जाउँ वाटे घाटे नाची उठूँ तान मा...
नज़र ना लागे श्याम सुंदर ने टपका करि दऊ गाल मा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

पग मा झाँझर रुमझुम वागे करमा कंकण बालमा
कंठे माला काने कुण्डल चौड़े चिथदु साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

मोर मुकुट माथे पेहराउँ मुरली आपु हाथ मा...
कृष्ण कृपालु निरखि शोभा वारी जाउँ मारा बालमा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

दूध कटोरी भरी ने आपु पीओ ने मारा बालमा...
भक्त मंडल निरखि शोभा राखो चरणे साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...
हल्के हाथे अंगो चोड़ी लाड लड़ाऊँ साँवरा...
यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ साँवरा...

нαяє кяιѕниα
जय श्री कृष्णा
Զเधे Զเधे

Friday 23 December 2016

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुकुट मैं बनू
तेरे शीश पे सजू इतराता मैं फिरू
कर दे अहसान मुझ पे ओ मेरे सोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तिलक मैं बनू
तू ध्यान में रखे और मगन मैं रहूं
कर दे इतनी इनायत तू मेरे मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो काजल मैं बनू
तेरी पलकों से अँखियो में झाँका करू
जिनमें रहती हैं राधे रानी हरदम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुरली मैं बनू
अधरों से लगूं दिव्य अमृत चखू
सफल हो जाएगा मेरा भी जनम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो माला मैं बनू
तेरे सीने से लगूं सब दिल की कहूं
तू हैं दिलबर मेरा ओ मेरे सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो बृज रज मैं बनू
तेरे चरणों से लगूं बड़भागी बनू
संवर जायेगी तक़दीर मेरी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गैयाँ मैं बनू
तू जहां ले चले तेरे संग संग चलूँ
रहे मुझ मेँ न मेरा कुछ भी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गोपी मैं बनू
तेरे अंग संग रहूं और रास भी करू
सर्वस्व मैं अपना लुटा दूँ सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

Thursday 22 December 2016

मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा

तडपता हू मै आहे भर,
साहारा कोई न दिखता है
साहारा कोई न दिखता है
भरोसा श्याम चरणो मे
लगा दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
श्री यमुना किनारे पर
बनी सँतो की कुटिया मे
बनी रसिको की कुटिया मे
मेरी भी छोटी सी कुटिया
बना दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
दीवाना श्याम का बन कर
सदा नाचूगा गाऊगा............
सदा नाचूगा गाऊगा............
मुझे मुरली की तानो को
सुना दोगे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
श्री राधे जानकर दासी
लगालो अपनी सेवा मे
लगालो अपनी सेवा मे
सिद्धेश्वर दूबे को अपना
बना लोगे तो क्या होगा!
मेरे गुरुदेव वृन्दावन बुला लो गे तो क्या होगा!
मुझे श्यामाजू प्यारी से मेरे बांकेबिहारी से मिला दोगे तो क्या होगा!!!!!
जयवृन्दावन जयवृन्दावन
प्यारोवृन्दावन प्यारोवृन्दावन

Sunday 18 December 2016

तोरा मन दर्पण कहलाये -


भले बुरे सारे कर्मों को,देखे और दिखाये
मन ही देवता, मन ही ईश्वर,मन से बड़ा न कोय
मन उजियारा जब जब फैले,जग उजियारा होय
इस उजले दर्पण पे प्राणी,धूल न जमने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-
सुख की कलियाँ, दुख के कांटे,मन सबका आधार
मन से कोई बात छुपे ना,मन के नैन हज़ार
जग से चाहे भाग लो कोई,मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये -
तन की दौलत ढलती छाया, मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत माटी से रोल
हीरा जन्म अनमोल है व्यर्थ न जाने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-

Thursday 15 December 2016

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आज तक झूठे जगत की...ठोकरें खाई बहुत ।
गिरते पड़ते द्वारा पंहुचा...मुझको संभालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

नाम तेरा सुनके आया "" साँवरे ""...तू दयालु है बड़ा ।
तेरा तो कोमल हृदय है...मुझको ना टालें प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

कितनों के जीवन सवार...तेरी करुणा दृष्टि ने ।
एक नजर मुझपे भी...तेरे प्यार की डालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु..

"" भक्त "" की ये ही तमन्ना...चरणों का चाकर बनु ।
धन्य हो जाऊँगा में भी...सेवा करवालो प्रभु ।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

( तर्ज : साँवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...)

Saturday 10 December 2016

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी तुम्हारे हम हैं दीवाने सारे...
तुम्हें भूल के जहाँ में जायें तो कहाँ जायें...
कहीं तुम भुला न देना तुम्हें याद हम दिलायें...
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी ये नैया भव पार कैसे होगी...
बिन माझी बिन खेव्य्या मझधार में फंसेगी...
डूबेगी डूबने से इसे तू ही अब बचाये...
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी हमारे दिखते "" अनोखे "" न्यारे...
नहीं दूर हैं ये हमसे ये पास हैं हमारे...
जब भी पुकारे दिल से ये दौड़े चले आये
श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

श्री नाथ जी के चरणों में...शीश हम नावायें...
करके समर्पण खुद को...मंगलमय गीत गाये...

Monday 5 December 2016

भगवन्नामकी जय जय



जय आनन्द, अमृत, अज, अव्यय, आदि, अनादि, अतुल, अभिराम ।
जय अशोक, अघहर, अखिलेश्वर, योगी-मुनि-मानस-विश्राम ।।
जय कलिमल-मर्दन, करुणामय, कोसलपति, गुण-रूप-निधान ।
जय माधव, मधुसूदन, मोहन, मुरलीधर, मृदु-हृदय, महान ।।
जय गोविन्द, गोपिकावल्लभ, गोपति, गो-सेवक, गोपाल ।
जय गरुड़ध्वज, विष्णु, चतुर्भुज, श्री-लक्ष्मीपति, वक्ष-विशाल ।।
जय भय-भयदायक, भवसागर-तारक, भक्त-भक्त श्रीमान ।
जय मुकुन्द, मन्मथ-मन्मथ, मुर-रिपु, मंजुल-वपु, मंगलखान ।।
जय पुरुषोत्तम, प्रकृतिरमण, प्रभु, पावन-पावन, परमानन्द ।
जय फणि-फण-फण-नृत्यकरण, फणिभूषण, फणि-शय्या, सुखकन्द ।।
जय रघुनाथ, रमापति, रघुवर, रावणारि, राघव, श्रीराम ।
जय कंसारि, कमल-दल-लोचन, केशिनिषूदन, कृष्ण, ललाम ।।
जय राधा, राधामाधव, रस, रसनिधि, रसास्वाद-संलग्न ।
जय नटवर, नागर, नँदनंदन, नव-नव-नृत्यानन्द-निमग्न ।।
जय शंकर, शिव, आशुतोष, हर, महादेव, सब मंगल-भूप ।
जय संहारक, रुद्र, भयानक, मुण्डमालधारी, तम-रूप ।।
जय मृड, गंगाधर, गौरीपति, गणपति-पिता, शर्व, रिपु-काम ।
जय भुजंग-भूषण, शासी शेखर, नीलकण्ठ, भव, शोभाधाम ।।
जय काली, लक्ष्मी, सरस्वती, राधा, सीता, श्री, ईशानि ।
जय दुर्गा, तारा, परमेश्वरि, विद्या, प्रज्ञा, परमेशानि ।।
जय आदित्य, भुवनभास्कर, घृणि, तमहर, पातकहर, द्युतिमान ।
जय विघ्नेश, विघ्ननाशक, गण-ईश, सिद्धिदायक, भगवान ।।
जय प्रकाशमय, अग्नि, इन्द्र, नर, नारायण, पर, आत्माराम ।
जय सर्वेश, सर्वगुणनिधि, विधि, सर्वातीत, सर्वमय, श्याम ।।
लीला-गुण-रस-तत्त्व-प्रकाशक, प्रभुके मंगल-नाम अनेक ।
जयति जयति जय नाम नित्य नव मधुर नित्य निर्गुण-गुणवन्त ।।

Friday 2 December 2016

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु.

आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

आज तक झूठे जगत की...ठोकरें खाई बहुत ।
गिरते पड़ते द्वारा पंहुचा...मुझको संभालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

नाम तेरा सुनके आया "" साँवरे ""...तू दयालु है बड़ा ।
तेरा तो कोमल हृदय है...मुझको ना टालें प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

कितनों के जीवन सवार...तेरी करुणा दृष्टि ने ।
एक नजर मुझपे भी...तेरे प्यार की डालो प्रभु ।।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु..

"" भक्त "" की ये ही तमन्ना...चरणों का चाकर बनु ।
धन्य हो जाऊँगा में भी...सेवा करवालो प्रभु ।
आ गया तेरी शरण मे...मुझको अपनालो प्रभु...

( तर्ज : साँवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...)