Friday 23 December 2016

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुकुट मैं बनू
तेरे शीश पे सजू इतराता मैं फिरू
कर दे अहसान मुझ पे ओ मेरे सोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तिलक मैं बनू
तू ध्यान में रखे और मगन मैं रहूं
कर दे इतनी इनायत तू मेरे मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो काजल मैं बनू
तेरी पलकों से अँखियो में झाँका करू
जिनमें रहती हैं राधे रानी हरदम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो मुरली मैं बनू
अधरों से लगूं दिव्य अमृत चखू
सफल हो जाएगा मेरा भी जनम
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो माला मैं बनू
तेरे सीने से लगूं सब दिल की कहूं
तू हैं दिलबर मेरा ओ मेरे सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो बृज रज मैं बनू
तेरे चरणों से लगूं बड़भागी बनू
संवर जायेगी तक़दीर मेरी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गैयाँ मैं बनू
तू जहां ले चले तेरे संग संग चलूँ
रहे मुझ मेँ न मेरा कुछ भी मोहन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

तू इज़ाज़त जो दे तो तेरी गोपी मैं बनू
तेरे अंग संग रहूं और रास भी करू
सर्वस्व मैं अपना लुटा दूँ सजन
चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

चाहे जितना तू हमको सता ले मोहन...
पर अपना तू हमको बना ले मोहन...

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