Sunday 18 December 2016

तोरा मन दर्पण कहलाये -


भले बुरे सारे कर्मों को,देखे और दिखाये
मन ही देवता, मन ही ईश्वर,मन से बड़ा न कोय
मन उजियारा जब जब फैले,जग उजियारा होय
इस उजले दर्पण पे प्राणी,धूल न जमने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-
सुख की कलियाँ, दुख के कांटे,मन सबका आधार
मन से कोई बात छुपे ना,मन के नैन हज़ार
जग से चाहे भाग लो कोई,मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये -
तन की दौलत ढलती छाया, मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत माटी से रोल
हीरा जन्म अनमोल है व्यर्थ न जाने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये-

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