Sunday 28 February 2016

हे मन मोहन....

वो काला इक बासुँरी वाला, 
वो काला इक बासुँरी वाला।
सुध बिसरा गया मोरि रे,
वो काला इक बासुँरी वाला॥
माखनचोर जो नंदकिशोर वो,
कर गयों ओ रे मन की चोरी रे।
कर गयों ओ रे मन की चोरी रे।
सुध बिसरा गया मोरि ॥
कर गयों ओ रे मन की चोरी रे,
सुध बिसरा गया मोरि ,
वो काला इक बासुँरी वाला
सुध बिसरा गया मोरि रे.
पनघट पे मोरि बइयाँ मरोडी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोडी।
पइयाँ परु करु विनती पर,
माने ने इक वो मोरि॥
सुध बिसरा गया मोरि रे....
वो काला इक बासुँरी वाला,
वो काला इक बासुँरी वाला।
वो काला इक बासुँरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरि रे॥
छुप गयो फिर इक तान सुना के,
कहा गयो इक बाण चला के।
गोकुल ढुंढा, मैनें मथुरा ढुंढी ,
कोइ नगरियाँ ना छोडी रे॥
सुध बिसरा गया मोरि रे...
सुध बिसरा गया मोरि रे,
वो काला इक बासुँरी वाला।
वो काला इक बासुँरी वाला ,
सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरि रे।
वो काला इक बासुँरी वाला ,
  वो काला इक बासुँरी वाला॥
माखनचोर जो,नंदकिशोर वो,
  सकर गयों औरे मन की चोरी रे
   सुध बिसरा गया मोरि ॥
        ||राधा रमण को समर्पित!!

Wednesday 24 February 2016

पदरत्नाकर

तुम ही मेरी हो धन-दौलत, तब मैं निर्धन क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे सहृदय साजन, तब मैं निर्जन क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरे जब पूर्ण स्वास्थ्य, तब मैं रोगी क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे भर्तार आप, तब मैं भोगी क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरी निश्चित आशा, तब मैं निराश क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरी जब ऋद्धि-सिद्धि, तब मैं हताश क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरे जब निर्भय पद, तब मैं भयवश क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे स्नेही स्वामी, तब मैं परवश क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरे जब मनके मन, तब मैं बे-मन क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे आनन्द नित्य, तब मैं अनमन क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरे जब नाथ साथ, तब मैं अनाथ क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे जब सबल हाथ, तब मैं निहाथ क्यों होऊँगा॥
तुम हो मेरे शुभ शुचि सद्‌‌गुण, तब मैं दुर्गुण क्यों होऊँगा।
तुम हो मेरे निर्गुण आत्मा, तब मैं सह-गुण क्यों होऊँगा॥



नारायण । नारायण ।

Saturday 20 February 2016

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ सांवरा

यमुना जल मा केसर घोली स्नान कराऊँ सांवरा
हल्के हाथो अंगो चौड़ी लाड लडाऊँ सांवरा

अंगो लुछि आपु वस्त्रो पीडू पीताम्बर प्यार मा
तेल सुगन्धी नाखि आपु वांकड़िया तूझ वाड मा

कुमकुम केसर तिलक सजाउ त्रिकम तारा बालमा
अलबेली आँखो मा आजू अंजन मारा बालमा

हँसती जाऊँ वाटे घाटे नाची उठ~उठ ताल मा
नजर ना लागे श्याम सुन्दर ने टपका करी दऊँ
गाल मा कर मा कंकण बालमा

पग मा झाँझर रुमझुम वागे कर मा कंकण बालमा
कंठे माला काने कुण्डल चोरे चिथरू चालमा

मोर मुकुट माथे पेहराऊँ मुरली आपु हाथमा
कृष्ण कृपालु निरखी शोभा वारी जाऊ मारा बालमा

दूध कटोरी भरी ने आपु पिओ ने मारा सांवरा
भक्त मंडल निरखी शोभा राखो शरणे मारा सांवरा.....

जय जय हरि-हृदया वृषभानु-सुकुमारी॥

जय जय हरि-हृदया वृषभानु-सुकुमारी॥
बिजुरि बरन गौर बदन, सोहत तन नील बसन,
बिंब अधर मधुर हँसन, माधव-मन-हारी।
सुषमामय अंग-‌अंग, लि‌एँ मधुर सखिन संग,
बिहरत भरि मन उमंग प्रियतम-सुखकारी॥

लोक-बेद-लाज त्यागि, त्यागि स्वजन महाभाग,
हरि-हित गावत बिहाग, डोलत मतवारी।
प्रियतम-सुख-जल-सुमीन, निज-सुख-बांछा बिहीन,
गुननिधि, पै बनी दीन, राधिका दुलारी॥

जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे! जय जय श्री राधे!

"पद रत्नाकर "

श्रद्धेय भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी
गीताप्रेस गोरखपुर भारत पुस्तक कोड-५०

Friday 19 February 2016

घूंघट में अपने मुह को छिपाते हुए...

घूंघट में अपने मुह को छिपाते हुए...
कृष्ण किशोरी जी के सामने पहुंचे और उनका हाथ पकड़ कर बोले...
"कि कहो सुकुमारी तुम्हारे हाथ पे किसका नाम लिखूं...।"
तो किशोरी जी ने उत्तर दिया...
"कि केवल हाथ पर नहीं मुझे तो पूरे श्री अंग पर लील्या गुदवाना है और क्या लिखवाना है...

किशोरी जी बता रही हैं...
माथे पे मदन मोहन...पलकों पे पीताम्बर धारी...
नासिका पे नटवर...कपोलों पे कृष्ण मुरारी...
अधरों पे अच्युत...गर्दन पे गोवर्धन धारी...
कानो में केशव और भृकुटी पे भुजा चार धारी...
छाती पे चालिया और कमर पे कन्हैया...
जंघाओं पे जनार्दन...उदर पे ऊखल बंधैया...
गुदाओं पर ग्वाल...नाभि पे नाग नथैया...
बाहों पे लिख बनवारी...हथेली पे हलधर के भैया...
नखों पे लिख नारायण...पैरों पे जग पालनहारी...
चरणों में चोर माखन का... मन में मोर मुकुट धारी...
नैनो में तू गोद दे नंदनंदन की सूरत प्यारी
और
रोम रोम पे मेरे लिखदे रसिया रणछोर वो रास बिहारी...
दंत नाम दामोदर लिख दे...बाहों बीच लिखो बनवारी...
रोम-रोम में लिख दे रसिया ए लिलहार की गोदनहारी..."

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Friday 12 February 2016

कन्हैया तेरा रंग काला...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...



ओ काली कमली वाले ओ तिरछी नजरो वाले
लट तेरे घुँघराले भी काले काले
नजर का टीका भी काला क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा
कन्हैया तेरा रंग काल...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...

अधरों पे तेरे लाली कानो में कुण्डल बाली
सुरत है तेरी प्यारी काली हुई तो क्या
तेरी मुस्कान पे प्यारा हुआ कुरबान जग सारा
कन्हैया तेरा रंग काल...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...

मेरा रंग भी है काला तुम्हारे जैसा कान्हा
क्यूँ फिर भी नहीं प्यारा मैं ज़माने को बता
मुझे लगता है तुम करते हो भक्तो पे जादु~टोना
कन्हैया तेरा रंग काल...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...

ओ निली छतरी वाले ओ राजा कटरा वाले
क्यूँ दिल पे डोरे डाले अनोखे बता
हमारे दिल दिवाने को यूँ तड़पाना नहीं अच्छा
कन्हैया तेरा रंग काल...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...

कन्हैया तेरा रंग काल...क्यूँ लागे फिर भी तू प्यारा...

Tuesday 9 February 2016

सपनों में तेरा यूँ आना-- ओ सांवरा

सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की निदे उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

क्यूँ सताते हो सपनों में आकर क्यूँ चुराते हो नीदों को गिरधर
दिन तो कटते थे यादों में तेरे क्या पता रातें कैसे कटें अब
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

कैसा तुमसे ये रिश्ता हमारा कुछ तो बोलो मेरे प्यारे खुलकर
या तो साथी तुम अपना बनालो या मुझे बख्श दो मेरे गिरधर
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

रूबरू कब मिलोगे तुम हमसे या यूँ ही प्यारे छलते रहोगे
दर पे तेरे खड़ा हूँ "" अनोखे "" फैसला आज तेरा में सुनने
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

Monday 8 February 2016

इतना तो करना स्वामी ,

इतना तो करना स्वामी ,
जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेके ,
तब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
श्री गंगा जी का तट हो ,
जमुना का वंशीवट हो
मेरा साँवरा निकट हो ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
श्री वृन्दावन का तल हो ,
मेरे मुख में तुलसीदल हो
विष्णु चरण का जल हो ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
पीताम्बरी कसी हो ,
छवि मन में ये बसी हो
होठों पे कुछ हँसी हो ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
मेरा प्राण निकले सुख से ,
तेरा नाम निकले मुख से
बच जाऊं घोर दुःख से ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
जब प्राण कंठ आये ,
कोई रोग न सताए
यम दरस न दिखाए ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
उस वक़्त जल्दी आना ,
नहीं श्याम भूल जाना
राधे को साथ लाना ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~०~~~
एक भक्त की है अर्जी ,
खुदगर्ज़ की है गरजी
आगे तुम्हारी मर्ज़ी ,
जब प्राण तन से निकले !
~~~~~००~~~~~

Sunday 7 February 2016

जय प्राणधन राधारमण...

जय प्राणधन राधारमण...
श्री गोपाल भट्ट जू के लाडले...!!
जय श्याम सुन्दर..अधर मुरली,
बजत तानन आडिले
जय प्राणधन राधारमण....!!
जय मोर मुकुट, झुकोये बाँये..
पीत अम्बर राजहि...
जय मकर कुण्डल, श्रवण झूमें ,
गण्ड मंडल भ्राजहि !!
जय प्राणधन राधारमण....
श्री गोपालभट्ट जू के लाडले..
जय बंकनयन, मधुर बैनन ,
मन्द मुस्कनी मुख सजे...
जय वैजयंती माल उर,
कटि किंकणि कल धुन सजे..
जय प्राणधन राधारमण...!!
जय कर कमल लकुटी सुरंगी ,
नव् त्रिभंगी छवि लसै...
जय चरण कमलंन नुपुरन सुर..
मञ्जरी गुण मन बसै..
जय प्राणधन राधारमण..

Saturday 6 February 2016

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

मालिक तेरे बन्दे हम ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चले और बदी से टले ताकि हंसते हुए निकले दम।

ये अंधेरा घना छा रहा तेरा इंसान घबरा रहा,
हो रहा बेखबर कुछ न आता नजर गम का सूरज डूब जा रहा,
है तेरी रौशनी में जो दम तो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चले और बदी से टले ताकि हंसते हुए निकले दम।

जब जुल्मो का हो सामना तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें हम भलाई करें नहीं बदले की हो भावना,
बढ़ चले प्यार का हर कदम और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चले और बदी से टले ताकि हंसते हुए निकले दम।

बड़ा कमजोर है आदमी अभी अभी लाखो हैं इसमें कमीं,
पर तू जो है खड़ा है दयालु बड़ा तेरी कृपा से हैं हम सभी,
दिया तूने हमें जब जनम हंस करके सहेंगे हर गम,
नेकी पर चले और बदी से टले ताकि हंसते हुए निकले दम ।

पदरत्नाकर

केवल तुम्हें पुकारूँ प्रियतम! देखूँ एक तुम्हारी ओर।
अर्पण कर निजको चरणोंमें बैठूँ हो निश्चिन्त, विभोर॥
प्रभो! एक बस, तुम ही मेरे हो सर्वस्व सर्वसुखसार।
प्राणोंके तुम प्राण, आत्माके आत्मा आधेयाऽधार॥
भला-बुरा, सुख-दुःख, शुभाशुभ मैं, न जानता कुछ भी नाथ!।
जानो तुम्हीं, करो तुम सब ही, रहो निरन्तर मेरे साथ॥
भूलूँ नहीं कभी तुमको मैं, स्मृति ही हो बस, जीवनसार।
आयें नहीं चित्त-मन-मतिमें कभी दूसरे भाव-विचार॥
एकमात्र तुम बसे रहो नित सारे हृदय-देशको छेक।
एक प्रार्थना इह-परमें तुम बने रहो नित संगी एक॥



नारायण । नारायण ।

Friday 5 February 2016

तू पुकार ले सांवरे को.

तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।
मन की आँखे खोल...तेरे सामने घनश्याम है।।

हर घडी हर पल का साथी ऐसा ये दिलदार है,
छोड़ दे तू साथ चाहे...ये सदा तेरे साथ है,
तू मुसाफिर है जहाँ में...ये है मालिक जान ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

कौन है कोई नहीं...तेरा संसार में,
तु जिसे अपना समझता...वो है माया बाँवरे,
तू पतंग है डोर अपनी सांवरे संग बाँध ले।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

है कठिन ये अग्नि पथ है ये हमारी जीन्दगी,
तु बना ले सांवरे को अपना जीवन सारथी,
मुस्कुराते कट जायेगी...यें अनोखी जीन्दगी।
तू पुकार ले सांवरे को...साँवरा तेरे साथ है।

( तर्ज : आपकी नज़रों ने समझा...)

जय श्री कृष्णा
राधे राधे

Thursday 4 February 2016

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...

एक तो तेरे नैन तिरछे दूसरा काजल लगा
तीसरा नज़रे मिलाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे होंठ पतले दूसरा लाली लगी
तीसरा तेरा मुस्कुराना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे हाथ कोमल दूसरा मेहन्दी लगी
तीसरा मुरली बजाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे पाँव नाजुक दूसरा पायल बंधी
तीसरा तेरे घुँघरू बजाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे भोग छप्पन दूसरा माखन घना
तीसरा खिचडे का खाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी
तीसरा मीरा का गाना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

एक तो तुम देवता हो दूसरा प्रियतम मेरे
तीसरा सपनो में आना दिल दीवाना हो गया...
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया

सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया मेरा दिल दीवाना हो गया
सावली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया...

Wednesday 3 February 2016

एकादशी

बरत करो रे भई एकादशी...राजा राम जी के नाम बिन मुक्ति कैसी...

उजला~उजला कपड़ा पहने...पर नारी चित्त जो घर सी...
इस करनी का नर होसी रे कुकरो...गलियारों घुसतो फिरसी...

पगड़ी बांध सभा में बैठो...झूठी सांची जो भरसी...
इस करनी का नर होसी रे कांगलो...कांय~कांय करतो फिरसि...

मार पगां कचेड्या बैठ्या...तेरी मेरी जो करसी...
इस करनी का नर होसी रे सरपलो...पेट पलाण्या वो फिरसि...

अपने पति को छोड़ नर वो जो पर पुरसा पर चित्त धरसि...
इस करनी की नारी होसी रे कूकरी घर~घर डण्डा वो खासी...

गऊ को दान जमीन का दान...सोने का दान नर जो करसी...
इस करनी का नर होसी रे...राणाजी हाथी पर बैठ्यो फिरसि...

सत से चले मत से बोले...हर की पैड़ी वो चढ़सी...
कहत कबीर सुणों भई साधो...सातो पीढ़ी वो तिरसि...

बरत करो रे भई एकादशी...राजा रामजी के नाम बिन मुक्ति किसी...

कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे


कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी – २
उन्ही के चरण चित लगाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

बना करके हृदय में हम प्रेम मंदिर
वहीँ उनको झूला झुलाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

उन्हें हम बिठाएंगे आँखों में दिल में
उन्ही से सदा लौ लगाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

जो रूठेंगे हमसे वो बांके बिहारी
चरण को पकड़ हम मनाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

उन्हें प्रेम डोर से हम बाँध लेंगे
तो फिर वो कहा भाग जाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

उन्होंने छुडाये थे गज के वो बंधन
वही मेरे संकट मिटाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

उन्होंने नचाया था ब्रह्माण्ड सारा
मगर अब उन्हें हम नचाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं में बृज की गुजारा करेंगे

भजेंगे जहा प्रेम से नन्द नंदन
कन्हैया छवि को दिखाया करेंगे

ये हमारे जीवन की सत्यता है रसिको ।

Tuesday 2 February 2016

पद-रत्नाकर

! हे नाथ !
प्रभो! तुम्हारी सहज कृपा पर मुझको सदा रहे विश्वास।
कभी न हो संदेह, हृदय तुमसे हो नहीं कदापि निराश॥
तुम ही एक त्राणकर्ता हो, तुम अनन्य शरणद भगवान।
योग-क्षेम तुम्हीं हो मेरे, भूले कभी न मन यह भान॥
रहूँ तुम्हारे चरण-देशमें, नहीं कभी जाऊँ अन्यत्र।
सदा तुम्हारी रक्षकताकी हो अनुभूति मुझे सर्वत्र॥
रहूँ तुहारे बलसे, हे प्रभु! सदा सभी विधि मैं बलवान।
पाप-ताप छू सकें न मुझको, कभी न मनमें हो अभिमान॥
सदा विनम्र रहूँ चरणों में, सदा तुम्हारा लूँ शुचि नाम।
सदा सभी में नाथ! तुहारे दर्शन कर पाऊँ अभिराम॥
(पद-रत्नाकर)

Monday 1 February 2016

बोल हरि बोल, हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥


नाम प्रभु का है सुखकारी, पाप कटेंगे क्षण में भारी।
नाम का पीले अमृत घोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

शबरी अहिल्या सदन कसाई, नाम जपन से मुक्ति पाई।
नाम की महिमा है बेतोल , केशव माधव गोविन्द बोल॥

सुवा पढ़ावत गणिका तारी, बड़े-बड़े निशिचर संहारी।
गिन-गिन पापी तारे तोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

नरसी भगत की हुण्डी सिकारी, बन गयो साँवलशाह बनवारी।
कुण्डी अपने मन की खोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

जो-जो शरण पड़े प्रभु तारे, भवसागर से पार उतारे।
बन्दे तेरा क्या लगता है मोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

राम-नाम के सब अधिकारी बालक वृध्द युवा नर नारी।
हरि जप इत-उत कबहुँ न डोल, केशव माधव गोविन्द बोल ।।

चक्रधारी भज हर गोविन्दम्, मुक्तिदायक परमानन्दम्।
हरदम कृष्ण मुरारी बोल, केशव माधव गोविन्द बोल ।।

रट ले मन ! तू आठों याम, राम नाम में लगे न दाम।
जन्म गवाँता क्यों अनमोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

अर्जुन का रथ आप चलाया, गीता कह कर ज्ञान सुनाया।
बोल, बोल हित-चित से बोल, केशव माधव गोविन्द बोल॥

प्रभु मन बसियो रे...

वीर हनुमाना अति बलवाना...राम नाम रसियों रे
प्रभु मन बसियो रे...

जो कोई आवे अरज लगावे...सब की सुनियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

बजरंग बाला फेरु थारी माला दीनदयाला...संकट हरियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

ना कोई संगी हाथ की तंगी...जल्दी हरियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

अर्जी हमारी मर्जी तुम्हारी...कृपा करियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

राम जी का प्यारा सिया का दुलारा...संकट हरियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

वीर हनुमाना अति बलवाना...राम नाम रसियो रे
प्रभु मन बसियो रे...

|| राम राम ||
|| जय बजरंगी ||
|| जय हनुमान ||

पदरत्नाकर

तुम्हें क्या कहूँ, क्या न कहूँ, कुछ नहीं उपजती मनमें बात।
रहता हूँ अधिकांश समय मैं पास तुम्हारे ही दिन-रात॥
दूर रहे या पास रहे तन, इसका कुछ भी है न महत्व।
नित्य मिलन में नित्य बना है सुखमय पूर्ण नित्य अस्तित्व॥
अनुभव जब होगा, तब तुमको भी यह दीखेगा अति सत्य।
मिट जायेगी भ्रमयुत सब अमिलन की यह धारणा असत्य॥
संशय त्याग, करो तुम मनमें दृढ़ निश्चय, दृढ़तम विश्वास।
दर्शन होंगे तुम्हें सत्यके, मैं जो रहता हूँ नित पास॥
विस्मृतिकी है नहीं कल्पना, जहाँ न होता कभी वियोग।
सदा सर्वदा रहता है जब मधुर मनोहर शुचि संयोग॥