Friday 19 February 2016

घूंघट में अपने मुह को छिपाते हुए...

घूंघट में अपने मुह को छिपाते हुए...
कृष्ण किशोरी जी के सामने पहुंचे और उनका हाथ पकड़ कर बोले...
"कि कहो सुकुमारी तुम्हारे हाथ पे किसका नाम लिखूं...।"
तो किशोरी जी ने उत्तर दिया...
"कि केवल हाथ पर नहीं मुझे तो पूरे श्री अंग पर लील्या गुदवाना है और क्या लिखवाना है...

किशोरी जी बता रही हैं...
माथे पे मदन मोहन...पलकों पे पीताम्बर धारी...
नासिका पे नटवर...कपोलों पे कृष्ण मुरारी...
अधरों पे अच्युत...गर्दन पे गोवर्धन धारी...
कानो में केशव और भृकुटी पे भुजा चार धारी...
छाती पे चालिया और कमर पे कन्हैया...
जंघाओं पे जनार्दन...उदर पे ऊखल बंधैया...
गुदाओं पर ग्वाल...नाभि पे नाग नथैया...
बाहों पे लिख बनवारी...हथेली पे हलधर के भैया...
नखों पे लिख नारायण...पैरों पे जग पालनहारी...
चरणों में चोर माखन का... मन में मोर मुकुट धारी...
नैनो में तू गोद दे नंदनंदन की सूरत प्यारी
और
रोम रोम पे मेरे लिखदे रसिया रणछोर वो रास बिहारी...
दंत नाम दामोदर लिख दे...बाहों बीच लिखो बनवारी...
रोम-रोम में लिख दे रसिया ए लिलहार की गोदनहारी..."

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