Tuesday 9 February 2016

सपनों में तेरा यूँ आना-- ओ सांवरा

सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की निदे उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

क्यूँ सताते हो सपनों में आकर क्यूँ चुराते हो नीदों को गिरधर
दिन तो कटते थे यादों में तेरे क्या पता रातें कैसे कटें अब
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

कैसा तुमसे ये रिश्ता हमारा कुछ तो बोलो मेरे प्यारे खुलकर
या तो साथी तुम अपना बनालो या मुझे बख्श दो मेरे गिरधर
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

रूबरू कब मिलोगे तुम हमसे या यूँ ही प्यारे छलते रहोगे
दर पे तेरे खड़ा हूँ "" अनोखे "" फैसला आज तेरा में सुनने
सपनों में तेरा यूँ आना रातोँ की उड़ाना
दिवाना कर देना मुझको तेरा यू निदें चुराना
ओ सांवरा...

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