Monday 10 October 2016

किशोरी जू का गुणगान~


कीरति सुता के पग-पग में प्रयाग- राज,
केशव की केल कुटी कोटि- कोटि काशी है..
जमुना में जगन्नाथ, रेणुका में रामेश्वर,
कर तल पर पड़े रहत अयोध्या के वासी है....
गोपीन के द्वार-द्वार हरिद्वार बसत यहाँ,
बद्री-केदारनाथ फिरत दास- दासी है..
स्वर्ग-अपवर्ग सुख लेके हम तरेये कहा,
जानत नही हो हम वृन्दावन वासी है....
~श्यामाजू की बड़ाई~
या बृजमंडल के कण-कण में,
है बसी तेरी ठकुराई..
कालिंदी की लहर-लहर ने, तेरी महिमा गई....
पुलकित होए तेरो यश गावे, श्री गोवेर्धन गिरिराई..
ले-ले नाम तेरो मुरली में, नाचे कुवर कनाई..
कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष्स्थले कौस्तुभं !
नासाग्रेवर मौक्तिकं करतले वेणु करे कंकणं !!
सर्वांगे हरी चन्दनं कलयन्कंठे च मुक्तावलिं !
...गोपस्त्री परिवेस्टितो विजयते गोपाल चूढामणि !!
फुल्लेंदिवरकान्तिमिंदु वदनं बरहावतंस प्रियं !
श्रीवत्सांक मुदार कौस्तुभधरम पीताम्बरं सुंदरम !!
गोपीनाम नयनो पलार्चित तनुं गो गोप संघावृतं !
गोविन्दम कल वेणु वादन परं दिव्यां
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
यह सोने की होती तो न जाने क्या होता
यह बाँस की होकर के इतना इतराती है।
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।|1||
तुम सीधे होते तो न जाने क्या होता,
तेरी टेड़ी चालों पर दुनिया मर जाती है।
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।|3||
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
''जय श्री राधे कृष्णा
राधा साध्यं, साधनं यस्य राधा |
मन्त्रो राधा, मन्त्रदात्री
यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ...
तेरी दया से यह जीवन है मेरा मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा...!!
न पुछो किये मैंने अपराध क्या- क्या कहीं यह जमीन-आसमान हिल न जाये...
जब तक मेरी श्यामा क्षमा न करोगी मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा...!!
बहुत ठोकरे खा चूका जिंदगी में तमन्ना फकत तेरे दीदार की है...
जब तक मेरी श्यामा दर्श न दोगी मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा...!!
तारो न तारो ये मर्जी तुम्हारी निर्धन की बस आखरी बात सुन लो...
मुझसा पतित और अधम जो न तारा तेरे ही दर पर मैं दम तोड़ दुगा...!!

~ दिल से बोलो जी राधे राधे

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