Tuesday 2 August 2016

शिव शम्भो शम्भो शिव शम्भो महादेव

शिव शम्भो शम्भो शिव शम्भो महादेव
हर हर महादेव शिव शम्भो महादेव
हल हल धर शम्भो अनाथ नाथ शम्भो
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ नमः शिवाय
गंगाधर शिव गौरी शिव शम्भो शंकर साम्ब शिव
जय जगदीश्वर जय परमेश्वर हे जगदीश जगदीश्वर
विश्वाधार विश्वेश्वर शम्भो शंकर साम्ब शिव

भगवान शिव वैष्णव शिरोमणि हैं -
वैष्णवानाम यथा शम्भो ।
शिवजी गुरुतत्व भी हैं --
वन्दे बोधमयं नित्यम् गुरुम् शंकर रूपिणम् ।

हरि भक्ति और हरि नाम का आश्रय -
यही शिवजी की शिक्षाएं हैं ।
आदि शकराचार्य का सूत्र
भज गोविन्दम् मूढ़ मते ।

गाँजा- भाँग आदि पीना शिवजी की शिक्षा नहीं है
जैसा कि पाखण्डी करते हैं ।

अतः हरि नाम जपिये --
मंगल भवन अमंगल हारी ।
उमा सहित जेहिं जपत पुरारी ।।

हरि सेवा के लिए ही शिवजी हनुमान बने ।
हर और हरी का रस एक सामान है ,
व्याकरण रूप से भी हर और हरी का अर्थ एक समान ही है ,
रुद्राणां शङ्‍करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्‌ ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्‌ ॥
गीत ।8।23।
भावार्थ :  मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ।
मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥23॥

शिव को राम और राम को शिव , अति प्रिय हैं।
जो भोलेनाथ को प्रिय हैं ,
उनके स्मरण मात्र से भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं ।
** शिव शाबर मंत्र –
” हरि ॐ नमः शिवाय, शिव गुरु रामाय ”

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