Monday 1 August 2016

तू क्यूँ घबराता है

तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है।
जब मालिक है सिर पे...क्यूँ जी को जलाता है।।

तू देख विनय करके...तेरी लाज बचायेगा।
तू जब भी बुलायेगा...हर बार वो आयेगा।
अपने प्रेमी को दुखी...वो देख ना पाता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

जब कुछ ना दिखाई दे...तू श्याम का ध्यान लगा।
मेरा श्याम सहारा है...मन में विश्वास जगा।
जब श्याम कृपा होती...रस्ता मिल जाता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

तेरी हर मुश्किल को...चुटकी में ये हल कर दे।
कोई दाव चलाये तो...ये झट से विफल कर दे।
कोई ना जान सके...किस रूप में आता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

पड़ती जो जरूरत है...आता ये तब~तब है।
भक्त का ये अनुभव है...यहाँ सब कुछ सम्भव है।
मेरे श्याम की लीला को...कोई समज ना पता है।।
तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है...

तू क्यूँ घबराता है...तेरा श्याम से नाता है।
जब मालिक है सिर पे...क्यूँ जी को जलाता है।।


जय श्री कृष्ण
राधे राधे

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