Saturday 23 September 2017

क्या तन माँजता रे

क्या तन माँजता रे
आखिर माटी में मिल जाना...

माटी ओढ़न माटी पहरन
माटी का सिरहाना
माटी का एक बुत बनाया
जामे भंवर लुभाना....
क्या तन माँजता रे
आखिर माटी में मिल जाना....

फाटा चोला भया पुराना
कब लगि सीवें दरजी
कबीर चोला अमर भया
संत जो मिल गये दरजी...
क्या तन माँजता रे...

माल पड़ा साहूकार का
चोर लगा सरकारी
एक दिन मुश्किल आन पड़ेगी
महसूल भरेगा भारी....
क्या तन माँजता रे...

चुन चुन लकड़ी महल बनाया
बंदा कहे घर मेरा
ना घर तेरा ना घर मेरा
चिड़िया रैन बसेरा....
क्या तन माँजता रे....

माटी कहे कुम्हार से
तू क्यों रौंदे मोहि
एक दिन ऐसा आयेगा
मैं रौंदूँगी तोहि....
क्या तन माँजता रे
आखिर माटी में मिल जाना....
*🙏 जय श्रीकृष्ण🙏*

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