Saturday 12 March 2016

जे जे जे श्री वृंदावन

रंगीलो राधेवल्लभलाल, जे जे जे श्री वृंदावन ।
विहरत संग लाडिली वाल, जे जे जे श्री वृंदावन ।।
जमुना नील मणिन की माल,जे जे जे श्री वृंदावन ।
प्रेम सुरस वरषत सब काल, जे जे जे श्री वृंदावन ।।
सखिन संग राजत जुगल किशोर, जे जे जे श्री वृंदावन।
अद्भुत छवि साझ अरू भोर, जे जे जे श्री वृंदावन।।
प्रेम कि नदी वहे चहुं ओर, जे जे जे श्री वृंदावन।
आनंद रंग को ओर न छोर, जे जे जे श्री वृंदावन।।
दुर्लभ पिय प्यारी को धाम ,जे जे जे श्री वृंदावन।
चहु दिसि गुंजत राधा नाम, जे जे जे श्री वृंदावन।।
नेननि निरखिये श्यामा श्याम,जे जे जे श्री वृंदावन।
मनवा लेत परम विश्राम, जे जे जे श्री वृंदावन।।
धनि धनि श्री किनका परसाद,जे जे जे श्री वृंदावन।
सभे सुख एक सीथ के स्वाद,जे जे जे श्री वृंदावन।।
सर्वसु मान्यो हित प्रभुपाद,जे जे जे श्री वृंदावन।
धनि धनि ब्रजवासी बड़भाग, जे जे जे श्री वृंदावन।।
जिनके ह्रये सहज अनुराग, जे जे जे श्री वृंदावन।
लेत सुखरास हिंडोला, फाग,जे जे जे श्री वृंदावन।।
गावन जीवन जुगल सुहाग,जे जे जे श्री वृंदावन।
छवीली वृंदावन की वेलि, जे जे जे श्री वृंदावन।।
छाह तरे करें जुगल रस केलि,जे जे जे श्री वृंदावन।
मंद मुसिकात अंस भुज मेली,जे जे जे श्री वृंदावन।।
रसिक दें कोटी मुक्ति पग पेलि,जे जे जे श्री वृंदावन।
पावन वृंदावन की धुरि,जे जे जे श्री वृंदावन।।
परस किये पाप ताप सब दूरि,जे जे जे श्री वृंदावन।
रसिक जननि की जीवन मूरि,जे जे जे श्री वृंदावन।।
हित को राज सदा भरपूर, जे जे जे श्री वृंदावन।
रसीली मनमोहन की वेणु,जे जे जे श्री वृंदावन।।
कोन हरिवंशी समरस देन,जे जे जे श्री वृंदावन।
अगोचर नित विहार दरसेन, जे जे जे श्री वृंदावन।।
मन पायो निकुंजनि ऐन,जे जे जे श्री वृंदावन.....

" ʝaï ֆɦʀɛɛ kʀɨֆɦռa " 

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