अपने बल-पौरुषसे हारे भक्तका अपने शक्तिमान प्रभुसे अंगीकारार्थ करुण प्रार्थना ।
शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये
मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार।
हुआ चूर पुरुषार्थ-गर्व सब, निकली बरबस करुण पुकार।
शक्तिमान हे ! शक्ति-स्रोत हे ! करुणामय ! हे परम उदार ।
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्ररूपमें अंगीकार ॥
हरो सभी, तम तुरत सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार ।
जो चाहो, करो, नित्य निश्शङ्क निजेच्छाके अनुसार ॥
कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जाओ उस पार ।
अथवा मध्य-हिंडोलेपर ही, रहो झुलाते बारंबार ॥
भोग्य बना भोक्ता बन जाओ, भर्ता बनों भले सरकार ।
बचे न 'ननु-नच' कहनेवाला मिटें अहंके क्षुद्र विकार ॥
कौन प्रार्थना करे किस तरह किसकी फिर हे सर्वाधार !
सर्व बने तुम अपनेमें ही करो सदा स्वच्छन्द विहार ॥
॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥
गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण ) से
शक्ति देकर यन्त्ररूपमें अंगीकार कीजिये
मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार।
हुआ चूर पुरुषार्थ-गर्व सब, निकली बरबस करुण पुकार।
शक्तिमान हे ! शक्ति-स्रोत हे ! करुणामय ! हे परम उदार ।
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्ररूपमें अंगीकार ॥
हरो सभी, तम तुरत सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार ।
जो चाहो, करो, नित्य निश्शङ्क निजेच्छाके अनुसार ॥
कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जाओ उस पार ।
अथवा मध्य-हिंडोलेपर ही, रहो झुलाते बारंबार ॥
भोग्य बना भोक्ता बन जाओ, भर्ता बनों भले सरकार ।
बचे न 'ननु-नच' कहनेवाला मिटें अहंके क्षुद्र विकार ॥
कौन प्रार्थना करे किस तरह किसकी फिर हे सर्वाधार !
सर्व बने तुम अपनेमें ही करो सदा स्वच्छन्द विहार ॥
॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥ ओम नारायण ॥
गीता प्रेस, गोरखपुरसे प्रकाशित 'भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना-अंक (कल्याण ) से
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