Wednesday 13 April 2016

धन्य कृष्णा धन्य-धन्य तेरी माया।



बालकपन में माटी खाई, मात यशोदा बाँधन आई
मुख अन्दर ब्रह्मांड दिखाया ||

धन्य ---------------

नरसी भगत ने आस लगाई, कैसे भात भरूँगा भाई
अम्बर से कंचन बरसाया ||

धन्य ---------------

द्रुपद-सुता दुष्टों ने घेरी, रक्खी लाज करी ना देरी
भरी सभा में चीर बढ़ाया ||

धन्य ---------------

भक्त सुदामा तंदुल लाए, बड़े प्रेम से भोग लगाए
तन्दुल खा धनवान बनाया ||

धन्य ---------------

जयद्रथ की जब खबर न पाई, अर्जुन ने जब चिता सजाई
माया का सूरज चमकाया ||

धन्य ---------------

गान्धारी के पुत्र मरे जब, अर्जुन को जब मोह हुआ तब
गीता का उपदेश सुनाया ||

धन्य ---------------

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