बालकपन में माटी खाई, मात यशोदा बाँधन आई
मुख अन्दर ब्रह्मांड दिखाया ||
धन्य ---------------
नरसी भगत ने आस लगाई, कैसे भात भरूँगा भाई
अम्बर से कंचन बरसाया ||
धन्य ---------------
द्रुपद-सुता दुष्टों ने घेरी, रक्खी लाज करी ना देरी
भरी सभा में चीर बढ़ाया ||
धन्य ---------------
भक्त सुदामा तंदुल लाए, बड़े प्रेम से भोग लगाए
तन्दुल खा धनवान बनाया ||
धन्य ---------------
जयद्रथ की जब खबर न पाई, अर्जुन ने जब चिता सजाई
माया का सूरज चमकाया ||
धन्य ---------------
गान्धारी के पुत्र मरे जब, अर्जुन को जब मोह हुआ तब
गीता का उपदेश सुनाया ||
धन्य ---------------
-----
No comments:
Post a Comment