हे गोविंद....
निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो,
निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो,
ये जन्नत नही है तो फिर ओर क्या है,
मेरे दिल को जो दर्द तुमने दिए हैं,
ये मोहब्बत नही है तो फिर ओर क्या
है...
तम्हारी दया की नजर देखते है,
नजर का अनोखा असर देखते हैं,
निगाहों से पल मे वो दिल का बदलना,
ये हरकत नही है तो फिर ओर क्या है...
मेरे दिल मे तुमने जो कुछ कर दिया है,
जहर की जगह अमृत भर
दिया है,
तुम्हारी मधुर मुस्कुराहट के पिछे,
ये शरारत नही तो फिर ओर क्या
है...
ये माना की मेरी जरूरत नही है,
मगर प्यारे तेरी जरूरत है
मुझको,
वो मीठी सी बातो से मन मोह लेना,
ये चाहत नही है तो फिर ओर क्या
है...
मेरी सारी बिगडी बनाई है तुमने,
मेरी जिन्दगी जगमगाई है तुमने,
जहाँ था अंधेरा वहाँ रोशनी है,
ये इनायत नही है तो फिर ओर क्या है...
राधे राधे गोविन्द राधे
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