Friday 8 July 2016

कुछ तो होगा ना हरि के नाम में

कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में
क्यों मीरा दीवानी भई
जगत से बेगानी भई
हँसते हुए विष पी गयी
सारा जीवन ऐसे जी गयी
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

थे धन्ने ने पत्थर को भोग पवाये
क्यों भोग पाने ठाकुर जी आये
था प्रेम से ठाकुर को पुकारा
ठाकुर ने बोला मैं हूँ तुम्हारा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों मेवे छोड़ छिलके प्रभु पाये
दुर्योधन छोड़ विरदु घर आये
हरि को भी प्रेम है भाये
हरि नाम में हरि आप समाये
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

क्यों संन्यास पाया घर बार छोड़ा
क्यों प्रभु प्रेम में विषय सुख छोड़ा
कुछ तो पाया होगा किसी ने
भक्ति के इस जाम में
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

व्यर्थ हुआ जाता जीवन सारा
फिर भी सुहावे जगत पसारा
कब मुख पर हरि नाम आएगा
कब जीवन में घनश्याम आएगा
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

हरि नाम में प्रभु आप विराजे
हरि नाम ही तेरे मुख साजे
है मानुष जन्म सौभाग्य से पाया
क्यों हरि नाम बिन व्यर्थ गवाया
कुछ तो होगा ना
हरि के नाम में

No comments:

Post a Comment