Tuesday 1 November 2016

एक दीप तुम प्यार का, रखना दिल के द्वार,,,

एक दीप तुम प्यार का, रखना दिल के द्वार,,,
यही दीप का अर्थ है, यही पर्व का सार...

दीप हृदय में कर गये, खुशियों का बौछार,,,
आज प्रेम से हम करें, दीपों का सत्कार...

केसर, चन्दन घर लगे, रोली अक्षत द्वार,,,
सजी दीप की अल्पना, किरणें वन्दनवार...

फूल -पंखुड़ी तन हुआ, हृदय हुआ अब दूब,,,
दीप -पर्व के ताल में, हम सब जायें ड़ूब...

दीप -पर्व सी ज़िन्दगी, दीप तुम्हारा प्यार,,,
तुम रंगोली अल्पना, तुम ही वन्दनवार...

दिया एक विश्वास का, जले हृदय में आज,,,
सद्भाव को नोच रहे, आजा घृणा के बाज़...

उड़ी गगन में प्रेम की, किरणें पंख पसार,,,
हुआ पराजित दीप से, फिर तिमिर एक बार...



~~~|| जय श्री राधे कृष्णा ||~~~
~~~|| जय श्री सीता राम ||~~~

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