Saturday 1 April 2017

अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है



अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
सपनो के नीद में ही यह रात ढल न जाये
पल भर का क्या भरोसा कही जान निकल न जाये
गिनती की है सवासे युही ही लुटा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
जाये गा जब यहाँ से कोई न साथ देगा
इस हाथ जो दिया उस हाथ जाके लेगा
कर्मो की है खेती फल आज पा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
ममता के बन्धनों ने क्यों आज तुज्को घेरा
सुख में सभी है साथी कोई नहीं है तेरा
तेरा ही मोह तुझको कब से रुला रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
जब तक है भेद मन्न में भगवान से जुदा है
खोलो जो दिल के दर्पण इस घर में ही खुदा है
सुख रूप हो कर भी दुःख आज पा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है

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