Thursday 13 April 2017

मेरा गोपाल गिरधारी

मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।
रंगीला है रसीला है ना गोरा है ना काला है ।।
कभी सपनों में आ जाना,कभी रूपोश हो जाना ।
ये तरसाने के मोहन ने निराला ढंग निकाला है।।
मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।
कभी ऊखल में बंध जाना,कभी ग्वालों में जा खेले है ।
तुम्हारी बाल लीला ने अजब धोखे में डाला है ।।
मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।
कभी वो मुस्कराता है,कभी वो रूठ जाता है ,
इसी दर्शन की खातिर तो बड़े नाजों से पाला है ।।
मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।
तुम्हें मै भूलना चाहूँ मगर भुला नहीं जाता है ।
तुम्हारी सांवरी सूरत ने कैसा जादू डाला है ।।
मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।
मेरे नैनों में बस जाओ, मेरे ह्दय में आ जाओ ।
मेरे मोहन ये मन मन्दिर तुम्हारा देखा-भाला है ।।
मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है ।य
तुम्हें मुझ-से हजारों है मगर सिद्धेश्वरदूबेके तुम-ही तुम हो।
तुम ही सोचो हमारी तो न कोई सुनने वाला है ।
मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है ।।

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