Thursday 20 April 2017

राधे राधे मन बोले

राधे राधे मन बोले
मान में अमृत रस घोले
तू ही मेरी आराधना
प्रेम माई है तू साधना
तू जो घूँघट पाट खोले
मान में अमृत रस घोले
राधे राधे मान बोले
मान में अमृत रस घोले
बंसी का हर राग है तू ही
जीवन का अनुराग है तू ही
तेरे नैनो की मीना का
लेकर मेरा मोर मुकुट
ये संग पवन के डोले
मान में अमृत रस घोले
राधे राधे मान बोले
मान में अमृत रस घोले

तेरी मेरी प्रीत है अनुपम
जैसे पानी और हो चंदन
तेरे रंग में मई पीताम्बर
बन जाऊं और ये जीवन संग तेरे होल
मान में अमृत रस घोले
राधे राधे मान बोले
मान में अमृत रस घोले
जीवन में फिर क्या बाधा है संग जो मेरे तू राधा है
निर्धन का तू धन है राधा प्रेम के इस अनमोल रतन को
कौन तुला में टोले, मान में अमृत रस घोले
राधे राधे मान बोले
मान में अमृत रस घोले
राधे राधे मान बोले
मान में अमृत रस घोले

राधे राधे

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