हर रिश्ते हैं खोखले माया की बिछायी जाल
नातों में उलझाकर ठगनी चलती है चाल
हर चीज है क्षणिक क्षणिक मिलन,क्षणिक
जुदाई
फंसकर इसमें करते हम जन्म-जन्मांतर तक
भरपाई
हर सुख यहाँ का दुःख की जड़ निकलता है
फिर भी जाने क्यों मानव सुख देख फिर
फिसलता है
दुनिया में दिल लगाता है टूटना तो था ही,
फिर बैठ आँसू बहाता है टूटे दिल को जोडने
के लिए
नासमझ इंसान, फिर किसी और को
आजमाता है
दिल की तो फितरत ही है लगाना
लगाने को ही दिल मिला है
पर सबका दिलवर एक ही है
कृष्णा लगानेवाले को मिला सिला है
दिल लगाना है तो कृष्णा से लगा
प्यार करना है तो उससे कर
उसके लिए गा,उसके लिए नाच
निहारना ही है तो निहार उसे जी भर
जो भी दिल में हो तेरे हर आरजू पूरा कर
यहाँ भी आनंद है देख तो कृष्णा को केंद्र
में रखकर
हे गोपाल राधा कृष्ण गोविन्द गोविन्द, कृष्ण
गोविन्द गोविन्द गोपाल गोविन्द गोविन्द हे गोपाल हे गोपाल हे गोपाल हे
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