क्यूँ आ के रो रहा है गोविन्द की गली में ,
हर दर्द की दवा है गोविन्द की गली में ,
तू खुलके उनसे कह दे जो मन में चल रहा है ,
वो ज़िंदगी के ताने बाने जो बुन रहा है ,
हर रात ख़ुशनुमा है सिद्धेश्वर गोविन्द की गली में
क्यूँ आ के रो रहा है गोविन्द की गली में ,
हर दर्द की दवा है गोविन्द की गली में ,
.......राधे राधे
हर दर्द की दवा है गोविन्द की गली में ,
तू खुलके उनसे कह दे जो मन में चल रहा है ,
वो ज़िंदगी के ताने बाने जो बुन रहा है ,
हर रात ख़ुशनुमा है सिद्धेश्वर गोविन्द की गली में
क्यूँ आ के रो रहा है गोविन्द की गली में ,
हर दर्द की दवा है गोविन्द की गली में ,
.......राधे राधे
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