Monday 24 April 2017

हंस मानसर भूला

हंस मानसर भूला
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
नीर क्षीर की दिव्य दृषटी में
अंध वासना जागी
गति का परम प्रतीक बन गया
जड़ता का अनुरागी
हंस मानसर भूला
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू अक्षर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू शाश्वत भूला
श्री कृषण शरण समर्पण

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