हंस मानसर भूला
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
नीर क्षीर की दिव्य दृषटी में
अंध वासना जागी
गति का परम प्रतीक बन गया
जड़ता का अनुरागी
हंस मानसर भूला
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू अक्षर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू शाश्वत भूला
श्री कृषण शरण समर्पण
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
नीर क्षीर की दिव्य दृषटी में
अंध वासना जागी
गति का परम प्रतीक बन गया
जड़ता का अनुरागी
हंस मानसर भूला
कंकर चुगने लगा वही जो
मुक्ता चुगता था पहले
पर में ऐसा कया आकर्षण
जो परमेश्वर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू अक्षर भूला
क्षर में ऐसा कया सम्मोहन
जो तू शाश्वत भूला
श्री कृषण शरण समर्पण
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