आजाद होना है तो हमें तो
कृष्णा का दास बनना होगा
क्योंकि वो हैं ही एक मात्र स्वतंत्र
उनसे ही हमें जुडना होगा.
उनका दास बनना
इस जगत की तरह नही
ये तो ऐसी ऊँची पदवी है
जैसे यहाँ मालिक की भी नही.
हमारे कन्हैया तो ऐसे मालिक है
जो सेवक के सेवक बन जाते हैं .
लक्ष्मी जिनके पैर दबाये वो प्रभु
कैसे पार्थसारथी भी कहलाते हैं.
जो जितनी उनकी सेवा करता
वो उतना ही सुकून पाता है.
वो प्रतिक्षण उनका गान करता
भौतिक बंधन से छूट जाता है.
ये माया ही तो बंधन है
प्रभु का सानिध्य है आजादी
प्रभु के बिना माया को पार पाना
ये तो है बस वक्त की बर्बादी.
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