Saturday 31 October 2015

जन्म तेरा बातों मे बीत गयो

जन्म तेरा बातों मे बीत गयो
जन्म तेरा बातों में बीत गयो , तूने कबहूँ न कृष्ण कह्यो ॥
पाँच बरसका भोला- भाला , अब तो बीस भयो ,
मकरपचीसी माया कारण , देस बिदेस गयो ॥१॥
जनम तेरा.....||
तीस बरस की अब मति उपजी , लोभ बढ़े  नित नयो ,
माया जोड़ी लाख करोरी , अजहुँ न तृप्त भयो ॥२॥
जनम तेरा.....||
वृद्ध भयो तब आलस उपजी, कफ नित कंठ रह्यो,
संगत कबहुँ न कीनी तूने , व्यर्था में जन्म गयो ॥३॥
जनम तेरा.....||
ये संसार मतलब का लोभी , झूठा ठाठ रचयो ,
कहत कबीर समझ मन मूरख , तू क्यूं भूल गयो ॥४॥
जनम तेरा.....||

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