Saturday 10 October 2015

मधुराष्टकं भावार्थ सहित-- श्रीमद् वल्लभाचार्य रचित मधुराष्टकम

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।
आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी ऑंखें मधुर हैं,
आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है,
मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥1॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।
आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर है, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपके वलय मधुर हैं, 
आपका चलना मधुर है,आपका घूमना मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥2॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।
आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाये हुए पुष्प मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं,आपके चरण मधुर हैं ,
आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥3॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।
आपके गीत मधुर हैं,.आपका पीताम्बर मधुर है, आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है, 
आपका रूप मधुर है, आपका टीका मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण.आपका सब कुछ मधुर है ॥4॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।
आपके कार्य मधुर हैं,आपका तैरना मधुर है,आपका चोरी करना मधुर है, आपका प्यार करना मधुर है, 
आपकेशब्द मधुर हैं, आपका शांत रहना मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥5॥

"जय श्रीकृष्णा"

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