Saturday 10 October 2015

चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार.

चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...
बहुत बड़ा दरबार...चाकर राखले...

पूरब पस्चिम उत्तर दक्षिण...दशों दिशा में राज तेरा...
राजा और महाराजा तेरे...आगे है लाचार...चाकर राखले...
चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...

तीनो लोक चोदह भुवनं में...फैला कारोबार तेरा...
युगों युगों से सरपट दौड़ा...श्याम तेरा दरबार...चाकर राखले...
चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...

सीधा सादा बन्दा मैं तो...नेम धेम का पक्का रे...
ऐसे चाकर की तो होगी...श्याम तुम्हे दरकर...चाकर राखले...
चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...

जो सोपेंगा काम साँवरा...चाव लगाकर करूँगा रे...
अरजी है साँवरिया मेरी...मौका दे एक बार...चाकर राखले...
चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...

जो देवोगे पूण आर्शीवाद...हंसी ख़ुशी से लैलूंगा रे...
भक्त तेरी रजा में राजी...सेवक्या है तैयार...चाकर राखले...

चाकर राखले साँवरिया...तेरा बहुत बड़ा दरबार...
बहुत बड़ा दरबार...चाकर राखले...

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