Sunday 18 October 2015

हरि के नाम बिना झूठे सगल पसारे :

हरि के नाम बिना झूठे सगल पसारे :
हरि नाम सुमिरन बिना सारी क्रियाएँ व्यर्थ हैं झूठे हैं |
हे मुरारी तेरा नामजप ही मेरे लिये आरती है और स्नान भी तेरा ही नाम हैै....
पूजा का आसन तेरा नाम है प्रभु...
नाम ही चंदन घिसने वाला चकला(पत्थर) है 
और तेरा नाम ही, हे मुरारी, केसर है जिसे मैने तुझ पर छिड.का है....
नाम जल से तेरे नाम रूपी चंदन को मैने आपको लगाया है 
मेरे प्रभु....
मैने तेरे नाम को दीपक बनाकर उसमें नाम की बाती लगाई है...
प्रभु तेरे नाम को तेल बनाकर मैने पूजा की ज्योति जलाई है जिससे सब लोकों में ग्यान का प्रकाश फैले और अंधकार दूर हो गया है...
हे मुरारी तेरा नाम ही धागा है और फूलमाला भी तेरा नाम ही तो
है वरना फूल वगैरह सब भँवरों के जूठे किये हुए हैं 
इसलिये तुझे तेरे नाम रूपी फूल अर्पण किये हैं....
हे मेरे नाथ सब कुछ तेरा ही दिया हुआ है, 
तुझे मैं क्या अर्पण कर सकता हूँ.....
तेरा ही नाम चँवर है तू ही अपने को चँवर ढुलाने वाला है....
मैं तो कुछ भी नहीं हूँ...
सभी पुराण,  तीर्थं और चारों धाम तेरे नाम में ही समाये हैं...
तेरा नाम ही तो तेरी आरती की सारी सामग्री है....मेरे भगवन!
तेरे नाम को ही मैं भोग बनाकर तुझे चढा रहा हूँ....
हे मुरारी तेरे नाम के जप के बिना सभी कुछ थोथा है व्यर्थ है..

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