Tuesday 27 October 2015

तर्ज - राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।

तर्ज - राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।।
पर प्रारब्ध चले मम आगे, यह चाहे यम, कहे अभागे।
यह तो तभी कटे रघुराई, जब तुम लो, चरनन लिपटाई।।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम,सियाराम जय जय राम।।
अब मुझको नहीं, धन सुख इच्छा, मतलो अब मम अधिक परीक्षा।
अबतो मम मनुआं यह चाहे,तुमको रोए, तुमको गाए।।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम,सियाराम जय जय राम।।
सो दे दो वह प्रेमाभक्ति, जिसमें ही है, बस वह शक्ति।
जो प्रारब्धों से भिड जाए,काट उन्हें,तुम तक पहुँचाए।।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम,सियाराम जय जय राम।।
अंतिम कृपा करो रघुनंदन, काट फेंकिए घर के बंधन।
जिससे तुम गोदी सो जाऊँ,तुममें ही, बस लय हो जाऊँ।।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम,सियाराम जय जय राम।।

No comments:

Post a Comment