Saturday 7 November 2015

अधिक दिनों तक अब नहीं , चलनी है यह देह ।

अधिक दिनों तक अब नहीं , चलनी है यह देह ।
उनकी जो बूढे हुए , तनिक नहीं सन्देह ।।
क्योंकि पक चुका आम यह, आज नहीं तो काल।
टपकेगा ही Sure है , तज कर अपनी डाल।।
सो संशय तज अब जपें , बूढे भगवन्नाम।
क्या ? आने हैं काम अब , पुत्रादिक - सुख - दाम।।
वानप्रस्थ की आयु तो , करने को उद्धार।
" रोटीराम " न चूकिऐ , हो लो भव से पार।।
जिसे अहैतुकी भक्ति का , रुतबा देते शास्त्र।
जिसको कर इन्सान हो , परम धाम का पात्र।।
उसको करने के लिए , जब हों अपुन प्रयास।।
तब ही जा, इस देह की, कुछ उपलब्धि खास।।
इससे कमतर पर नहीं , हो पाना कल्यान।
मात्र भक्त कहलाऐंगे , दूर रहें भगवान।।
भले युगों तक जप करो ,पा - पाकर नरचाम।
बात बनेगी तो तभी , प्रथम न "रोटीराम "।।

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