Monday 2 November 2015

जिनके जिम्मे पट चुके

जिनके जिम्मे पट चुके , घर के " रोटीराम "।
उन सबको अब चाहिए , कि जापें भगवन्नाम।।
और निभाऐं वचन वो , जो दीना भगवान।
तब जब थे माँ गर्भ में , परेशान - हलकान।।
अब वह टाइम आ गया , क्योंकि पटे सब काम।
वादा जल्द निभाइये , जा जपिए हरिनाम।।
गर वादा झूँठा गया , पिछड गए हम - आप।
तो फिर गर्भों में गिरें , वही ताप - संताप।।

 " रोटीराम " वे मर चुके , बिना जले शमशान।
जिनको रस आता नहीं , भक्ति में भगवान।।
क्योंकि जो जीवन जी रहे , हेतु आज रस - भोग।
सिद्ध हुआ , वे ग्रस्त हैं , विषयी मानस रोग।।
यम कहता लेना नहीं , जब तुमको हरिनाम।
तुम्हें भोगने भोग ही , जो पशुओं का काम।।
तो दे देता तन वही , खूब भोगना भोग।
कल्पों तक सड - सड वहीं , पडे - पडे भवरोग।।

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