Monday 16 November 2015

राम - राम जप , राम जप , राम - राम जप राम।

राम - राम जप , राम जप , राम - राम जप राम।
क्योंकि यही वह मंत्र है , जो मुक्ति दे " रोटीराम "।।
हल्के में मत ले इसे , और न एक पल भूल।
यही एक दिन दे तुझे , कर हरि के अनुकूल।।

काम - क्रोध नहीं मिट सके , लोभ , न सका पछाड।
राग - द्वेष का जोर है , घर आसक्ति पहाड।।
तो लिख कर पल्लू बाँध ले , कि पाएगा पशुचाम।
पुनर्जन्म में , तन नहीं , नर का " रोटीराम "।।

मन मक्खी मानिन्द है , मन को मैला भाय।
मोटा सोटा मारकर , मन को रखो दबाय।।
मन को गर सम्मान दे , मानी मन की बात।
तो एक दिन " रोटीराम " ये , पडबा दे यमलात।।

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