कफन में जब,होती नहीं ,जेब ओ! "रोटीराम"।
तो क्यों?,संग्रह में लगा, पिला पडा है काम।।
इससे तुझको लाभ क्या,जब जाना ही नहीं संग।
गलत अगर कुछ हो गया, तो मृत्यु ,मुफ्त बदरंग।।
क्यों? फिर जनम बिगाडता,कर बेमतलब के काम।
जिम्मे तो पट ही चुके, क्या?करना फिर दाम।।
मत भूले हरिनाम तो , ले जा सकता साथ।
फिर क्यों नहीं जोडे इसे,जाए समां अनाथ।।
शास्त्र बताई राह पर , बढ जाते जिन पैर।
वे फिर रह पाते नहीं, हरि के नाम बगैर।।
क्योंकि शास्त्र की सीख से,लें वे तत्व निकाल।
कि भोगों से नहीं , भक्ति से, ही हो सकूँ निहाल।।
हैं प्रमाण , तुलसी हुए , मीरा - सूर - कबीर।
और हजारों , दे रहा , हमको शास्त्र नजीर।।
फिर क्यों वह गलती करे,क्यों न जपे हरिनाम।
फिर वह घर, रुकता नहीं,बढले" रोटीराम "।।
तो क्यों?,संग्रह में लगा, पिला पडा है काम।।
इससे तुझको लाभ क्या,जब जाना ही नहीं संग।
गलत अगर कुछ हो गया, तो मृत्यु ,मुफ्त बदरंग।।
क्यों? फिर जनम बिगाडता,कर बेमतलब के काम।
जिम्मे तो पट ही चुके, क्या?करना फिर दाम।।
मत भूले हरिनाम तो , ले जा सकता साथ।
फिर क्यों नहीं जोडे इसे,जाए समां अनाथ।।
शास्त्र बताई राह पर , बढ जाते जिन पैर।
वे फिर रह पाते नहीं, हरि के नाम बगैर।।
क्योंकि शास्त्र की सीख से,लें वे तत्व निकाल।
कि भोगों से नहीं , भक्ति से, ही हो सकूँ निहाल।।
हैं प्रमाण , तुलसी हुए , मीरा - सूर - कबीर।
और हजारों , दे रहा , हमको शास्त्र नजीर।।
फिर क्यों वह गलती करे,क्यों न जपे हरिनाम।
फिर वह घर, रुकता नहीं,बढले" रोटीराम "।।
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