तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है ।
जब मालिक है सिर पे…क्यों जी को जलाता है ।। (टेर)
तूँ देख विनय करके…तेरी लाज बचायेगा,
तूँ जब भी बुलायेगा…हर बार वो चला आयेगा ।
अपने प्रेमी को दुखी…वो देख ना पाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
जब कुछ ना दिखाई दे…तूँ श्याम का ध्यान लगा,
मेरा श्याम सहारा है…मन में विश्वास जगा ।
जब श्याम कृपा होती…रास्ता मिल जाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
तेरी हर मुश्किल को…चुटकी में ये हल कर दे,
कोई दाव चलाये तो…श्याम झट से विफल कर दे ।
कोई ना जान सके…किस रूप में आता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
पड़ती जो जरूरत है…आता ये तब~तब है,
"" भक्त "" का ये अनुभव है…यहाँ सब कुछ सम्भव है ।
मेरे श्याम की लीला को…कोई समझ ना पाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है ।
जब मालिक है सिर पे…क्यों जी को जलाता है ।।
( तर्ज : सौ बार जनम लेंगे…)
जब मालिक है सिर पे…क्यों जी को जलाता है ।। (टेर)
तूँ देख विनय करके…तेरी लाज बचायेगा,
तूँ जब भी बुलायेगा…हर बार वो चला आयेगा ।
अपने प्रेमी को दुखी…वो देख ना पाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
जब कुछ ना दिखाई दे…तूँ श्याम का ध्यान लगा,
मेरा श्याम सहारा है…मन में विश्वास जगा ।
जब श्याम कृपा होती…रास्ता मिल जाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
तेरी हर मुश्किल को…चुटकी में ये हल कर दे,
कोई दाव चलाये तो…श्याम झट से विफल कर दे ।
कोई ना जान सके…किस रूप में आता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
पड़ती जो जरूरत है…आता ये तब~तब है,
"" भक्त "" का ये अनुभव है…यहाँ सब कुछ सम्भव है ।
मेरे श्याम की लीला को…कोई समझ ना पाता है ।।
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है…
तूँ क्यों घबराता है…तेरा श्याम से नाता है ।
जब मालिक है सिर पे…क्यों जी को जलाता है ।।
( तर्ज : सौ बार जनम लेंगे…)
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