Friday 17 February 2017

*कभी भूलूँ न, कभी भूलूँ न*

कभी भूलूँ न याद तुम्हारी रटूँ
    तेरा नाम मैं सांझ सवेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे

*सिर मोर मुकुट, कानन कुंडल*
     दो चंचल नैन कटारे
मुख कमल पे भँवरे बने केस
       लहराऐ कारे कारे
हो जाओ प्रकट् मम हृदय में...
हो जाओ प्रकट् मम हृदय में
     करो मन के दूर अंधेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे

*गल सोहे रही मोतिन माला*
  अधरो पर मुरली सजाए 
करे घायल तिरछी चितवन सें
     मुस्कान से चैन चुराय
ओ हो भक्तो के सिरताज किन्तु
        राधारानी के चेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे

*अपने आँचल की छाया में*
करूणामय मुझे छिपा लो
मैं जन्म जन्म से भटका हूँ
   हे नाथ मुझे अपना लो
प्राणेश रमण तुम संग मेरे
   है जन्म जन्म के फेरे
राधारमण मेरे, राधारमण मेरे
*राधारमण मेरे, राधारमण मेरे*

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