Wednesday 10 May 2017

वृदांवन

वृदांवन की रोटी,बरसाने की दाल।
        छप्पन भोग में भी नही ऐसा कमाल। 

वृदांवन का आचार। 
        बदल देता है विचार। 

वृदावंन  का पानी। 
        शुद करे वाणी। 

वृदावंन  के फल और फूल। 
        उतार देती है जन्मों -जन्मों की घूल। 

वृदावन की छाया। 
        बदल देती है काया। 

      वृदावंन का रायता। 
        मिलती है चारों और से सहायता।
 
वृदावंन के आम। 
       नई सुबह नई शाम। 

वृदावंन का हलवा। 
       दिखाता है जलवा। 

वृदावन  की सेवा। 
       मिलता है मिश्री और मेवा। 

वृदावंन का स्नान। 
       चारों धाम के तीर्थ के समान। 

वृदावंन  को जो सजाऐ। 
       उस का कुल् सवर जाये।

वृदावंन  का जो सवाली। 
       उसकी हर दिन होली हर रात दीवाली।।
श्री वृन्दावन बिहारी लाल की जय

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