भक्तिपथ को गाता हूँ ।
भाग्य-कर्म से फूटा जग में
श्रीहरि ! तुम्हें मनाता हूँ ।।
किस-किसको मैं गिनूँ यहाँ पर
एक दो नहीं हजारों हैं ।
विपदा क्लेश के किस्से ढेरों
चित में मची पुकारें हैं ।।
श्रीमन्नारायण रक्षा करदो
गज को जैसे बचाया था ।
भवसागर में ग्राह है जकड़ा
कहो क्यों कर मुझे बनाया था ।।
राम मेरे मेरा जीवन भी
अब खुशियों के नाम करो ।
पाऊँ परमानन्द कृपा मैं
सुभाग-कर्म वरदान धरो ।।
वदलो कुअंक भाल मेरे से
नितनव उल्लास सुमंगल हो ।
रोग व्याधि और भय शंका की
मेरे जीवन जगह न हो ।।
जय सीयाराम जय-जय सीयाराम
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे ।।
मंगल भवन अमंगल हारी ।
द्रवहु सो दशरथ अजिरबिहारी ।।
No comments:
Post a Comment