Saturday 27 May 2017

तुम्हें मनाता हूँ

त्याग तपस्या वश में नहीं है 
भक्तिपथ को गाता हूँ     ।
भाग्य-कर्म से फूटा जग में 
श्रीहरि ! तुम्हें मनाता हूँ  ।।
किस-किसको मैं गिनूँ यहाँ पर 
एक दो नहीं हजारों हैं  ।
विपदा क्लेश के किस्से ढेरों 
चित में मची पुकारें हैं   ।।
श्रीमन्नारायण रक्षा करदो 
गज को जैसे बचाया था  ।
भवसागर में ग्राह है जकड़ा 
कहो क्यों कर मुझे बनाया था ।।
राम मेरे मेरा जीवन भी 
अब खुशियों के नाम करो  ।
पाऊँ परमानन्द कृपा मैं 
सुभाग-कर्म वरदान धरो  ।।
वदलो कुअंक भाल मेरे से 
नितनव उल्लास सुमंगल हो ।
रोग व्याधि और भय शंका की 
मेरे जीवन जगह न हो  ।।

जय सीयाराम जय-जय सीयाराम
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे ।।
मंगल भवन अमंगल हारी ।
द्रवहु सो दशरथ अजिरबिहारी ।।

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