*राधे राधे जी....
*राम, दो निज चरणों में स्थान,*
*शरणागत अपना जन जान ।।*
अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधनहीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
*राम, दो ...
सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं।
राम नाम मुद मंगल धाम।
*राम, दो ...
केवल राम नाम ही जानूँ।
और धर्म मत ना पहिचानूँ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
*राम, दो ...
हनुमत जैसा अतुलित बल दो,
पर-सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि, विवेक, शक्ति इतनी दो,
पूरा करूं राम का काम ।
*राम, दो ...
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